मोदी से नाराज लोगों के पास विकल्प नहीं: पासवान
२ मई २०१८उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कोई विकल्प नहीं है. विपक्ष विभाजित है और जहां तक सपा-बसपा की एकता का सवाल है, जिसका बहुत बखान किया जा रहा है, आम चुनाव में यह साथ नहीं रहेगा. पासवान मानते हैं कि यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के पृष्ठभूमि में होते हुए भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी में कोई आकर्षण नहीं है.
बिहार की लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पासवान ने माना कि चुनाव वाले वर्ष में छोटे मुद्दे भी बड़े बन जाते हैं, जिसे सरकार विरोधी लहर करार दिया जाता है और सरकार को जमीनी स्तर पर इसे बदलने की जरूरत है. पासवान ने आईएएनएस से एक साक्षात्कार में कहा, "मेरे जैसे लोग आत्मसम्मान की राजनीति करते हैं. जिनमें भी आत्मसम्मान है, वे (राजद प्रमुख) लालू प्रसाद के साथ नहीं रह सकते. कांग्रेस में अगर कोई राहुल गांधी से मिलना चाहता है तो उसे तीन महीने इंतजार करना पड़ता है. उसके बाद भी मुलाकात होगी, यह निश्चित नहीं है."
अगले साल होने जा रहे आम चुनाव से पहले, खासतौर पर हाल ही में उत्तर प्रदेश में हुए लोकसभा उपचुनाव में सपा-बसपा के साथ आने के बाद राजनीतिक दलों के नए गठजोड़ की संभावना के बारे में पूछे जाने पर पासवान ने एनडीए छोड़कर किसी भाजपा विरोधी, कांग्रेस विरोधी मोर्चे का हाथ थामने की संभावना से स्पष्ट इंकार किया.
उन्होंने जोर देकर कहा, "कोई दुविधा नहीं है. एनडीए को छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता." पासवान ने कहा कि उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन नहीं होगा. पिछले संसदीय चुनाव में उन्होंने स्वतंत्र रूप से राज्य की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन गठबंधन की स्थिति में दोनों पार्टियों को 40-40 सीटों पर चुनाव लड़ना पड़ेगा.
पासवान ने सवाल उठाया, "उनका क्या होगा, जिन्हें एक खास सीट के लिए टिकट हासिल करने के लिए अपनी पूरी जिंदगी बिताने के बावजूद टिकट नहीं मिलेगा? वे चुप नहीं रहेंगे. जाहिर है कि वे दूसरों की जीत की संभावना का भी बंटाधार कर देंगे."
उन्होंने कहा कि करीब 25 प्रतिशत मतदाता जो चुनाव से पहले अपना मन बदलते हैं, वे एनडीए के पक्ष में वोट देंगे, क्योंकि वे नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में देखेंगे, क्योंकि विपक्ष में इस पद के लिए करीब आधा दर्जन नेता हैं. उन्होंने कहा, "मतदाता देखेंगे कि यहां एक ओर मोदी हैं और दूसरी ओर विपक्ष में राहुल गांधी, ममता बनर्जी, चंद्रबाबू नायडू और कई चेहरे हैं. ऐसे हालात में मतदाता कभी भी अपना वोट बर्बाद नहीं करना चाहेंगे और मोदीजी के पक्ष में वोट देंगे."
मोदी के 'अच्छे दिन' के वादे के बारे में उन्होंने कहा, "जो लोग नरेंद्र मोदी से नाराज हैं, उनके पास क्या विकल्प हैं? वे किसे समर्थन देंगे? क्या राजीव गांधी ने वे वादे पूरे किए थे, जो उन्होंने किए थे..मोदी का कोई विकल्प नहीं है. प्रधानमंत्री के पद के लिए कुर्सी खाली नहीं है."
पासवान ने कहा कि जब सरकार चुनावी वर्ष में होती है तो छोटे मुद्दों को भी राष्ट्रीय चिंता का विषय बना दिया जाता है और इसे सरकार के खिलाफ लहर करार दिया जाता है. उन्होंने कहा, "सरकार को जमीनी स्तर पर अपने काम का प्रचार करना चाहिए. धारणा को बदलने की जरूरत है. इस सरकार ने मुस्लिमों के खिलाफ कुछ नहीं किया, लेकिन धारणा बनी हुई है कि यह सरकार मुस्लिम विरोधी है."
प्रधानमंत्री के विवादास्पद मुद्दों पर चुप्पी साधने के बारे में पूछे जाने पर पासवान ने कहा, "ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री हर मुद्दे पर चुप रहते हैं. उन्होंने हिंदुत्व पर कुछ नहीं कहा. प्रधानमंत्री बनने के बाद जब वह पहली बार संसद गए थे तो उन्होंने कहा था कि हमारा संविधान ही हमारा धर्म है."
बिहार में हाल ही में विधानसभा और लोकसभा उपचुनावों में भाजपा-जद (यू) की हार पर उन्होंने कहा कि इसमें सहानुभूति की लहर ने उम्मीदवारों की जीत की बड़ी भूमिका निभाई. लालू प्रसाद को बिहार की जनता की सहानुभूति मिलने के सवाल पर उन्होंने कहा, "कुछ ही दिनों में लोग उन्हें भूल जाएंगे. भारत में लोग आपातकाल को भूल गए थे. ओम प्रकाश चौटाला को जब जेल हुई तो हरियाणा में क्या हुआ? लोग उन्हें भूल गए. बिहार में नया नेतृत्व उभरेगा."
उन्होंने कहा कि जहां तक एनडीए का सवाल है "हम एकजुट हैं. नीतीश का अपना वोट बैंक है. बिहार और उत्तर प्रदेश में जाति सबसे बड़ा मुद्दा है. बिहार में अगर अनुसूचित जाति के लोग एनडीए का समर्थन नहीं करते हैं, तो एनडीए कुछ नहीं कर सकता. लेकिन अगर अनुसूचित जातियां उनका साथ देती हैं तो समस्या होगी. बिहार में विकास का मुद्दा दोयम दर्जे पर आता है, वहां जाति जैसे सामाजिक मुद्दे सबसे ऊपर होते हैं."
- वी.एस. चंद्रशेखर और ब्रजेंद्र नाथ सिंह (आईएएनएस)