भोजन और भूख पर विश्व सम्मेलन
२७ जनवरी २००९2008 में रोम में खाद्य संकट को लेकर हुए अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भाग ले रहे देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने 22 अरब डॉलर की मांग की थी ताकि दुनिया भर में ग़रीबी और भूख के कुचक्र को रोका जा सके. मैड्रिड का दो दिवसीय सम्मेलन इस मांग को अमल में लाने के लिए बुलाया गया है.
अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने सम्मेलन को वीडियो संदेश के ज़रिए संबोधित करते हुए कहा कि अमेरिका दूसरे देशों के साथ मिलकर 2015 तक दुनिया भर में ग़रीबी और भूख के साथ जीने वाले लोगों की संख्या को आधा करने में मदद करना चाहता है.
क्लिंटन ने इस बात पर ज़ोर दिया कि देश और सरकारें इसलिए भी कमज़ोर होतीं हैं जब देशों के नागरिक ग़रीबी और भूख के हालात में रहते हैं. क्लिंटन ने कहा कि अब नए सहयोग का वक़्त आया है और दाता देश, संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों, ग़ैर सरकारी संगठनों और दूसरी शक्तियों को इस लक्ष्य को पाने के लिए मिलकर काम करना चाहिए.
सम्मेलन में 40 देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं. आर्थिक मंदी की वजह से विशेषज्ञों को डर है कि देश अपने कृषि क्षेत्र में निवेश करने से हिचकिचाएंगे. लेकिन उनका मानना यह है कि तुरंत कार्रवाई करने की ज़रूरत है क्योंकि 2050 में दुनिया की आबादी 9 अरब होगी और उन लोगों को खिलाने के लिए खाद्य समाग्रियों के निर्माण को आने वाले 4 दशकों में दो गुना करने की ज़रूरत है.
दूसरी ओर कृषि अनुदान, व्यापारिक बाधाएं और बायो इंधन बनाने के लिए खाद्यान्नों का इस्तेमाल संकट को और भी बढ़ावा दे रहा है. इस वक्त क़रीब एक अरब लोग कुपोषित माने जा रहे हैं. ज़्यादातर अफ़्रीकी देश और एशिया के कई देश भी पीड़ित हैं. भारत में आंकड़ों का कहना है कि चार साल की उम्र के बच्चों में से करीब चालीस प्रतिशत कुपोषित हैं.