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म्यूनिख में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बैठक

३ फ़रवरी २०१२

अर्थशास्त्री आर्थिक संकट की बात कर रहे हैं, ऊर्जा जानकार तेल सप्लाई की और राजनयिक पाकिस्तान और पश्चिमी देशों के टकराव के बारे में सोच रहे हैं. लेकिन इन सभी मुद्दों के पीछे जो सबसे अहम बात है, वह है सुरक्षा.

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वोल्फगांग इशिंगरतस्वीर: picture-alliance/dpa

अगर इनमें से कोई मुद्दा हाथ से बाहर निकलता है तो क्या दुनिया भर में तैनात जवान और उनके अगुवा देश उस पर काबू पाने में कामयाब हो पाएंगे. म्यूनिख में जब दुनिया भर के नेता मिलेंगे, तो इन्हीं मुद्दों पर बात होगी. 48वां सालाना म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन आज से शुरू हो रहा है और पांच फरवरी तक चलेगा.

कांफ्रेंस के अध्यक्ष वोल्फगांग इशिंगर ने हाल ही में कहा है, "मुझे लगता है कि अरब दुनिया में हुई क्रांतियों के बाद म्यूनिख में हो रहा कांफ्रेंस एक सकारात्मक यूरो अटलांटिक सुरक्षा समुदाय की चर्चा करेगा, जिसमें रूस का भी सहयोग होगा. इसके अलावा यूरोप और उभरते हुई एशिया प्रशांत के देशों के बीच संबंधों पर भी चर्चा होगी."

इस बार के बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन और रक्षा मंत्री लियोन पनेटा के अलावा जर्मन रक्षा मंत्री थोमस दे मेजियर और वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष रॉबर्ट जोएलिक का शामिल होना पक्का है. इन लोगों को एक मंच पर बोलते देख कर जानकार इस बात का पता लगा सकते हैं कि हवा किस ओर बह रही है और क्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीतियों में किसी तरह का बदलाव तो नहीं होने वाला है.

Sicherheitskonferenz - Iranische Demonstranten
सम्मेलन के समय विरोध प्रदर्शनतस्वीर: picture-alliance/dpa

इसी मंच पर रूस के प्रधानमंत्री व्लादीमीर पुतिन ने 2007 में एलान किया था कि उनका देश किसी भी कीमत पर यूरोप में अमेरिका के प्रस्तावित मिसाइल सुरक्षा कवच का समर्थन नहीं करेगा और इसकी वजह से दोनों पक्षों में बड़ा टकराव हो सकता है. यह एक बड़ा मुद्दा बना था और दुनिया ने इस आवाज को सुना था. मंगलवार को नाटो ने इस बात की पुष्टि की है कि सुरक्षा कवच का कमांडो केंद्र जर्मनी के रामश्टाइन में स्थित होगा. इस बार यह मुद्दा एक बार फिर बहस के केंद्र में हो सकता है.

इशिंगर ने बताया कि इस कांफ्रेंस में लीबिया और मिस्र के नेताओं का भी योगदान होगा. पिछले साल जब म्यूनिख बैठक हो रही थी, तो मिस्र और लीबिया जैसे देशों में क्रांति की शुरुआत हो रही थी. इस बैठक में सीरिया के हालात पर भी जरूर चर्चा होगी.

म्यूनिख में यूरोपीय उत्तर अमेरिकी सैनिक संगठन नाटो के बदलते रोल और रूस के साथ इसके रिश्तों पर भी चर्चा हो सकती है. नाटो के प्रमुख कमांडर जेम्स स्टावरिडिस का कहना है कि बदलती दुनिया में नाटो को अपना रोल भी बदलना होगा. उनका कहना है, "नाटो एक वैश्विक किरदार नहीं है लेकिन ऐसा किरदार है जो वैश्विक पृष्ठभूमि में सक्रिय है." इशिंगर ने वादा किया है कि इस बैठक में ऐसी स्टडी भी जारी की जाएगी, जो नाटो और रूस के बीच के रिश्तों को समझने में मदद करेगी. रूस ने साफ कर रखा है कि अगर यूरोप में मिसाइल सुरक्षा कवच बनाने का प्रस्ताव नहीं रुका तो वह नाटो के साथ सहयोग नहीं करेगा. दूसरी तरफ यूरोप और अमेरिका का कहना है कि ईरान जैसे देशों से सुरक्षा के लिए कवच जरूरी है.

Außenminister Guido Westerwelle besucht USA Hillary Rodham Clinton
वेस्टरवेले और क्लिंटनतस्वीर: dapd

जाहिर तौर पर बैठक में पाकिस्तान पर भी चर्चा होगी. आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में अमेरिका के अहम साथी पाकिस्तान और पश्चिमी देशों के बीच हाल के दिनों में जबरदस्त टकराव चल रहा है. अमेरिकी सेना ने पिछले साल पाकिस्तानी राजधानी इस्लामाबाद के पास एबटाबाद में घुस कर अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था और इस बारे में पाकिस्तान को कोई जानकारी नहीं दी थी. पाकिस्तान इसे अपनी संप्रभुता पर हमला बताता है.

इसके बाद नवंबर में अमेरिका ने एक हमले में 24 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया. तब से दोनों देशों के बीच रिश्ते बेहद तल्ख हो गए हैं. पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में पश्चिमी सेना को रसद पहुंचाने वाले ट्रकों का रास्ता बंद कर दिया है. पाकिस्तान में सुरक्षा हालात का असर पड़ोसी देशों अफगानिस्तान और भारत पर भी पड़ना लाजिमी है. भारत के रक्षा मंत्री एके एंटनी भी इस बैठक में आ रहे हैं.

रिपोर्टः डीपीए/ए जमाल

संपादनः महेश झा

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