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राजा के मामले पर सुप्रीम कोर्ट की झाड़

१६ नवम्बर २०१०

2जी स्पैक्ट्रम घोटाले पर विपक्षी वार झेल रही भारत सरकार को अदालत ने भी झाड़ लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि पीएम की ओर से संचार मंत्री ए राजा के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए अनुमति के फैसले में इतनी देरी क्यों हुई.

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पीएम को फटकारतस्वीर: UNI

जस्टिस जीएस सिंघवी और एके गांगुली की बेंच ने पूछा, "क्या फैसला लेने वाला अधिकारी शिकायत को इस तरह दबा कर बैठ सकता है." इस मामले में फैसला प्रधानमंत्री को लेना था. अदालत ने यह बात जनता पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व कानून मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सु्नवाई के दौरान कही जिन्होंने राजा पर मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी.

सरकार की तरफ से इस मामले में पेश सॉलीसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम से अदालत ने कहा, "अनुमति देने के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से तय तीन महीने का वक्त निष्पक्ष सरकार और सुशासन के लिए पर्याप्त है, लेकिन अब तो 16 महीने से ज्यादा बीत गए. अनुमति देने वाला यह कह सकता है कि मैं अनुमति नहीं देना चाहता. कथित नकारपन और चुप्पी परेशान करने वाली है."

A. Raja Indien Kommunikation Information Technik Minister
ए राजातस्वीर: AP

इससे पहले घोटाले से जुडी सीएजी की रिपोर्ट को संसद के पटल पर रखा गया जिसके बाद विपक्ष को इस मामले में आग में घी डालने का मौका हाथ लग गया है. रिपोर्ट के मुताबिक ए राजा ने इस मामले में नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई.

संचार मंत्री के पद से राजा की कुर्बानी भी विपक्ष को शांत नहीं कर पा रही है. रिपोर्ट कहती है कि राजा ने नियमों को ताक पर रखकर टेलीफोन कंपनियों को 2जी स्पेक्ट्रम का आवंटन किया. इतना ही नहीं उन्होंने आवंटन में पूरी तरह से पारदर्शिता बरतने की प्रधानमंत्री की सलाह को भी नजरअंदाज किया.

रिपोर्ट कहती है कि अनिल अंबानी की कंपनी आर कॉम को फायदा पंहुचाने के लिए कानून और वित्त मंत्रालय की सलाह को भी अनदेखा कर दिया गया. समूची प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं बरती गई, बल्कि मनमाने तरीके से यूनीफाईड एक्सिस सर्विस लाइसेंस बांटे गए.

77 पन्नों की रिपोर्ट साफ साफ कहती है कि संचार मंत्री ने टेलीकॉम नियंत्रक ट्राई की सिफारिशों को भी पूरी तरह से अनदेखा कर दिया. इसकी वजह से सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपए का चूना लग गया.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः महेश झा

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