अफगानिस्तान के लिए जिंदगी देने वाले जापानी डॉक्टर की हत्या
५ दिसम्बर २०१९डॉ. नाकामूरा अफगानिस्तान के एक सूखा प्रभावित गांव में बच्चों के लिए क्लीनिक चलाते थे. बुधवार को एक अज्ञात बंदूकधारी ने गोली मार कर उनकी हत्या कर दी. हमलावर गाड़ी पर सवार था जिसमें पांच अन्य लोग भी थे.
73 साल के डॉक्टर नाकामूरा की हत्या पर अफगानिस्तान के संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन ने कहा, "हम जलालाबाद में सम्मानित समाजसेवी डॉ. टेट्सू नाकामूरा की हत्या की कड़ी निंदा करते है और शोक प्रकट करते हैं. जिस व्यक्ति ने अपना पूरा जीवन अफगानिस्तान के लोगों के लिए जिया, उसके खिलाफ ऐसी हिंसा समझ से परे है "
अफगानिस्तान में डॉक्टर नाकामूरा कई दशक से काम कर रहे थे. लोगों का इलाज करने के दौरान उनका ध्यान 2000 के सूखे के बाद के हालात पर गया, जिसके बाद उन्होंने बोरवेल बनाने का काम किया. जापान और अफगानिस्तान में नदियों के बीच समानताओं को देखते हुए उन्हें सिंचाई के लिए नहर बनाने का ख्याल आया. 2003 में काम शुरू हुआ और 50 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में काम करने और छह साल की मेहनत के बाद नहर को पूरा किया गया. तब से इसने 16 हजार हेक्टेयर बंजर जमीन को हरा भरा किया है.
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अक्टूबर में जापान के एनएचके टीवी से बात करते हुए डॉ. नाकामूरा ने कहा, "डॉक्टर के तौर पर मरीजों का इलाज कर उन्हें घर भेजने से बेहतर कुछ नहीं है." उन्होंने कहा "अस्पताल, मरीजों का एक- एक कर इलाज करता है, इससे पूरे गांव को मदद मिलती है. मुझे ऐसे गांव को देखना बहुत पंसद है जिसे फिर से जीवनदान मिला हो."
अपने इंटरव्यू में उन्होंने कहा, "आप बच्चों की चीखें वेंटिग रूम में सुनते हैं, लेकिन जब तक आप पहुंचते हैं तो वे मर चुके होते हैं. ये रोज होता है. वो कुपोषण के इतने ज्यादा शिकार हैं कि डायरिया जैसी बीमारियां उनको मार सकती हैं. मुझे लगता है, साफ पानी और उपयुक्त खाना उन मरीजों को बचाया सकता था."
सन 2003 में डॉक्टर नाकामूरो को रैमन मैग्सेसे पुरस्कार से नवाजा गया, जिसे एशिया का नोबल पुरस्कार कहा जाता है. यही नहीं ,उनके काम को देखते इसी साल के शुरू में अफगानिस्तान सरकार ने उन्हे "अफगान नागरिकता" दी. इसे हासिल करने वाले पहले विदेशी नागरिक बने.
पश्चिमी जापान में जन्मे नाकामूरा ने डॉक्टरी की पढ़ाई करने के बाद 1984 में कुष्ठ रोग के इलाज के लिए पाकिस्तान के पेशावर में काम किया. यहीं उन्होंने उन अफगान शरणार्थियों का इलाज किया जिन्हें 1979 में अफगानिस्तान पर सोवियत हमले के बाद सीमापार पाकिस्तान आना पड़ा था. इसी के बाद नाकामूरा को 1991 में अफगानिस्तान में क्लीनीक खोलने की प्रेरणा मिली.
एसबी/एके (रॉयटर्स)
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