महाराष्ट्र में गठबंधनों का मुकाबला
२३ अप्रैल २०१४महाराष्ट्र में तीसरे और आखिरी चरण के तहत 24 अप्रैल को 19 सीटों के लिए मतदान होगा. इसमें मुंबई की सभी 6 सीटें शामिल हैं. पिछले लोकसभा चुनावों में जोरदार प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के गठबंधन को इस बार भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन की भारी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.
मुंबई में कांटे की टक्कर
पिछले लोकसभा चुनाव में मुंबई की सभी 6 सीटों पर कब्जा करने वाली कांग्रेस–एनसीपी गठबंधन को इस बार सत्ता विरोधी रूझान का सामना करना पड़ रहा है. फायदे में भाजपा-शिवसेना का गठबंधन है लेकिन शिवसेना को राज ठाकरे की पार्टी ‘मनसे' के कारण नुकसान हो रहा है. इसके उलट भाजपा उम्मीदवारों के खिलाफ ‘मनसे' ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है. कुछ जगहों पर आम आदमी पार्टी ने चुनावी मुकाबले को रोचक बना दिया है.
मुंबई की किसी भी सीट पर इस बार सीधा मुकाबला नहीं है. मुंबई दक्षिण में केन्द्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा को पसीना बहाना पड़ रहा है. शिवसेना के अरविंद सावंत उनको टक्कर दे रहे हैं. मनसे ने बाला नंदगांवकर को उतारा है जो पिछली बार दूसरे नंबर पर थे. आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार मीरा सान्याल मुकाबले को दिलचस्प बना रही हैं. देश के कई नामी उद्योगपतियों और रईसों का घर इसी क्षेत्र में है. इसके साथ ही लाखों ऐसे भी लोग हैं जो झुग्गी झोपड़ियों में रहते हैं.
प्रचार में ग्लैमर का रंग
मुंबई उत्तर पश्चिम में लोकसभा क्षेत्र में सांसद गुरुदास कामत को शिवसेना के गजानन कीर्तिकर और आम आदमी पार्टी के मयंक गांधी की चुनौती मिल रही है. अभिनेता महेश मांजरेकर भी मनसे की ओर से मैदान में हैं. आइटम गर्ल के रूप में चर्चित राखी सावंत भी यहीं से चुनाव लड़ रही हैं. गुरुदास कामत के समर्थन में सलमान खान सामने आये हैं.
मुंबई उत्तर-मध्य सीट से सुनील दत्त की बेटी और सांसद प्रिया दत्त मोदी लहर के भाजपाई दावे की कड़ी परीक्षा ले रही हैं. हेमा मालिनी, विनोद खन्ना और अनुपम खेर जैसे सितारों ने प्रिया के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरने से इंकार कर दिया. इसके बाद भाजपा ने अपने दिवंगत नेता प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन को मैदान में उतारा है. यहां से अभिनेता हेमंत बिरजे भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
मेधा पाटकर की झाड़ू
उत्तर-पूर्व मुंबई लोकसभा क्षेत्र से वर्तमान सांसद राष्ट्रवादी कांग्रेस के संजय पाटिल को भाजपा के दिग्गज किरीट सोमैय्या का सामना करना है. आम आदमी पार्टी ने सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को चुनावी मैदान में उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय और रोचक बना दिया है.
मुंबई का यह ऐसा क्षेत्र है, जहां समाज के कमजोर तबके के लोग अच्छी खासी संख्या में रहते हैं. 'आप' समर्थक निलेश शाह कहते हैं, "मेधा ताई ने पूरी जिंदगी ऐसे ही लोगों के लिए संघर्ष किया है." निलेश को लगता है कि, संसाधनों और कार्यकर्ताओं की कमी के बावजूद 'आप' का झाड़ू भाजपा और राष्ट्रवादी कांग्रेस पर चलेगा .
राज ठाकरे से परेशान शिवसेना
उत्तर भारतीयों खासतौर पर यूपी और बिहार के लोगों को निशाना बना कर अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने वाले राज ठाकरे में चुनाव के ठीक पहले परिवर्तन आया है. मराठी में ही बोलने की जिद करने वाले राज ठाकरे अब हर न्यूज चैनल पर हिंदी में अपनी बात रख रहे हैं. नरेंद्र मोदी को समर्थन देने की घोषणा कर उन्होंने एक तीर से कई निशाने साधे हैं.
दरअसल राज ठाकरे का प्रभाव मुंबई और उसके आस-पास के कल्याण, नाशिक, ठाणे और पुणे जैसे इलाकों में है. मराठी मानुष के नाम पर राजनीति करने वाली शिवसेना और मनसे दोनों का वोट बैंक एक ही है. लेकिन भाजपा के साथ शिवसेना का गठबंधन होने के कारण शिवसेना की स्थिति मनसे के मुकाबले बीस है. राज ठाकरे मतदाताओं को यह समझाना चाहते हैं कि उनका उम्मीदवार भी जीतने के बाद नरेंद्र मोदी को ही प्रधानमंत्री बनाने के काम आएगा.
नरेंद्र मोदी और राज ठाकरे के रिश्ते के चलते यूपी और बिहार में भाजपा की संभावनाओं पर कोई बुरा प्रभाव न पड़े इसलिए भी राज ठाकरे ने अपने हिंदी विरोध की तीव्रता को कम किया है.
पवार के दांवपेंच
एनसीपी नेता शरद पवार की दांवपेच को समझ पाना मतदाताओं ही बल्कि अनुभवी नेताओं के भी समझ से परे होता है. राजनीति से सन्यास की ओर बढ़ रहे शरद पवार ने अपने बयानों से कई बार अहसास कराया कि कांग्रेस-एनसीपी में सब कुछ ठीक नहीं है. एनसीपी नेता संजय पाटिल कहते हैं, "गठबंधन अपने उम्मीदवारों के लिए मिलकर प्रयास कर रहा है." वैसे भी पवार के रुख का कांग्रेस-एनसीपी की चुनावी संभावनाओं पर कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि पवार के दांवपेच चुनाव बाद के लिए हैं.
आम आदमी पार्टी ने महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार को अपना प्रमुख मुद्दा बनाया है. भाजपा नरेंद्र मोदी के नाम के सहारे है. इसके अलावा भाजपा-शिवसेना भी भ्रष्टाचार और वित्तीय घोटाले जैसे मुद्दों पर जोर दे रही है. कांग्रेस-एनसीपी केंद्र और राज्य सरकार की उपलब्धियां गिना रही है. महिला सुरक्षा और सुशासन सभी पार्टियों की प्राथमिकता है. ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां नरेंद्र मोदी को कोई नहीं जानता बिजली, पानी, सड़क और किसानों से जुड़े मुद्दे छाये हुए हैं.
राज्य के कुछ हिस्सों में जल संकट पर सभी दल जनता के साथ खड़े होने का दावा करते हैं. इन सब के बीच मौका पाकर स्थानीय समस्याएं भी उम्मीदवारों के सामने चुनौती बनकर सामने आ ही जाती हैं. मुंबई की झुग्गी बस्तियों में पली बढ़ी अनिता परब कहती हैं, "शहर की झुग्गी बस्तियों में लाखों लोग रहते हैं फिर भी यहां मौलिक सुविधाएं मुहैया कराने के प्रति कोई पार्टी रूचि नहीं दिखाती."
रिपोर्ट: विश्वरत्न श्रीवास्तव
संपादन: महेश झा