यूरोप में ईशनिंदा कानून
१० दिसम्बर २०१२द हेग में नीदरलैंड्स के संसद ने अपील की है कि अनुच्छेद 147 को हटा दिया जाए जिसके मुताबिक ईशनिंदा पर सजा हो सकती है. लेकिन रानी बेआट्रिक्स के खिलाफ बोलने के लिए सजा को बरकरार रखा जा रहा है.
मुंस्टर विश्वविद्यालय में नीदरलैंड्स पर अध्ययन कर रहे मार्कुस विल्प का कहना है कि कई साल से नीदरलैंड्स में इस कानून को खत्म करने की बात चल रही है. लेकिन राजनीतिक कारणों की वजह से रूढ़िवादी प्रधानमंत्री मार्क रुटे की सरकार ऐसा नहीं कर पाई. इस साल अप्रैल तक रुटे को सुधारवादी राजनीतिक पार्टी एसजीपी की बात माननी पड़ रही थी. एसजीपी कट्टर प्रोटेस्टंट लोगों की पार्टी है और संसद में भी इसके प्रतिनिधि हैं लेकिन इसे कभी तीन से ज्यादा सीटें नहीं मिली हैं. नवंबर में डच संसद को दोबारा गठित किया गया. रुटे को इसके बाद एसजीपी की जरूरत नहीं पड़ी और इसके कारण ईशनिंदा कानून को खत्म करने में आसानी हो जाएगी.
डच सरकार के फैसले को देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संदर्भ में समझा जा सकता है. शोधकर्ता विल्प कहते हैं कि नीदरलैंड्स में लगभग सबकुछ किया जा सकता है. यानी गेर्ट विल्डर्स जैसे दक्षिणपंथी नेता भी धर्म के खिलाफ बहुत आक्रमक तरीके से बोल सकते हैं, जो जर्मनी में मुमकिन नहीं है. विल्डर्स ने पिछले सालों में इस्लाम को एक हिंसक और आक्रामक राजनीतिक सोच बताया है. इससे नीदरलैंड्स में बहुत विवाद छिड़ा और लोगों ने सवाल किए कि क्या इस तरह की बातों को रोका जा सकता है. कई लोगों का कहना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को देखते हुए विल्डर्स जैसे नेताओं की विचारधारा को सहने की क्षमता होनी चाहिए.
जर्मनी में
जर्मनी में ईशनिंदा कानून को 1969 में बदला गया और उसके बाद इस इस कानून का बहुत कम इस्तेमाल हुआ है. जर्मन आचार संहिता के अनुच्छेद 166 में ईशनिंदा की ज्यादा बात नहीं है लेकिन अगर "सामाजिक शांति को भंग किया जा रहा हो" तो किसी और धर्म के खिलाफ कुछ भी बोलने के लिए सजा मिल सकती है. बॉन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हार्टमूट क्रेस का कहना है कि 20वीं और 21वीं सदी में भगवान को राष्ट्र का अहम हिस्सा मानना सही नहीं है. यह मध्ययुग और पुराने जमाने की बातें हैं.
इस सिलसिले में जर्मन कानून एक धर्मनिरपेक्ष देश का कानून है और यहां कोशिश की जाती है कि धर्मों की वजह से लोग आपस में नहीं झगड़ें. क्रेस कहते हैं, यह कानून लोगों को भड़काने के संदर्भ में बनाया गया है और सजा दिलाने के लिए यही काफी है.
सिर्फ यीशू के लिए
ब्रिटेन में कई सालों के लिए ईशनिंदा का कानून केवल यीशू (ईसाई धर्म) के लिए लागू था. कुछ साल पहले इसे खत्म किया गया. जहां यूरोप के बाकी देशों में धर्म को लेकर मुद्दों पर काफी सहनशीलता देखी जा सकती है, वहीं आयरलैंड ने 2009 में ईशनिंदा के कानून को और कड़ा किया है. वहां भगवान के खिलाफ कुछ प्रकाशित करने तक की सजा मिल सकती है और इसके लिए गुनेहगार को 25,000 यूरो तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है.
कई बार ईशनिंदा के कानून की आड़ में राजनीतिक फैसले भी लिए जाते हैं. रूस में पॉप बैंड पूसी रायट के खिलाफ इस कानून का इस्तेमाल किया गया. बैंड के तीन सदस्यों में से दो को जेल जाना पड़ा. तुर्की में भी पियानो वादक और संगीतकार फाजिल साय पर ईशनिंदा के आरोप लगे हैं. तुर्की की सरकार का कहना है कि उन्होंने इस्लाम के खिलाफ बोला है. साय ने ट्विटर पर इस्लाम में कट्टरपन के खिलाफ कुछ मजाकिया वाक्य लिखे थे. कई देशों में आज कल भी ईशनिंदा एक बड़ा जुर्म है और इसके लिए मौत की सजा भी हो सकती है.
रिपोर्टः गुंटर बिर्केनश्टॉक/एमजी
संपादनः आभा मोंढे