बेरूत में हमले, ईरानी राजनयिक की मौत
१९ नवम्बर २०१३सुबह सवेरे ये दोनों धमाके शिया बहुल इलाके जनाह में हुए. हमले से ईरानी दूतावास की तीनमंजिली इमारत बुरी तरह बर्बाद हो गई. अभी यह पता नहीं लग पाया है कि क्या पड़ोसी देश सीरिया में चल रहे तनाव का इन हमलों से कुछ लेना देना है. लेकिन हाल के दिनों में हिजबुल्लाह के गढ़ में कई बार हमले हुए हैं और जानकारों का कहना है कि सुन्नी कट्टरपंथी बदला लेने की कार्रवाई के तहत इन पर निशाना साध रहे हैं. सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद को हिजबुल्लाह के लड़ाकों का समर्थन हासिल है. वहां सुन्नी विरोधी ढाई साल से भी ज्यादा से असद सरकार को उखाड़ फेंकने की कोशिश कर रहे हैं.
बेरूत में हमले के बाद ईरान के राजदूत गजंफर रोकनाबादी ने मारे गए दूत की पहचान शेख इब्राहीम अंसारी के तौर पर की है. हिजबुल्लाह के अल मनार टीवी से बात करते हुए रोकनाबादी ने बताया कि अंसारी ने महीने भर पहले ही अपना पदभार संभाला था और वे इलाके के सभी सांस्कृतिक गतिविधियों पर नजर रख रहे थे. लेबनान के स्वास्थ्य मंत्री अली हसन खलील ने बताया कि 23 लोगों की मौत हो गई है और हमलों में लगभग डेढ़ सौ लोग घायल हैं.
हमले के बाद सड़क पर मलबा फैलने लगा और वहां जमा लोगों में दहशत फैल गई. वे इधर उधर भागने लगे. सड़कों पर खड़ी कारों में भी आग लग गई. दूसरा धमाका ईरानी इमारत से कुछ ही मीटर दूर पर हुआ. वीडियो फुटेज में देखा जा सकता है कि दमकलकर्मी आग बुझाने की कोशिश कर रहे हैं और वहां अस्त व्यस्त हालत में लाशें बिखरी हुई हैं. बुरी तरह जली हुई एक मोटरसाइकिल इमारत के बाहर खड़ी है.
दूतावास के एक सशस्त्र गार्ड ने बताया कि समझा जाता है कि पहला धमाका आत्मघाती था और हो सकता है कि हमलावर मोटरसाइकिल पर सवार होकर आया हो, जिसने बाद में खुद को विस्फोट से उड़ा लिया हो. उसका कहना है कि दूसरा धमाका और भी खतरनाक था और हो सकता है कि वह एक कार बम रहा हो. लेबनान के अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की है कि दोनों ही हमले आत्मघाती हमले थे. इस बीच हिजबुल्लाह के सांसद अली मिदकाद ने अल मयादीन टीवी पर कहा, "हम हमलावरों को बताना चाहते हैं कि वे हमें तोड़ नहीं सकते हैं. हमें संदेश मिल गया है. हमें पता चल गया है कि उन्हें किसने भेजा और हमें यह भी पता है कि हमें क्या करना है."
आम लोगों से रक्तदान की अपील की जा रही है और कहा जा रहा है कि हर ग्रुप के खून की दरकार है. सीरिया के संघर्ष में राष्ट्रपति अल असद को ईरान का पक्का समर्थन हासिल है, जो 2011 से ही उसे पैसे और हथियार मुहैया करा रहा है.
एजेए/एमजी (एपी, एएफपी)