यूएन की सीरिया रिपोर्ट का इंतजार
२ सितम्बर २०१३शनिवार और रविवार को घटनाक्रम बड़े नाटकीय ढंग से बदला. शनिवार दोपहर तक लग रहा था कि अमेरिका सीरिया पर हल्का हमला कर देगा. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और विदेश मंत्री जॉन केरी इसके पुख्ता संकेत दे चुके थे. लेकिन शाम ढलते ढलते रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक बार फिर सीरिया के समर्थन में उतरे.
रूस ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद ने किसी तरह के रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि सीरिया सरकार पर रासायनिक हथियार प्रयोग करने का जो आरोप लगाया जा रहा है वो 'बकवास' है.
रूसी राष्ट्रपति ने कहा, "हमारे अमेरिकी सहयोगी और दोस्त पक्के तौर पर मान रहे हैं कि सीरिया की सरकारी सेना ने जनसंहार के हथियारों का इस्तेमाल किया, इस मामले में रासायनिक हथियारों का, और वो कह रहे हैं कि उनके पास सबूत हैं, उन्हें ये सबूत संयुक्त राष्ट्र के निरीक्षकों और सुरक्षा परिषद को दिखाने दीजिए."
अमेरिकी विदेश मंत्री केरी का दावा है कि सीरिया सरकार ने रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया. इस हमले में 1,429 लोग मारे गए, जिनमें 426 बच्चे हैं.
इसके जबाव में पुतिन ने कहा कि पहले से ही अंतरराष्ट्रीय दबाव झेल रही सीरिया की सरकार ऐसा कदम उठाकर अपने पैर पर कुल्हाड़ी क्यों मारेगी.
हालांकि रूस के इस कड़े रुख का जवाब अमेरिकी विदेश मंत्री ने एक दिन बाद दिया. रविवार को केरी ने फिर जोर देकर कहा कि उनके पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि सीरिया ने लोगों के खिलाफ सारिन नाम की जहरीली गैस का इस्तेमाल किया.
जर्मनी का इनकार
जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल और एसपीडी पार्टी से चुनाव में चांसलर पद के उम्मीदवार पेअर श्टाइनब्रुक के बीच हुई टीवी बहस में दोनों ने ही सीरिया पर हमले में भागीदारी से इनकार किया है. मैर्केल ने कहा कि जर्मनी अमेरिका और फ्रांस के साथ किसी हमले में शामिल नहीं होगा. दमिश्क में संदिग्ध रासायनिक हमले के बारे में मैर्केल ने कहा कि वह बहुत "घिनौना अपराध" था और "अगर हम इसमें शामिल हुए तो संयुक्त राष्ट्र के आदेश के बाद ही होंगे. राजनीतिक प्रक्रिया में गति आनी जरूरी है."
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक साझा कार्रवाई होनी चाहिए. जी20 देशों के आर्थिक सम्मेलन में वह इस संकट पर चीन और रूस के साथ बात करेंगी. श्टाइनब्रुक ने भी कहा कि कोई भी कार्रवाई अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत ही होगी.
इससे पहले जर्मनी के विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले ने कहा था, "हमारी हिस्सेदारी के लिए दरख्वास्त नहीं की गई है और हम इस बारे में सोच भी नहीं रहे हैं." संविधान का हवाला देते हुए वेस्टरवेले ने कहा कि जर्मन संविधान और कानून इस बारे में बड़े सख्त हैं. जर्मनी की विपक्षी पार्टियों का भी कहना है कि सैन्य कार्रवाई से सीरिया में हिंसा और बढ़ेगी.
इसके साथ ही जर्मनी यूरोपीय संघ और नाटो का ऐसा दूसरा देश है जिसने सीरिया की सैन्य कार्रवाई में हिस्सा लेने से इनकार किया है. इससे पहले गुरुवार को ब्रिटेन की संसद ने भी सैन्य कार्रवाई में हिस्सा लेने के खिलाफ वोट किया है. यूरोपीय संघ से अभी तक फ्रांस ने अमेरिका का साथ देने की बात कही है.
हालांकि इस इनकार के बावजूद जर्मनी का कहना है कि रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल करने वालों को नतीजे तो भुगतने ही होंगे. बर्लिन में सरकार के प्रवक्ता श्टेफान जाइबेर्ट ने कहा, "इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को साफ रुख अपनाना होगा." प्रवक्ता के मुताबिक जर्मनी संयुक्त राष्ट्र के जवाब का इंतजार कर रहा है..
रूस और चीन की आलोचना
जर्मन चासंलर अंगेला मैर्केल ने सीरिया के बिगड़ते हालात को लेकर रूस और चीन की निंदा की है. मैर्केल के मुताबिक सीरियाई संकट के समाधान के लिए पश्चिमी देश जो भी रास्ता निकाल रहे हैं, चीन और रूस उसमें बाधा डाल रहे हैं. मैर्केल ने कहा, "ये बेहद खेदजनक है कि रूस और चीन पिछले काफी समय से सीरिया संकट को लेकर एक साझा रुख पर पहुंचने से इनकार करते रहे हैं. इससे संयुक्त राष्ट्र की भूमिका वाकई कमजोर होती है."
ओएसजे/एएम (डीपीए, एएफपी)