भारत की औरतों को दिल का रोग
२९ जून २०१३
भारतीय महिलाओं में हृदय संबंधी बीमारियों (सीवीडी) के बढऩे का कारण जानने के लिए, ‘हील फाउंडेशन' की ओर से कराए गए इस सर्वे में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. इस सर्वे में 65 प्रतिशत डाक्टरों ने माना कि बदलती जीवनशैली और इससे जुड़ी दूसरी समस्याओं के चलते युवा महिलाओं में हृदय संबंधी बीमारियों ने दस्तक दे दिया है. सर्वे के अनुसार इन महिलाओं में एस्ट्रोजन की कमी, हृदय रोग का प्रमुख कारण है.
महिला हृदय रोगियों की बढती संख्या को देखते हुए इस सर्वे में देश भर के 600 डॉक्टरों को शामिल किया गया था. इन डॉक्टरों ने भारतीय महिलाओं में हृदय संबंधी बीमारियों के बारे में चौंकाने वाले तथ्यों का खुलासा किया. इस सर्वे में शामिल 54 प्रतिशत डॉक्टरों का मानना है कि पिछले 5 सालों में महिलाओं में हृदय संबंधी बीमारियों में 16 से 20 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है.
एस्ट्रोजन हार्मोन निष्प्रभावी
सर्वे में शामिल 41 प्रतिशत डाक्टरों ने माना है कि 10 से 15 प्रतिशत हृदय संबंधी बीमारियों में वृद्धि 20 से 40 साल की युवा महिलाओं में हुआ है. पहले ऐसी धारणा थी कि, इस उम्र की महिलाएं हृदय संबंधी बीमारियों से मुक्त रहती हैं. पारंपरिक धारणा के अनुसार जब तक महिलाओं को पीरियड्स होते हैं वे हृदय रोगों से बची रहती हैं. इसका कारण एस्ट्रोजन हार्मोन है, जो महिलाओं को हृदय संबंधी बीमारियों से बचाता है. इस धारणा के विपरीत देशभर के चिकित्सकों ने यह माना कि अब मीनोपॉज से पहले भी महिलाएं हृदय रोगों का शिकार हो रही हैं. चिकित्सक कहते हैं कि आधुनिक जीवनशैली की वजह से शरीर में कई नकारात्मक प्रभाव हो रहे है इसी कारण एस्ट्रोजन हार्मोन निष्प्रभावी साबित हो रहा है.
तनाव,धुम्रपान और शराब
बदलती जीवनशैली में तनाव एक साये की तरह साथ रहता है,जो हृदय रोग का एक प्रमुख कारण है. इन दिनों आधुनिकता के प्रभाव में आई युवा महिलाओं को धूम्रपान और शराब की लत भी लगी है. ऐसी महिलाएं हृदय रोग की शिकार हो रही हैं. इसके चलते युवा महिलाओं में हाइपरटेंशन, डायबिटीज और मोटापा भी बढ़ रहा है. इस सर्वे में एक और दिलचस्प पहलू का पता चला है कि भारतीय महिलाओं के अस्वस्थ होने का कारण उनकी शारीरिक बनावट (ऐपल शेप बॉडी) और आंतों में ज्यादा वसा होना है.
सेहत के प्रति लापरवाह
सर्वे में बताया गया है कि भारतीय महिलाएं अपनी सेहत के प्रति लापरवाह हैं. सर्वे में शामिल 83 प्रतिशत डॉक्टरों का कहना है, "महिलाएं हृदय संबंधी बीमारियों को नजरअंदाज करती है जबकि 76 प्रतिशत डाक्टरों का कहना है कि हृदय से जुड़ी बीमारियों में महिलाओं की मृत्यु का कारण अस्पताल में देर से आना होता है."
66 प्रतिशत चिकित्सक मानते हैं कि, लापरवाही की वजह से बीमारी का पता देर से चलता है. डॉ. रमा सक्सेना कहती हैं कि महिलाएं चिकित्सकों के पास उपचार के लिए जाने में कोताही बरतती हैं.जो थोड़ी बहुत महिलाएं उपचार के लिए आती भी हैं, वह भी थोड़ा लाभ होने पर चिकित्सा बंद कर देती हैं.
रिसर्च में यह भी सामने आया है कि कामकाजी और घरेलू महिलाओं में बीमारियों के प्रति जागरूकता और रिस्क फैक्टर में भी काफी अंतर है. 81 प्रतिशत चिकित्सक मानते है कि कामकाजी महिलाएं हृदय संबंधी बीमारियों को लेकर ज्यादा जागरूक है. इसके बावजूद चिकित्सकों ने पाया,"कामकाजी महिलाएं हृदय संबंधी बीमारियों से ज्यादा ग्रस्त है."
रिपोर्ट: विश्वरत्न श्रीवास्तव
संपादन: एन रंजन