आईएमएफ ने भारत से तुरंत कदम उठाने को कहा
२४ दिसम्बर २०१९अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक विकास के इंजनों में से एक बताया है, लेकिन उसकी वार्षिक रिपोर्ट कहती है कि घटती खपत, निवेश और टैक्स से होने वाले आमदनी में आई कमी ने कुछ और कारणों के साथ मिल कर भारत की आर्थिक वृद्धि को रोक दिया है.
आईएमएफ के एशिया और पैसिफिक विभाग में कार्यरत रानिल सलगादो ने पत्रकारों को बताया कि लाखों लोगों को गरीबी से निकालने के बाद, "भारत अब एक महत्वपूर्ण आर्थिक मंदी की चपेट में है". उन्होंने यह भी कहा, "मौजूदा आर्थिक गिरावट की रोकथाम करने और भारत को ऊंची विकास दर के रास्ते पर वापस लाने के लिए तुरंत नीतिगत कदम उठाए जाने के जरूरत है". लेकिन आईएमएफ ने चेतावनी भी दी कि सरकार के पास विकास के लिए खर्च बढ़ाने की गुंजाइश सीमित है, विशेषकर ऋण और ब्याज भुगतान के बढ़े हुए स्तर को देखते हुए.
आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने पिछले सप्ताह कहा था कि भारत में चौंकाने वाले तरीके से और गंभीर हो गई है और आईएमएफ अगले महीने जारी होने वाले वैश्विक आर्थिक आउटलुक के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के अनुमानों को कम करने जा रहा है. अक्तूबर में आईएमएफ ने 2019 के पूर्वानुमान को लगभग एक पूरे पॉइंट के बराबर गिरा कर उसे 6.1 प्रतिशत पर ला दिया था और 2020 के आउटलुक को गिरा कर 7.0 प्रतिशत पर ला दिया था.
आईएमएफ की गीता गोपीनाथ इन दिनों भारत के दौरे पर हैं. वह सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलीं.
सलगादो ने कहा कि भारत के केंद्रीय बैंक के पास "नीतिगत दरों को और गिराने की गुंजाइश है, खासकर अगर मंदी बनी रहती है तो". सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई-सितंबर अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर छह सालों में सबसे धीमी रही. इस अवधि में वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत रही जब कि ठीक एक साल पहले यह सात प्रतिशत थी. सलगादो के अनुसार, "सरकार को सुधारों के एजेंडा को पुनर्जीवित करने की जरूरत है", जिसमें वित्तीय क्षेत्र के स्वास्थ्य को ठीक करना भी शामिल है क्योंकि इसी से "अर्थव्यवस्था को धनराशि उपलबध करने की वित्तीय क्षेत्र की क्षमता बढ़ेगी".
सीके/एके (एफपी)
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