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भारतीय अमेरिकी समुदाय के वोट खींच पाएंगी कमला हैरिस?

१७ अगस्त २०२०

भारतीय मूल के बहुत से अमेरिकी कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने को एक बड़े बदलाव के तौर पर देखते हैं. लेकिन क्या वह इस समुदाय को बाइडेन-हैरिस जोड़ी के पक्ष में कर पाएंगी?

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USA TV-Debatte der demokratischen Präsidentschaftsbewerber
तस्वीर: AFP/S. Loeb

अमेरिका में 2016 के पिछले राष्ट्रपति चुनाव मे भारतीय अमेरिकी समुदाय ज्यादातर एकजुट नजर आया. एएपीआई डाटा संस्था के मुताबिक इस समुदाय के 85 प्रतिशत लोगों ने डेमोक्रेटिक पार्टी को वोट दिया. यह संस्था एशियाई अमेरिकियों और प्रशांत क्षेत्रों के द्वीपों पर रहने वाले लोगों की जनसंख्या और उनसे जुड़ी नीतियों पर डाटा प्रकाशित करती है. पिछले चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डॉनल्ड ट्रंप ने "अबकी बार ट्रंप सरकार" का नारा भी लगाया, लेकिन इससे वह भारतीय अमेरिकी समुदाय के एक छोटे से हिस्से को ही रिझा पाए.

अब 2020 के चुनाव में दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवारों की नजर भारतीय अमेरिकी समुदाय पर है. अमेरिका की जनसंख्या में इस समुदाय की हिस्सेदारी एक प्रतिशत से थोड़ी सी ज्यादा है. लेकिन हाल के सालों में इस समुदाय के लोग वोटर और डोनर के तौर पर बहुत सक्रिय हो गए हैं. यही नहीं, यह अमेरिका में सबसे तेजी से बढ़ने वाले प्रवासी समूहों में से एक है.

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अमेरिका में मुस्लिम समुदाय को ध्यान में रखकर दिए गए बयान में डेमोक्रेटिक पार्टी के संभावित उम्मीदवार जो बाइडेन ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना की है. वह भारत में मुसलमानों के साथ होने वाले सलूक पर नाराजगी दिखाते हैं.

दूसरी तरफ, राष्ट्रपति ट्रंप ने एक ऑनलाइन विज्ञापन मुहिम शुरू की है जिसमें उन्होंने फरवरी में अपनी भारत दौरे की तस्वीरें इस्तेमाल की हैं. उन्होंने भारत के साथ नजदीकी तौर पर काम करने और मोदी के साथ दोस्ती बढ़ाने का वादा किया है. पिछले साल ट्रंप ने मोदी को टेक्सास में आमंत्रित किया था जहां "हाउडी मोदी" के बैनर तले एक राजनीतिक रैली हुई थी. इसमें हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था.

हैरिस की खूबियां

लेकिन डेमोक्रेटिक पार्टी के पास कमला हैरिस है, जिनकी मां का जन्म चेन्नई में हुआ था. कोलकाता में जन्मीं और तीस साल पहले पीएचडी करने अमेरिका आईं प्रोफेसर संगीता गोपाल कहती हैं, "यह बहुत उत्साहजनक बात है कि कोई अश्वेत महिला पहली बार किसी बड़ी पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में है."

गोपाल लंबे समय से हैरिस के करियर को देख रही हैं. वह कहती हैं, "वह एक प्रभावशाली और ताकतवर वक्ता हैं." गोपाल हैरिस की दोस्त हैं. वह हैरिस से इतनी प्रभावित हैं कि अब बाइडेन की चुनावी मुहिम में वोलंटियर के तौर पर काम कर रही हैं. वह नवंबर में होने वाले चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी को वोट देने का मन बना रही हैं हालांकि इसका हैरिस की राजनीति से कुछ लेना देना नहीं है. वह तो बस ट्रंप को अब और राष्ट्रपति पद नहीं देखना चाहतीं.

