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भारत-चीन गतिरोध में जानकारी का अभाव

१९ जून २०२०

क्या कुछ भारतीय सैनिकों की अभी भी खबर नहीं है? मारे गए सैनिकों ने हथियारों का इस्तेमाल क्यों नहीं किया? गलवान घटना के बाद इस तरह के कई प्रश्नों के जवाब अभी तक नहीं मिले हैं.

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Aktivisten der Orgnisation Swadeshi Jagran Manch protestieren gegen China in New Delhi
तस्वीर: Reuters/A. Fadnavis

लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सेना के कम से कम 20 सैनिकों के मारे जाने के चार दिनों बाद अभी तक हालात को लेकर सही जानकारी का अभाव नजर आ रहा है. गुरुवार को मीडिया में आई कई खबरों में दावा किया जा रहा था कि घाटी में तैनात कम से कम 10 सिपाही और अधिकारियों की कोई खबर नहीं है और संभव है कि उन्हें चीन ने बंदी बना लिया हो.

बाद में इनकी रिहाई की खबर आने के बाद भारतीय सेना का आधिकारिक बयान आया कि कोई भी सैनिक या अधिकारी लापता नहीं है. खबरों में दावा किया जा रहा था कि दोनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बातचीत के बाद चीन ने भारतीय सैनिकों को रिहा किया, लेकिन सेना के बयान में कोई भी विस्तृत जानकारी नहीं थी. 

सबसे ज्यादा बहस इस बिंदु पर हो रही है कि क्या मारे गए सिपाही और उनके कमांडिंग अधिकारी निहत्थे थे? कांग्रेस नेता राहुल गांधी के इस सवाल को उठाने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्वीट कर कहा कि सीमा पर तैनात सैनिकों के पास हमेशा हथियार होते हैं, गलवान में मारे गए सैनिकों के पास भी हथियार थे लेकिन कुछ समझौतों की शर्तों के तहत इस तरह के गतिरोधों के दौरान हथियारों का इस्तेमाल ना करने का पुराना चलन है.

हालांकि पूर्व सेना प्रमुख वी पी मलिक ने मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में भी कहा है कि इन समझौतों के तहत हथियारों के इस्तेमाल पर पाबंदी तो है लेकिन जब तक दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा की रूपरेखा स्पष्ट नहीं हो जाती तब तक इन समझौतों का कोई अर्थ ही नहीं है. नार्दर्न कमांड आर्मी के पूर्व कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एच एस पनाग का कहना है कि ये समझौते सीमा प्रबंधन की गतिविधियों पर लागू होते हैं, सामरिक सैन्य गतिरोधों के समय नहीं.

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह समेत कई पूर्व सैन्य अधिकारियों का यह भी कहना है कि भारतीय सेना के नियम किसी भी सैनिक को अपने प्राणों की रक्षा करने के लिए हथियारों के इस्तेमाल से नहीं रोकते. सिंह के अनुसार कम से कम कमांडिंग अफसर पर हमला होने के बाद जो भी अगला प्रभारी अफसर था उसे गोली चलाने का निर्देश देना चाहिए था. पूर्व अधिकारियों का मानना है कि ऐसा ना होने का मतलब है कि कहीं ना कहीं चूक हुई है.

कांग्रेस और बीजेपी की नोक-झोंक के बीच शुक्रवार को इस घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य केंद्रीय मंत्रियों के साथ एक सर्वदलीय बैठक होगी. बताया जा रहा है कि इस वर्चुअल बैठक में करीब 20 दलों के नेता शामिल होंगे. अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार समेत कई नेताओं के बैठक में भाग लेने की संभावना है.

उधर अमेरिका ने एक बार फिर भारतीय सैनिकों के मारे जाने पर दुख व्यक्त किया है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पेयो ने गुरुवार को एक चीनी राजनयिक से मुलाकात के बाद ट्वीट कर भारतीय भारतीय सैनिकों की मौत पर दुख जताया.

भारत में चीनी सामान और चीनी कंपनियों द्वारा निवेश को बॉयकॉट करने की लगातार उठती मांगों के बीच, सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआइ) का एक महत्वपूर्ण बयान सामने आया है. मीडिया में आई कुछ खबरों के अनुसार, सीओएआइ ने सरकार से कहा है कि भू-राजनीतिक और कॉर्पोरेट मुद्दों को मिलाना नहीं चाहिए. अटकलें लग रही हैं कि सरकार टेलीकॉम कंपनियों पर अपने कारोबार से उपकरण बेचने वाली चीनी कंपनियों को बाहर रखने का निर्देश दे सकती है.

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