वायरस की चपेट में बैंक कार्ड्स, ग्राहक परेशान
५ जनवरी २०१०जर्मनी में दो करोड़ से ज़्यादा डेबिट कार्ड और 35 लाख क्रेडिट कार्ड वायरस की चपेट में आ गए हैं.
इस समस्या का सबसे ज़्यादा सामना उन ग्राहकों को करना पड़ा जो पैसे निकालने के लिए एटीएम का इस्तमाल कर रहे थे या फिर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग के लिए क्रेडिट कार्डों का इस्तमाल कर रहे थे. जर्मन बैंकिंग असोसिएशन डीएसजीवी ने कहा कि कार्ड एक बार मशीन में चले जाने के बाद समस्या हल होने में कम से कम एक सप्ताह लग सकता है.
कुछ इसी तरह की मुश्किल 2000 में वाय टू के नाम के वायरस के चलते कंप्युटर जगत में देखी गई थी और तब वैश्विक चेतावनी दी गई थी. आ माना जा रहा है कि कुछ इसी तरह की मुश्किल का शिकार बैंक कार्ड हो रहे हैं और 2010 को पहचान नहीं पाए रहे हैं.
2000 के बाद 2010
साल 2000 में भी ऐसी ही मुश्किल आई थी जब कंप्युटर के लिए 1999 के बाद कोई आंकड़ा ही नहीं था. ऐसी ही कुछ मुश्किल 2010 साल के लिए भी आ रही है.
जर्मनी की नेशनल क्रैडिट इंडस्ट्री कमिटी ज़ेडकेए ने कहा था कि बैंको के डेबिट कार्ड जल्द ही सामान्य रूप से काम करने लगेंगे लेकिन फ़िलहाल ऐसा होता नहीं दिखता.
बैंको का कहना है कि एटीएम मशीने सिर्फ़ पैसे देने से ही इनकार करेंगी लेकिन कुछ बैंक ग्राहकों की शिकायत थी कि उनका क्रैडिट कार्ड भी मशीन ने यह कहते हुए रख लिया कि उसकी समय सीमा ख़त्म हो गई है.
ग्राहक परेशान
जर्मनी में कॉमर्सबैंक और पोस्ट बैंक के ग्राहकों को मुश्किलें आ रही हैं. हालांकि कॉमर्स बैंक ने विश्वास दिलाया है कि यह मुश्किल जल्द ही सुलझा ली जाएगी और बैंक के कार्ड्स सामान्य काम करने लगेंगे. बैंक के प्रवक्ता ने कहा कि हर बैंक को सॉफ़्टवेयर जल्द से जल्द भेजा जा रहा है.हालांकि विदेशों में जो जर्मन डायरेक्ट डेबिट कार्ड से अपने बिल नहीं भर पाए हैं या पैसे नहीं निकाल पाए उन लोगों के लिए ज़ेडकेए को जवाब ढूंढना होगा.
जर्मनी में ढाई करोड़ नए स्टाइल के क्रेडिट कार्ड हैं जिनमें मैग्नेटिक चिप की बजाए डाटा स्टोर करने वाली माइक्रोचिप लगी हुई है और इस माइक्रोचिप वाले कुछ कार्ड मुश्किल का कारण हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा मोंढे
संपादनः एस गौड़