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लादेन की सलाह, बच्चों अल कायदा से मत जुड़ना

५ मई २०११

ओसामा बिन लादेन ने अपने बच्चों से माफी मांगी है. ओसामा ने कहा है कि जिहाद में जुटे होने की वजह से वह उन्हें समय नहीं दे सका. लादेन ने अपने बच्चों को यह भी सलाह दी है कि वह अल कायदा में कभी शामिल न हों.

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तस्वीर: AP

दुनिया के मोस्ट वॉन्टेड मैन ओसामा बिन लादेन की वसीयत समझे जाने वाले एक दस्तावेज से ये बातें सामने आई हैं. लादेन नहीं चाहता था कि उसके बच्चे अल कायदा में शामिल हों. साथ ही उसने अपने बच्चों को समय नहीं दे पाने के लिए तहे दिल से माफी मांगी है.

14 दिसंबर 2001 की तारीख वाले चार पन्नो के इस दस्तावेज पर ओसामा बिन लादेन के दस्तखत हैं. इस दस्तावेज में दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी कहे जाने वाले लादेन ने अपने बच्चों से अनुरोध किया है कि वे अल कायदा में भर्ती नहीं हों.

इस दस्तावेज का पहला पन्ना लेबनान के एक अखबार में 2001 में प्रकाशित किया गया था जो लादेन की मौत के बाद दोबारा सामने आया है. यह अमेरिकी नौसेना के एसईएएल सैनिकों को मिला. डेली टेलिग्राफ ने इस बारे में लिखा है. इस दस्तावेज में लिखा गया है, "मै माफी चाहता हूं. मैंने बहुत समय जिहाद में बिताया." यह माफी अल कायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन ने अपने बच्चों से मांगी है. इसे लादेन की आखिरी वसीयत बताया जा रहा है."

इस वसीयत में बिन लादेन ने खुद की तुलना सातवीं सदी के खलीफा से की है और बच्चों को सलाह दी है कि उन्हें जीवन में अपना रास्ता खुद ढूंढना चाहिए न कि उसके नाम पर आगे जाना चाहिए.

लेकिन ओसामा के बेटे ओमर बिन लादेन ने एक ब्रिटिश अखबार से बातचीत में कहा था, "उन्होंने मुझे कभी अल कायदा में शामिल होने को नहीं कहा लेकिन यह जरूर कहा था कि उन्होंने मुझे अपना काम आगे बढ़ाने के लिए चुना है." ओमर बिन लादेन ने ग्रोइंग अप बिन लादेन नाम की किताब भी लिखी है.

ओसामा का एक बेटा साद 2009 में एक ड्रोन हमले में मारा गया. उसे बिन लादेन का सबसे करीबी बताया जाता है. एक अन्य बेटे खालिद की सोमवार तड़के अमेरिकी सैन्य अभियान में मौत हुई.

इनसाइड अल कायदा नाम की किताब के लेखक और राजनैतिक हिंसा और आतंकवाद शोध के अंतरराष्ट्रीय केंद्र प्रमुख रोहन गुणरत्ना इस दस्तावेज को असली बताते हैं, "मुझे इसमें कोई संदेह नहीं कि यह दस्तावेज सही नहीं है. धर्मनिष्ठ होने के साथ ही बिन लादेन आधुनिक मैनेजमेंट का इस्तेमाल करने वाला था. वह नहीं चाहता था कि उसके बच्चे उसकी विरासत संभालें. क्योंकि वह चाहता था कि उसके बच्चे अपने दम पर खड़े हों."

दस्तावेज में यह भी लिखा है कि उसकी चारों पत्नियों को उसके मरने के बाद दोबारा शादी नहीं करनी चाहिए.

हालांकि बिन लादेन यूनिट के प्रमुख रहे सीआईए एजेट माइकल शॉयर का कहना है कि यह वसीयत जाली है. यह सऊदी अरब ने बनाई है और कई साल से मौजूद है. शॉयर दलील देते हैं, "इसमें लिखा हुआ कुछ भी बिन लादेन की विचार प्रक्रिया से मेल नहीं खाता. उसके दस्तावेजों में कभी निराशा सामने नहीं आती. और यहां निराशा भरी हुई है. यह उस बिन लादेन से बिलकुल विपरीत है जिसके बारे में हम जानते हैं."

रिपोर्टः पीटीआई/आभा एम

संपादनः एन रंजन