विकीलीक्स के नए खुलासे के डर से हड़कंप
२७ नवम्बर २०१०शुक्रवार को कई देशों में तैनात अमेरिकी कूटनीतिज्ञों का दिन काफी दौड़भाग भरा रहा. वे लोग विदेश मंत्रालयों के चक्कर काटते नजर आए. इस सारी कवायद का मकसद था देश को आने वाली शर्मिंदगी से बचाना. दरअसल वेबसाइट विकीलीक्स नए खुलासे करने की तैयारी में है. जुलाई में हुए पहले खुलासे के बाद से यह तीसरा मौका होगा जब अमेरिका के खुफिया दस्तावेज सार्वजनिक किए जाएंगे. लेकिन इस बार अमेरिका की चिंता कहीं ज्यादा बड़ी है क्योंकि बताया जा रहा है कि इन दस्तावेजों में अमेरिकी अधिकारियों के बीच आपस में भेजे गए संदेश शामिल हैं. इन संदेशों में वैसी कड़वी बातें भी लिखी हैं जो आमतौर पर सार्वजनिक रूप से नहीं कही जातीं. अमेरिका को डर है कि अगर ये दस्तावेज सार्वजनिक होते हैं तो ब्रिटेन, कनाडा, रूस, इस्राएल और तुर्की समेत कई देशों के साथ उसके संबंधों पर असर हो सकता है.
बगदाद में अमेरिकी राजदूत जेम्स जेफरी ने पत्रकारों से कहा, "हम और ज्यादा दस्तावेजों के सार्वजनिक होने की बात से चिंतित हैं. मेरा काम लोगों को भरोसे में लेकर उनसे बातचीत करना है और विकीलीक्स मेरे काम में बड़ी बाधा है. मुझे समझ में नहीं आता कि वे लोग दस्तावेजों को सार्वजनिक क्यों करना चाहते हैं. इससे वे कोई मदद नहीं कर रहे हैं बल्कि हमारे काम को नुकसान ही पहुंचा रहे हैं."
रूस के एक बड़े अखबार कोमेरसांत ने कहा है कि जो दस्तावेज लीक हो सकते हैं उनमें अमेरिकी राजनयिकों और रूसी राजनेताओं के बातचीत शामिल है. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि वॉशिंगटन की तरफ से उनके दफ्तर को ऐसी कोई जानकारी नहीं भेजी गई है कि "इंटरनेट पर मौजूद छोटे मोटे चोर" कुछ फाइलों का ढेर लिए बैठे हैं.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता फिलिप क्राउले ने कहा कि अमेरिका बुरी से बुरी स्थिति के लिए तैयारी कर रहा है. क्राउले ने बताया कि विभिन्न देशों की सरकारों को दस्तावेजों की संभावित लीक के बारे में सूचना दे दी गई है.
विकीलीक्स ने अभी यह नहीं बताया है कि कितने और किस तरह के दस्तावेज सार्वजनिक किए जाएंगे. यह भी नहीं कहा गया है कि दस्तावेज कब सार्वजनिक होंगे. लेकिन पेंटागन के प्रवक्ता कर्नल डेव लपान ने कहा कि इसी हफ्ते या अगले हफ्ते की शुरुआत में ऐसा हो सकता है.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए जमाल