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बढ़ रही है राजनीतिक पार्टियों की कमाई

१५ जनवरी २०२०

चुनाव आयोग को दी गई जानकारी के विश्लेषण से पता चला है कि बीते एक साल में छह राष्ट्रीय पार्टियों की कुल कमाई में 2300 करोड़ रुपये यानी 166 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इसमें आधी से ज्यादा कमाई चुनावी बॉन्ड के जरिए आई.

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Indien Parlamentswahlen
तस्वीर: DW/P. Samanta

भारत में आर्थिक तरक्की की रफ्तार भले ही सुस्त हो, लेकिन राजनीतिक दलों की आमदनी पर इसका कोई असर नजर नहीं आता. बीते एक साल में छह राष्ट्रीय पार्टियों की कुल आमदनी में 2300 करोड़ रुपये की बढ़त दर्ज की गई है. चुनाव सुधारों के लिए काम करने वाले गैर-सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने यह जानकारी दी है. एडीआर ने यह जानकारी पार्टियों के आयकर रिटर्न से हासिल की है जिसकी जानकारी सभी पार्टियों को चुनाव आयोग को देनी होती है. 

राष्ट्रीय पार्टियों में बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी, एनसीपी, सीपीआई, सीपीएम और तृणमूल कांग्रेस शामिल हैं. इनमें से एनसीपी ने अभी तक अपने आय और व्यय की जानकारी सार्वजनिक नहीं की है.

बाकी छह पार्टियों ने वित्त वर्ष 2018-19 में कुल 3,698.66 रुपये की आय घोषित की. इनमें सबसे ज्यादा आय बीजेपी ने घोषित की. पार्टी को 2410.08 करोड़ रुपये की आमदनी हुई, जो सभी पार्टियों की कुल आय का 65.16 प्रतिशत है. ये पिछले वित्त वर्ष में पार्टी द्वारा कमाई गई धनराशि में 1382. 74 करोड़ यानी 134.59 प्रतिशत का इजाफा है. 

Indien Wahl 2019 | Westbengalen, Anhänger der Bharatiya Janata Party
तस्वीर: DW/S. Bandopadhyay

आमदनी के मामले में 918.03 करोड़ रुपये के साथ दूसरे नंबर पर कांग्रेस रही. ये सभी पार्टियों की कुल आय का 24.82 प्रतिशत है. ये पिछले वित्त वर्ष की कमाई के मुकाबले 718.88 करोड़ यानी 360.97 प्रतिशत की बढ़ोतरी है.

प्रतिशत के लिहाज से देखें तो आय में सबसे ज्यादा वृद्धि तृणमूल कांग्रेस ने दर्ज की. पार्टी ने पिछले वित्त वर्ष में महज 5.167 करोड़ रुपये कमाए थे लेकिन वित्त वर्ष 2018-19 में पार्टी ने 192.65 करोड़ रुपये कमाए, जो 3628.47 प्रतिशत की वृद्धि है. 

पार्टियों के खर्च की तरफ ध्यान दें तो नजर आता है कि बीजेपी ने अपनी 2410.08 करोड़ रुपये की आय में से सिर्फ 41.71 प्रतिशत यानी 1005.33 करोड़ रुपये खर्च किए. वहीं कांग्रेस ने अपनी कुल आय में से 51.19 प्रतिशत, तृणमूल कांग्रेस ने महज 5.97 प्रतिशत और सीपीएम ने अपनी कुल आय का 75.43 प्रतिशत खर्च किया.

Mamta Banerjee
तस्वीर: Prabhakar Mani Tiwari

चुनावी बॉन्ड की तमाम आलोचनाओं के बावजूद, पार्टियों की कमाई में चुनावी बॉन्ड का बड़ा हाथ रहा है. छह राष्ट्रीय पार्टियों की कुल आय में से 52 प्रतिशत से भी ज्यादा चुनावी बॉन्ड से आई. छह राष्ट्रीय पार्टियों में से अकेले बीजेपी, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड से कुल 1931.43 करोड़ रुपये हासिल किए. इनमें से बीजेपी ने 1450.89 करोड़ रुपये, कांग्रेस ने 383.26 करोड़ और तृणमूल कांग्रेस ने 97.28 करोड़ रुपये कमाए.

एडीआर का कहना है कि चुनावी बॉन्ड राष्ट्रीय पार्टियों को चंदा देने का सबसे लोकप्रिय जरिया बन गया है क्योंकि उसके तहत चंदा देने वाले का नाम गुप्त रहता है. क्षेत्रीय पार्टियों ने भी चुनावी बॉन्ड से 490.59  करोड़ रुपये कमाए. 

एडीआर ने यह भी कहा है कि कुछ राष्ट्रीय पार्टियों ने चुनावी बॉन्ड योजना की कड़ी आलोचना की है और उस पर काफी चिंता जताई है. लेकिन विडंबना यह है कि इन पार्टियों ने भी चुनावी बॉन्ड के जरिये चंदा लिया है. एक राष्ट्रीय पार्टी ने तो योजना के खिलाफ एक जनहित याचिका भी दायर की है.

Symbolbild - indische Rupie
तस्वीर: Getty Images

मोदी सरकार वित्त वर्ष 2017-18 में चुनावी बॉन्ड योजना को ले कर आई थी. सरकार की दलील थी कि इससे चुनावी फंडिंग में कालेधन का इस्तेमाल खत्म होगा और चुनाव लड़ने वाली पार्टी साफ धन का इस्तेमाल कर पाएगी. हालांकि राजनीतिक विश्लेषक इस बात से सहमत नहीं हैं कि बॉन्ड से राजनीति स्वच्छ होगी. उनका मानना है कि जो भी दल सत्ता में रहेगा, उसके खाते में ही अधिक राशि जाने की संभावना बनी रहेगी.

कई छोटे दलों का कहना है कि आमतौर पर लोग छोटे दलों को नकद में ही चंदा देते हैं और बॉन्ड की योजना की वजह से उन्हें चंदा मिलना कम हो जाएगा या बंद हो जाएगा.

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