1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

महाराष्ट्र में क्यों मर रहे हैं एक सहकारी बैंक के खाताधारक

१८ अक्टूबर २०१९

महाराष्ट्र में हुए एक सहकारी बैंक के घोटाले ने खाताधारकों को गंभीर चिंता में डाल दिया है. खाते में जमा रकम नहीं निकाल पाने की वजह से लोग चिंता में हैं, तीन लोगों की जान भी चली गई है.

https://p.dw.com/p/3RUYC
Indien Mumbai | PMC Bank
तस्वीर: Reuters/F. Mascarenhas

इक्यावन साल के संजय गुलाटी भारत की वित्तीय राजधानी कही जाने वाली मुंबई के ओशिवारा में रहते थे. 14 अक्तूबर की रात वे अपने घर पर भोजन कर रहे थे कि तभी उन्हें दिल का दौरा पड़ा और देखते ही देखते उनका निधन हो गया. अपने निधन से पहले दिन में गुलाटी पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी बैंक की स्थानीय शाखा के बाहर एक विरोध में शामिल हो कर लौटे थे. बैंक में उनके लाखों रुपये जमा थे पर बैंक उन्हें 25,000 रुपये से ज्यादा देने की स्थिति में नहीं था. 

किसी भी सामान्य व्यक्ति के लिए ये चिंता का सबब होगा. गुलाटी के लिए समस्या और बड़ी इसलिए थी कि हाल ही में विमानन कंपनी जेट एयरवेज के दिवालिया घोषित होने की वजह से उनकी नौकरी भी चली गई थी. उन्हें शायद सबसे ज्यादा चिंता थी अपने बेटे की जिसे नियमित रूप से चिकित्सा की जरूरत पड़ती है.

गुलाटी के बाद अभी तक उनके जैसे कम से कम दो और पीएमसी खाताधारकों के निधन की खबर आई है. इनमें से एक ने आत्महत्या कर ली. 

क्यों फंसा हुआ है खाताधारकों का पैसा?

24 सितम्बर, 2019 को भारत में बैंकों के रेगुलेटर रिजर्व बैंक ने पीमएसी बैंक पर अचानक कड़े प्रतिबंध लगा दिए. बैंक के निदेशकों के बोर्ड को खत्म कर दिया और फिलहाल उसे चलाने के लिए एक प्रशासक नियुक्त कर दिया है. खबर मिलने पर घबराये हुए खाताधारक बैंक की अलग अलग शाखाओं पर पहुंचे तो उन्हें पता चला कि वो इस वक्त अपने ही खातों से 1000 रुपये से ज्यादा नहीं निकाल सकते हैं.

खाताधारकों को ये कहां मालूम था कि बैंक एक लम्बी अवधि से आरबीआई की निगरानी में था, जिसकी जांच में बैंक के द्वारा दिए गए बड़े ऋणों में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं थीं. 

बैंक घाटे में था पर वार्षिक रिपोर्ट और बैलेंस शीट में ये बात लगातार छुपाई गई. घाटे का कारण था कुछ कंपनियों को दिए गए बड़े ऋण, जिन्हें वापस चुकाया नहीं गया. इन कंपनियों से बैंक के निदेशकों की सांठ-गांठ थी.

ये ऋण दिए गए थे एचडीआईएल नाम के समूह के नेतृत्व में चल रही कई कंपनियों को. एचडीआईएल को कई व्यावसायिक बैंक पहले ही डिफाल्टर घोषित कर चुके हैं और उसके खिलाफ दिवालियेपन का मुकदमा दायर कर चुके हैं, पर पीएमसी ने इसके बाद भी समूह की कंपनियों को ऋण दिया. 

पीएमसी के पूर्व एमडी जॉय थॉमस का कहना है कि बैंक ने सालों तक इस बात को छुपा कर रखा कि उसने एचडीआईएल को करीब 6500 रुपये के ऋण दिए हैं और वो ऋण वापस नहीं चुकाए गए हैं.   

क्या है पीएमसी और एचडीआईएल के अधिकारियों के बीच सांठ-गांठ?

4,335 करोड़ रुपये के इस ऋण घोटाले के लिए थॉमस के अलावा तीन और लोग जेल में हैं. राकेश कुमार वधावन, जो एचडीआईएल के चेयरमैन हैं, उनके बेटे सारंग वधावन, जो वाईस चेयरमैन और एमडी हैं और पीएमसी बैंक के चेयरमैन वरयाम सिंह. बैंक के चेयरमैन बनने से पहले वरयाम सिंह एचडीआईएल के बोर्ड में 9 साल तक (2006-15) तक निदेशक थे. जांच एजेंसियों का मानना है कि इन तीनों की पुरानी सांठ-गांठ थी और सिंह वधावन पिता-पुत्र और राजनेताओं के बीच ताल्लुक बनाने का काम करते थे. माना जाता है कि उन्होंने अपने व्यापार और प्रभाव को बढ़ाने के लिए सिंह के जरिये कई मंत्रियों से भी मदद ली.

