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भारत में चाय बनेगी राष्ट्रीय पेय

२२ अप्रैल २०१२

राष्ट्रीय खेल, राष्ट्रीय पक्षी, राष्ट्रीय पशु के बाद राष्ट्रीय गौरव में एक नाम और शामिल होने जा रहा है वह है चाय. भारत सरकार ने घोषणा की है कि 17 अप्रैल 2013 से चाय राष्ट्रीय पेय बन जाएगी.

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तस्वीर: picture alliance/landov

असम में चाय का पहला पौधा उगाने वाले मणिराम दीवान की याद में यह एलान करने का फैसला लिया गया है. मणिराम दीवान को 1857 के विद्रोह में शामिल होने के कारण फांसी पर चढ़ा दिया गया था.

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने शनिवार को असम यात्रा के दौरान यह घोषणा की. "अगले साल 17 अप्रैल से राष्ट्रीय पेय का दर्जा दे दिया जाएगा." 2013 में चाय को व्यावसायिक खेती का रूप देने वाले मणिराम दीवान की 212वीं जन्मशती होगी. आहलूवालिया ने कहा कि चाय उद्योग में काम करने वालों में अधिकतर महिलाएं हैं और यह संगठित क्षेत्र में रोजगार का सबसे बड़ा माध्यम है.

असम मे मणिराम दीवान रहते थे जिन्हें इस इलाके में चाय की व्यावसायिक खेती शुरू करने के लिए जाना जाता है. असम से ब्रिटिश लोगों को बाहर निकालने के लिए 1857 के विद्रोह में उनके शामिल होने पर उन्हें फांसी की सजा दे दी गई थी.

Indische Frauen balancieren Ballen von Tee auf ihren Köpfen
तस्वीर: AP

मुख्य रूप से दूध पीने वाले भारत में चाय के लोकप्रिय होने का एक बड़ा कारण ब्रिटिश राज रहा है. चाय की व्यावसायिक खेती शुरू होने से पहले भी इस देश में चाय थी लेकिन इस रूप में नहीं. पहले इसे लोग निजी स्तर पर ही इलाज और दूसरे उपयोग के लिए उगाते थे. आज भारत भर में चाय का जो सामाजिक और व्यवसायिक रूप है वो भारत में अंग्रेजों के हाथों शुरू हुई बड़े पैमाने पर इसकी खेती की देन है. अंग्रेजों ने इस देश में चाय की संस्कृति को शुरू किया और पाल पोस कर समृद्ध बनाया.

16 वीं सदी में जब पुर्तगाली व्यापारियों से यूरोप चाय मंगवाता था, तब इसे चा कहा जाता था. 1750 में चाय के जानकार चीन से एजोरस द्वीप गए और वहां चाय को जैसमीन और मैलो के साथ उगाया ताकि चाय को अलग खुशबू मिले. भारत के आदिवासी असम चाय का पौधा उगाते थे. मणिराम दीवान ने ही इसके बारे में अंग्रेजों को बताया. बाद में यह साफ हुआ कि यह पौधा चीनी चाय के पौधे से अलग है. इसके बाद 1839 में असम में जब व्यावसायिक तौर पर चाय की खेती करने की कोशिशें शुरू हुईं तो 1839 में मणिराम नाजिरा में चाय बागान के दीवान बनाए गए. लेकिन बाद में अधिकारियों के साथ मतभेद होने के कारण हट गए.

China Tee Zen Tee Anbau Mönch Flash-Galerie
तस्वीर: AP

बहरहाल अंग्रेजों की चाय की दीवानगी इसे भारत ले कर आई. उत्तर पूर्वी भारत की वादियों में इसकी खेती को व्यावसायिक रूप मिला, ब्रिटिश राज ने इससे काफी फायदा उठाया. चीन में जहां ग्रीन टी ज्यादा पी जाती है वहीं भारत में काली चाय ज्यादा पसंद की जाती है. समय के साथ इसे दूध में उबाले जाने की परंपरा शुरू हो गई. ठंड में काली मिर्च, अदरक, सौंठ, लौंग वाले मसाले के साथ तो गर्मियों में इलायची वाली चाय की परंपरा भारत में ऐसी गहरी रच बस गई है कि चाय के बिना न तो आतिथ्य पूरा होता है न ही नींद टूटती है. गांवों, शहरों की गुमटी पर दो रुपये कट से लेकर फाइव स्टार होटलों में 200-250 रुपये तक की चाय भारत में मौजूद है.पत्रकारों, बुद्धिजीवियों से लेकर मजदूरों तक सबकी प्यास और तलब मिटाती चाय के राष्ट्रीय पेय बनने के बाद कहीं इसे बनाने के नियम न तय हो जाएं.

रिपोर्टः आभा मोंढे (एएफपी)

संपादनः निखिल रंजन