रासायनिक हथियार मिटाने पहुंचा दल
१ अक्टूबर २०१३निरीक्षकों का 20 सदस्यों का दल सोमवार को बेरूत पहुंचा. यहां से यह लोग सड़क मार्ग से दमिश्क के लिए रवाना हुए. द हेग स्थित ऑर्गनाइजेशन ऑफ केमिकल वीपंस यानी ओसीडब्ल्यू के प्रवक्ता ने इससे पहले बताया था कि निरीक्षकों के दूसरे दल भी दमिश्क भेजे जाएंगे. कुल 100 निरीक्षकों को हथियारों के खात्मे का काम पूरा करना है. ओपीसीडब्ल्यू की कार्यकारी समिति ने शुक्रवार को कहा था कि सीरिया के पास प्रतिबंधित हथियारों की स्थिति और ठिकाने से जुड़े सभी आंकड़े देने के लिेए एक हफ्ते का समय है. सभी हथियारों को खत्म करने की आखिरी तारीख 1 नवंबर तय की गई है.
सारा काम रूस अमेरिका निशस्त्रीकरण योजना के हिसाब से हो रहा है जिसे संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव का समर्थन है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने यह बाध्यकारी प्रस्ताव पास किया है जिसके तहत सभी हथियारों को खत्म किया जाना है और चेतावनी दी गई है कि अगर सीरिया में इनका दोबारा इस्तेमाल हुआ तो सजा देने की कार्रवाई होगी. संयुक्त राष्ट्र निरीक्षकों के दल ने सितंबर के मध्य में अपना दूसरा दौरा खत्म करने के साथ ही रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल होने की पुष्टि कर दी थी. ओपीसीडब्ल्यू का मिशन इस पुष्टि के बाद ही यहां आया है. संयुक्त राष्ट्र की टीम ने बताया कि खतरनाक सारिन गैस से भरे रॉकेट दमिश्क के बाहरी इलाके गौटा में 21 अगस्त को दागे गए. अमेरिका ने कहा कि इस हमले में 1400 लोग मारे गए. इसके साथ ही उसने सीरिया में सैन्य कार्रवाई की चेतावनी भी दी.
बाद में संयुक्त राष्ट्र की टीम सात जगहों पर रासायनिक हथियार इस्तेमाल होने के आरोपों के साथ वापस लौटी. इनमें तीन जगहों पर 21 अगस्त के बाद हमले की बात कही गई. संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि टीम अपनी "विस्तृत रिपोर्ट" अक्टूबर के अंत तक दे पाएगी. इस बीच सीरिया के सहयोगी रूस से रासायनिक हथियारों के कारण हुए नुकसान की भरपाई का खर्च उठाने का प्रस्ताव दिया है. कोमरसांट अखबार को दिए इंटरव्यू में जब रूसी विदेश मंत्री से सोमवार को पूछा गया कि ओपीसीडब्ल्यू ने खर्च में योगदान की अपील की है तो उन्होंने कहा रूस, "निश्चित रूप से इसमें हिस्सा लेगा." हालांकि रूस ने इस हमले का आरोप सीरिया में लड़ रहे विद्रोहियों पर लगाया है. विद्रोही 2001 से ही असद की सत्ता को उखाड़ने के लिए देश में जंग छेड़े हुए हैं.
रूसी विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि रासायनिक हथियारों के जखीरे को देश के भीतर ही खत्म किया जाएगा. इन्हें खत्म करने के लिए अमेरिका और दूसरे देशों की कई मोबाइल यूनिट काम पर लगाई जाएगी. यूरोपीय संघ की तरफ से कहा गया है कि वह ओपीसीडब्ल्यू के मिशन को "वित्तीय और तकनीकी" मदद देने के लिेए तैयार है लेकिन उसे संगठन की ओर से "औपचारिक अनुरोध" का इंतजार है.
जर्मनी ने दिए रसायन
इधर जर्मन सरकार ने मान लिया है कि उसने 2011 में भी ऐसे रसायनों को सीरिया भेजने की मंजूरी दी जिनका इस्तेमाल हथियार के रूप में भी किया जा सकता है. जर्मन अर्थव्यवस्था मंत्रालय ने इस बारे में आंकड़े जारी किए हैं. इनके मुताबिक जर्मन कंपनियों ने 1998 से 2011 के बीच सीरिया को कुल 360 टन रसायन निर्यात किए जो दुहरे इस्तेमाल के लिए थे. मंत्रालय ने जोर दे कर कहा है कि उसके पास इस बात का कोई सबूत नहीं कि अप्रैल 2011 में उसने जिन रसायनों के निर्यात की मंजूरी दी उन्हें हथियारों में इस्तेमाल किया गया हो.
मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है, "सभी उपलब्ध सूचनाओं की विस्तृत छानबीन करने के बाद यह माना जा सकता था कि सामानों का इस्तेमाल अच्छे काम के लिए निजी उद्योगों ने किया." मंत्रालय ने यह नहीं बताया कि किस कंपनी ने निर्यात किया. यह जरूर बताया गया है कि मई 2011 में रसायनों पर रोक लगने के बाद निर्यात पूरी तरह से बंद कर दिए गए. मंत्रालय ने यह भी बताया है कि 2002 से 2006 के बीच 100 टन से ज्यादा रसायनों को बेचने के लिए निर्यात लाइसेंस दिए गए. यह रसायन ऐसे थे जिनका सैनिक और नागरिक दोनों उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल हो सकता था.
एनआर/एमजे (डीपीए, एएफपी)