वोटों का गणित

क्या कमला हैरिस को उम्मदीवार बनाए जाने से भारतीय अमेरिकी समुदाय के उन लोगों को डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ लाया जा सकता है जो ट्रंप के फैन हैं. हिंदू अमेरिकी फाउंडेशन के संस्थापकों में से एक ऋषि भुटाडा इसकी संभावना नहीं देखते. इस फाउंडेशन की मेलिंग लिस्ट में लगभग तीन हजार लोग हैं. भुटाडा कहते हैं कि ट्रंप समर्थक आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए उनके साथ हैं.

Kamala Harris Familie Leben
बचपन में कमला हैरिस (बाएं) अपनी बहन माया और मां श्यामला के साथतस्वीर: picture-alliance/dpa/Kamala Harris Campaign

लेकिन भुटाडा कहते हैं कि जो लोग आम तौर पर वोट डालने नहीं जाते, वे लोग हैरिस की वजह से निकल सकते हैं और डेमोक्रेटिक पार्टी को वोट दे सकते हैं. भुटाडा के फाउंडेशन ने अभी तक तय नहीं किया है कि वह किस उम्मीदवार का समर्थन करेगा. यह अभी नीतिगत मुद्दों पर दोनों उम्मीदवारों का रुख जानना चाहता है. खास तौर से भुटाडा जानना चाहते हैं कि दोनों उम्मीदवार नफरत आधारित हिंसा से कैसे निपटेंगे या फिर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वे भारत को किस तरह मदद देंगे.

मील का पत्थर

हैरिस को डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए एक ठोस उम्मीदवार के तौर पर देखा जाता है. वह ना तो एकदम नाटकीय बदलाव की समर्थक है और ना ही बहुत ज्यादा कंजरवेटिव. जमैका और भारत से आए प्रवासी माता-पिता की संतान के तौर पर उनकी पहचान, एक अश्वेत महिला के तौर पर उनकी पहचान अमेरिका के राजनीति परिदृश्य में एक विरला मामला है. अब से पहले ऐसे किसी व्यक्ति को उपराष्ट्रपति जैसे अहम पद के लिए उम्मीदवार नहीं बनाया गया है.

इसलिए हैरिस की उम्मीदवारी भारतीय अमेरिकी समुदाय के लिए एक बड़ा मौका है. जानी-मानी प्रोड्यूसर और एक्टर मिंडी कलिंग ने नवंबर 2019 में हैरिस के साथ एक कुकिंग वीडियो बनाया था, जिसमें उन्होंने राजनीति को लेकर अपने जुनून की बात की थी.

कॉमेडियन हरी कोंडाबोलू कहते हैं कि हैरिस की उम्मीदवारी बहुत से लोगों के लिए एक अहम पल है.

वहीं ओरेगोन यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र पढ़ाने वाली अनीता चारी कहती हैं कि यह बहुत जरूरी है कि हैरिस जैसा व्यक्ति नेतृत्व का हिस्सा हो जो अश्वेत और भारतीय मूल की आबादी से जुड़ा हो.

वह कहती हैं, "उनकी उम्मीदवारी के बारे में सबसे अच्छी बात मुझे यह लगती है कि भारतीय अमेरिकी, दक्षिण एशियाई लोग उनके साथ एकजुटता दिखा सकते हैं. साथ ही भारतीय और दक्षिण एशियाई समुदाय में नस्लवाद से निपटने के बारे में भी बात हो सकती है."

चारी की परवरिश शिकागो में हुई और उनके माता पिता 1980 के दशक में भारत से आकर अमेरिका में बसे. वह अमेरिकी समाज में भारतीय मूल के लोगों को लेकर होकर रहे बदलाव की गवाह रही हैं. वह कहती हैं, "लंबे समय तक अमेरिकी समाज में भारतीय-अमेरिकी संस्कृति कहीं दिखती ही नहीं थी. लेकिन बीते पांच साल में बहुत कुछ बदला है." वह कहती हैं कि ट्रंप प्रशासन ने प्रवासी लोगों के प्रति जिस तरह की आक्रामकता दिखाई है, उससे निपटने में हैरिस की प्रवासी पृष्ठभूमि मदद करेगी. 

रिपोर्ट: जूलिया मानके/एके

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