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यूएन में उठेगा सीरिया का मुद्दा

२८ अगस्त २०१३

ब्रिटेन ने सीरिया में सैनिक हस्तक्षेप की मांग की है और इसके लिए संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहा है. लेकिन रूस जैसे देश इसके खिलाफ हैं. पूरा मामला संयुक्त राष्ट्र में उठने वाला है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

संयुक्त राष्ट्र के गैस विशेषज्ञ उस दावे की पुष्टि करना चाहते हैं, जिसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति बशर अल असद की सेना ने रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया है. वे नमूने लेने के लिए राजधानी दमिश्क के पास पहुंच रहे हैं, जबकि यूएन महासचिव बान की मून ने अनुरोध किया है कि विशेषज्ञों की राय आने तक इंतजार किया जाना चाहिए.

हालांकि अमेरिका, यूरोप और मध्य पूर्व के उनके साथी देश अभी से सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद की सेना को दोषी मान रहे हैं. रूस सीरिया के साथ खड़ा है और उसका कहना है कि वहां किसी तरह की सैनिक कार्रवाई नहीं होनी चाहिए, पर पिछले दो तीन दिनों में माहौल ऐसा बना है, मानो पश्चिमी देश ऐसा करने को तैयार हो रहे हैं.

अलग अलग धड़े

सीरिया में रूस और चीन से हथियारों की सप्लाई होती है. रूस और चीन को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो का अधिकार है, यानी यूएन में इस मुद्दे पर एक राय तो नहीं बनेगी. रूस का आरोप है कि इराक की ही तरह सीरिया में भी सत्ता परिवर्तन की कोशिश की जा रही है, जिससे अमेरिका बार बार इनकार करता आया है.

Symbolbild Syrien Bürgerkrieg Krieg Gasmaske Giftgaseinsatz
केमिकल हमले का आरोपतस्वीर: Bulent Kilic/AFP/Getty Images

यह संकट पिछले लगभग ढाई साल से चला आ रहा है लेकिन वहां रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल की रिपोर्टों के बाद संकट गहरा गया है. इसकी वजह से कच्चे तेल की कीमत पिछले छह महीने के सबसे ऊपरी स्तर पर पहुंच गया है और दुनिया भर में शेयर बाजारों पर भी इसका असर पड़ रहा है.

यूएन में मामला

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा है कि वह बुधवार को ही सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव लाना चाहते हैं, जिसके तहत सीरिया के आम लोगों को बचाने के लिए "जरूरी कदम" उठाने की बात हो. संभावना है कि वीटो का अधिकार रखने वाले अमेरिका और फ्रांस इस मुद्दे पर ब्रिटेन का साथ देंगे लेकिन चीन और रूस के विरोध को ध्यान में रखते हुए पहले किसी तरह एक राय बनाने की कोशिश की जा सकती है. कैमरन ने लंदन में जारी एक बयान में कहा, "हमने हमेशा से कहा है कि संयुक्त राष्ट्र को सीरिया के मुद्दे पर अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए. आज उनके पास ऐसा करने का मौका है."

इस बीच रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि किसी भी तरह का हमला खतरनाक होगा. उनके मातहत काम करने वाले एक अधिकारी ने कैमरन के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों की रिपोर्ट आने तक इंतजार करना चाहिए, "सुरक्षा परिषद की कोई भी प्रतिक्रिया के बारे में चर्चा करने का अभी सही समय नहीं है, कम से कम यूएन जांचकर्ताओं की रिपोर्ट तो तैयार हो."

बान का अनुरोध

महासचिव बान की मून ने सुरक्षा परिषद से गुजारिश की है कि उन्हें किसी एक मत पर पहुंचना चाहिए. सीरिया के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में कभी भी एकराय नहीं बन पाई है, जहां लंबे वक्त से गृह युद्ध जैसी स्थिति फैली हुई है. बान ने कहा, "आज की दुनिया में युद्ध और शांति के लिए सीरिया सबसे बड़ी चुनौती है."

Symbolbild Treffen zwischen UN-Sicherheitsrat und Syrischer Opposition
सुरक्षा परिषद में उठेगा मुद्दातस्वीर: Getty Images

सीरिया पर बान के विशेष दूत अल्जीरिया के लखदर ब्राहिमी का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय कानून तय है कि किसी भी सैनिक कार्रवाई से पहले सुरक्षा परिषद की अनुमति ली जानी चाहिए. "लेकिन पश्चिमी देशों के नेता संकेत दे रहे हैं कि वे इसके बगैर ही कदम उठाना चाहते हैं."

रासायनिक हथियार

विद्रोही सैनिक और विपक्ष के लोगों का आरोप है कि राजधानी दमिश्क के पास रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल हुआ है. संयुक्त राष्ट्र का पहला दल जब सोमवार को इस इलाके में गया, तो उसे भी हमले का सामना करना पड़ा. उसकी कोशिश है कि पीड़ित लोगों से बात की जाए और नमूने जमा किए जाएं.

सीरिया की लड़ाई में एक लाख से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और लाखों लोग बेघर हो चुके हैं. कई लोग सीमा पार कर लेबनान, जॉर्डन, तुर्की और इराक जाने की कोशिश कर रहे हैं. इसकी वजह से ईरान और इस्राएल के बीच भी तनाव बढ़ा है. असद को ईरान का पूरा साथ हासिल है, जबकि इस्राएल हर मुद्दे पर ईरान का विरोध करता है. ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातुल्लाह अली खमेनेई का कहना है कि अमेरिका का किसी तरह का दखल "इलाके के लिए विनाशकारी" साबित होगा.

एजेए/एनआर (रॉयटर्स, एएफपी)

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