भारतीय राजनयिक ने पत्नी को पीटा
१० जनवरी २०११ब्रिटेन के अखबार डेली मेल ने रिपोर्ट दी है कि अनिल वर्मा ने पत्नी के साथ नोक झोंक के बाद उन पर हाथ उठा दिया. वह भारतीय उच्चायोग में आर्थिक मामलों के मिनिस्टर हैं और उनकी जिम्मेदारी भारत-ब्रिटेन के आर्थिक रिश्तों को बेहतर करने की है.
उत्तर पश्चिम लंदन के पॉश इलाके में जब पड़ोसियों ने वर्मा की पत्नी की चीखें सुनीं, तो उन्होंने पुलिस को फोन किया. इसके बाद पुलिस ने वर्मा से पूछताछ भी की. लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सका क्योंकि राजनयिकों के पास विशेष अधिकार होते हैं. हालांकि पुलिस ने विदेश मंत्रालय से इस मामले में दखल देने की अपील की है.
भारतीय उच्चायोग के एक प्रवक्ता ने लंदन में बताया, "विदेश मंत्रालय और भारतीय उच्चायोग इस मामले को बारीकी से देख रहा है. यह एक उच्च स्तरीय अधिकारी से जुड़ा संवेदनशील मामला है. लेकिन फिलहाल इस पर ज्यादा टिप्पणी नहीं की जा सकती है."
पिछले महीने की इस घटना के बारे में स्कॉटलैंड यार्ड के एक प्रवक्ता ने बताया, "11 दिसंबर को सुबह साढ़े नौ बजे कॉरिंगम रोड, एनडब्ल्यू 11 के बारे में शिकायत मिलने के बाद 40 की दहाई के एक व्यक्ति से पूछताछ की गई. लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई."
इस बारे में भारतीय उच्चायोग के एक प्रवक्ता ने पहले कहा था, "इस बारे में हमें जानकारी दी गई है. अब हम उम्मीद करते हैं कि इस मामले को पति और पत्नी के बीच आपसी समझ से सुलझा लिया जाएगा."
विदेश विभाग के एक प्रवक्ता का कहना है, "हम इस बात को बर्दाश्त नहीं कर सकते कि जो राजनयिक ब्रिटेन में काम कर रहे हैं, वे कानून को तोड़ें. जब हमें इस बारे में जानकारी मिलेगी कि किसी राजनयिक ने ऐसा किया है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी."
अखबार ने सरकारी सूत्रों का हवाला देते हुए अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ब्रिटेन की सरकार ने भारत से कहा है कि वह वर्मा के विशेषाधिकार को कम करें लेकिन इस पर भारत सरकार ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं की है. पिछले साल ब्रिटेन के विदेश मंत्री विलियम हेग ने संसद को बताया था कि पिछले पांच साल में विदेशी राजनयिक 78 गंभीर आरोपों में फंसे लेकिन उन पर कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकी. इनमें यौन उत्पीड़न, उठाईगीरी और शराब पीकर गाड़ी चलाने के आरोप शामिल हैं.
1961 के वियना संधि के मुताबिक राजनयिकों पर उनके मेजबान देशों में कानूनी कार्रवाई नहीं की जा सकती है. ऐसे में उन पर आरोप तभी लग सकते हैं, जब उनके अपने देश वाले उनके विशेषाधिकार को खत्म करें.
रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल
संपादनः ओ सिंह