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ब्रिटेन का इंतजार मिटा, मरे आसमान पर

११ सितम्बर २०१२

सोमवार को आखिरकार ब्रिटेन का लंबा इंतजार खत्म हुआ. जिस देश ने आधुनिक टेनिस को शक्ल दी उसे अपना चैम्पिनयन भी मिला. पूरे 76 साल बाद पुरुषों के सिंगल्स ग्रैंड स्लैम का ताज ब्रिटेन के सिर सजा, मरे आसमान पर.

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लकड़ी के रैकेट और लंबी ट्राउजर पहन कर टेनिस खेलते पुरुषों से जुड़े चुटकुलों के दिन खत्म हुए और 1936 में आखिरी बार ग्रैंड स्लैम जीतने वाले ब्रिटिश खिलाड़ी फ्रेड पेरी की आत्मा को जरूर शांति मिल गई होगी. 25 साल के एंडी मरे के लिए भी यह एक बेहद लंबा और दुखदायी इंतजार था. अपने में गुम रहने वाले, शर्मीले एंडी मरे ने बहुत लंबे समय तक ब्रिटिश उम्मीदों का बोझ अपने कंधों पर उठाए रखा.

चार बार ग्रैंड स्लैम का फाइनल हारने के बाद "चोकर" कहे जाने लगे मरे ने सोमवार की शाम अमेरिकी ओपन के मौजूदा चैम्पियन नोवाक जोकोविच को रोमांचक पांच सेटों में शिकस्त दे कर आलोचकों का मुंह बंद किया और खुद पर उठने वाली शंकाओं को हमेशा के लिए खत्म कर दिया है. 

Olympia London 2012 Tennis Männer
तस्वीर: dapd

जीत के बाद एंडी मरे ने कहा, "मुझसे इसके बारे में बार बार पूछा गया, जब भी मैं ग्रैंड स्लैम जीतने के करीब आया. मुझे उम्मीद है कि इससे कुछ बच्चों को टेनिस खेलने की प्रेरणा मिलेगी और साथ ही यह धारणा खत्म होगी कि ब्रिटिश टेनिस खिलाड़ियों की सांस रुक जाती है, वे जीतते नहीं या फिर कि यह अच्छा खेल नहीं."

London 2012 Andy Murray Tennis
तस्वीर: Reuters

2010 में जब एंडी मरे ऑस्ट्रेलियाई ओपन के फाइनल में हारे तो रो पड़े. इसी साल जुलाई में जब विंबलडन में फेडरर ने उन्हें फिर हराया तो उनकी सुबकियां सबने सुनी. सोमवार को न्यूयॉर्क के नेशनल टेनिस सेंटर की चमकती रोशनी में एक बार फिर उनकी आंखों से मोती झड़े लेकिन इस बार उनमें खुशियों की चमक थी. उनके कांधों ने हार का बोझ झटक कर 7-6 7-5 2-6 3-6 6-2 से जीत अपने नाम कर ली. मरे ने कहा, "जाहिर है कि यह बहुत भावुक लम्हा है. मैं कोर्ट में थोड़ा रो भी पड़ा पर मैं उदास नहीं हूं, मैं तो बेहद खुश हूं. मुझे इस आखिरी बाधा को पार करने के बाद सुकून मिल गया है."

इस साल की शुरुआत में एंडी मरे ने पूर्व नंबर एक टेनिस खिलाड़ी इवान लेंडल से टेनिस की कोचिंग लेनी शुरू की और इसके साथ ही उनके खेल में बदलाव आना शुरू हो गया. वह बन्नी ऑस्टिन के बाद पहले खिलाड़ी बने जो विंबलडन के फाइनल तक पहुंचे. हालांकि वह मैच तो नहीं जीत सके लेकिन एक सेट जरूर अपने नाम किया. इसके कुछ ही हफ्तों बाद उन्होंने रोजर फेडरर को शिकस्त दे कर ओलंपिक का सोना जीता. मरे कहते हैं, "ओलंपिक मेरे लिए बहुत बड़ा था, यह मेरे जीवन का सबसे बड़ा हफ्ता था. हालांकि अभी भी जब मैं मैच के पहले लॉकर रूम में सिर पर हाथ धरे बैठा था तो मेरे मन में बहुत शंकाएं थीं."

इस एक जीत के साथ ही एंडी मरे का भविष्य बेहद चमकदार हो गया है. एक तरफ फेडरर का सूरज अस्त हो रहा है तो दूसरी तरफ रफायल नडाल के घुटने उन्हें परेशान कर रहे हैं, ऐसे में मरे और जोकोविच ही हैं जो आने वाले दौर के लिए टेनिस के दो सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी के रूप में फिलहाल नजर आ रहे हैं.

एनआर/आईबी (रॉयटर्स)

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