1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

भूस्खलन से उजड़ सकता है तवांग मठ

७ जनवरी २०११

एशिया का सबसे बड़ा बौद्ध मठ भूस्खलन से पूरी तरह तबाह हो सकता है. बीते साल हुई बारिश की वजह से तवांग मठ के नीचे की जमीन गायब हो चुकी है. 300 साल पहले बने इस मठ को बौद्ध भिक्षु अंतरराष्ट्रीय धरोहर मानते हैं.

https://p.dw.com/p/zubb
अरुणाचल का तवांग मठतस्वीर: picture-alliance/dpa

अरुणाचल प्रदेश का तवांग मठ 1680 में मेराक लामा लोद्रे ग्यास्तो ने बनवाया. यह बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा मठ हैं जिसमें 570 से ज्यादा बौद्ध भिक्षु रहते हैं. समुद्र तल से 10,000 फुट की ऊंचाई पर तवांग चू घाटी में बने इस मठ में दुनिया भर के बौद्ध भिक्षु और पर्यटक आते हैं.

Dalai Lama im Grenzgebiet zwischen China und Indien
तवांग मठ में दलाई लामा भी आए.तस्वीर: AP

लेकिन इन दिनों मठ का माहौल बेचैनी भरा है. पिछले साल सितंबर और फिर दिसंबर में हुई भारी बारिश की वजह से मठ के नीचे की जमीन खिसक चुकी है. इस वजह से मठ परिसर का एक हिस्सा खड़ी ढाल के करीब पहुंच गया है. आशंका है कि अगर फिर एक बार तेज बारिश हुई तो तीन शताब्दी पुराना तवांग मठ पूरी तरह उजड़ जाएगा.

मठ के एक भिक्षु गुरु तुलकु रिनपोचे कहते हैं, ''यह मठ सिर्फ राष्ट्रीय संपत्ति नहीं है बल्कि यह पूरे विश्व के लिए एक बेशकीमती संपदा है. अगर जरूरी कदम नहीं उठाए गए तो गर्मियों में होने वाली बारिश और सर्दियों की बर्फबारी में यह संपदा पूरी तरह गायब हो सकती है.''

सरकारी मदद के अभाव में बौद्ध भिक्षु अपनी तरफ से जितनी कोशिशें हो सकती हैं, कर रहे हैं. मठ भूस्खलन वाले इलाके में पेड़ लगा रहा हैं. प्रार्थनाएं भी हो रही हैं. उम्मीद की जा रही है कि इस अद्वितीय मठ को बचाने के लिए की जाने वाली प्रार्थना की आवाज केंद्र और राज्य सरकारों के कानों तक भी पहुंचेगी.

रिपोर्ट: पीटीआई/ओ सिंह

संपादन: एस गौड़