घोटाला आज तक क्यों सामने नहीं आया?

थॉमस ने आरबीआई को जानकारी दी है कि उनके लिए एचडीआईएल के पक्ष में की जाने वाली अनियमितताएं छुपाना बहुत आसान था क्यूंकि ऑडिटरों ने कभी विस्तृत जांच की ही नहीं. उनके अनुसार बैंक का व्यापार बढ़ रहा था, इसलिए ऑडिटर हर खाते की हर गतिविधि को नहीं जांचते थे. बल्कि जांच सिर्फ उन्ही खातों की होती थी, जिन्हें बैंक का प्रबंधन ऑडिटरों को दिखाता था. इसके अलावा जो एचडीआईएल के कमजोर खाते थे उनकी जगह डमी खाते बैलेंस शीट में डाल दिए जाते थे ताकि बकाया राशि का मेल दिखाया जा सके. 

कई जानकार सवाल उठा रहे हैं कि अगर बैंकों के लिए वैधानिक ऑडिटरों और आरबीआई की आंखों में धूल झोंकना इतना आसान है तो भारत के बैंकों में पड़ी करोड़ों खाताधारकों की जमा-पूंजी कितनी सुरक्षित है?

पीएमसी के खाताधारकों का अब क्या होगा?

पीएमसी के खाताधारकों को पहले सिर्फ 1,000 रुपये तक निकालने की इजाज़त थे. अब वो 40,000 तक निकाल सकते हैं. बैंक के मौजूदा प्रबंधन का कहना है कि इस से 77 प्रतिशत खाताधारक या तो अपना सारा पैसा या उसका एक बड़ा हिस्सा निकाल पाएंगे. लेकिन बैंक में संजय गुलाटी के जैसे और भी कई खाताधारक हैं जिनके खातों में लाखों रुपये बंद पड़े हैं. 

वो खाताधारक जिनके अपने होम लोन, ऑटो लोन या पर्सनल लोन उनके पीएमसी के खातों से जुड़े हैं वो ईएमआई का भुगतान नहीं कर पाएंगे और इस से उनकी क्रेडिट रेटिंग भी खराब हो जाएगी.  

जे बी भोरिआ, जिन्हे आरबीआई ने पीएमसी बैंक का प्रशासक नियुक्त किया है, ने ये विश्वास जताया है कि बैंक खाताधारकों और अन्य हिस्सेदारों के हितों को सुरक्षित रखने का हर संभव प्रयास करेगा. उन्होंने एक वक्तव्य में कहा कि बैंक इस वक्त बैलेंस शीट को फिर से बनाने की कोशिश कर रहा है ताकि सही तस्वीर सामने आ सके. उन्होंने ये भी कहा कि ऋणों की जमानत का इस्तेमाल करके बैंक को हुए नुकसान की भरपाई की जा सकती है या नहीं इसका आकलन किया जाएगा. 

अर्थशास्त्री आमिर उल्लाह खान बताते हैं कि अमूमन भारत में बैंकों को बंद नहीं किया जाता है, फिर भी अगर कल को पीएमसी बैंक को बंद ही कर दिया गया तो डिपाजिट इंश्योरेंस और क्रेडिट गारंटी के तंत्र की वजह से खाताधारकों को 1 लाख रुपये तक की राशि मिलेगी. इसका मतलब है छोटे खाताधारक राहत की सांस ले सकेंगे, पर बड़े खाताधारकों का नुक्सान ही होगा. आमिर कहते हैं कि इसीलिए उम्मीद यही है कि सरकार कुछ बड़े खाताधारकों का पैसा पीएमसी में जमा करवा के बैंक को बचा लेगी.

उधर वधावन पिता-पुत्र की जोड़ी ने अपील की है की एजेंसियां उनकी संपत्ति को बेचकर बैंक के नुकसान की भरपाई कर सकती हैं. एजेंसियों द्वारा जब्त कर ली गई 18 सम्पत्तियों की इस सूची में बीएमडब्ल्यू, रोल्स रॉयस और बेंटले जैसी गाड़ियां, एक हवाई जहाज और एक याट भी है. प्रवर्तन निदेशालय ने इन दोनों की कुल 3,830 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है, पर अचल संपत्ति का इस सूची में जिक्र नहीं है. 

कुल मिला कर खाताधारकों को उनकी पूंजी मिल पाएगी या नहीं इस पर अभी तक संशय बना हुआ है. 

__________________________

हमसे जुड़ें: WhatsApp | Facebook | Twitter | YouTube | GooglePlay | AppStore

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी