बीसीसीआई का सबसे बड़ा टेस्ट
३१ मई २०१३पिछले दशक में भरपूर पैसे से मालामाल हुआ बीसीसीआई क्रिकेट की दुनिया की सबसे बड़ी ताकत बन कर उभरा था लेकिन 10 साल के अंदर उसकी छवि तार तार होने लगी, जहां भ्रष्टाचार के अलावा पक्षपात और राजनीति की चर्चा खेल से ज्यादा हो रही है.
सरकारी नियंत्रण से पूरी तरह बाहर भारत के क्रिकेट बोर्ड ने पिछले साल एक अरब डॉलर का प्रसारण अधिकार बांटा है. लेकिन स्पॉट फिक्सिंग का मामला सामने आने के बाद सार्वजनिक तौर पर इसकी छवि बड़ी खराब होती जा रही है. इसके प्रमुख एन श्रीनिवासन किसी तरह अपनी कुर्सी बचाने की कोशिश कर रहे हैं, जिनके दामाद गुरुनाथ मायप्पन को फिक्सिंग कांड में गिरफ्तार किया जा चुका है.
अपनी अपनी फिक्र
ज्यादातर खिलाड़ी और क्रिकेट अधिकारी खुल कर श्रीनिवासन के खिलाफ नहीं बोल रहे हैं क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं उन्हीं का पत्ता न कट जाए लेकिन अब धीरे धीरे बीसीसीआई प्रमुख पर दबाव बढ़ता जा रहा है. पूर्व टेस्ट कप्तान बिशन सिंह बेदी का कहना है, "मुझे ताज्जुब है कि खेल अधिकारियों के इतिहास में सबसे ज्यादा प्रभावशाली और घमंडी व्यक्ति मौजूदा अध्यक्ष है और जिसका लगातार मजाक उड़ाया जा रहा है."
बेदी की ही तरह बीसीसीआई के पूर्व प्रमुख शरद पवार भी चाहते हैं कि श्रीनिवासन गद्दी छोड़ दें, "यह बेहतर होगा कि अगर श्रीनिवासन पद छोड़ दें क्योंकि बीसीसीआई पहले ही आईपीएल स्कैंडल में बुरी तरह फंस चुका है. इस साल के सभी मैचों की जांच की जानी चाहिए." पवार को क्रिकेट जगत का सबसे ताकतवर व्यक्ति माना जाता है.
पूर्व बोर्ड प्रमुख शशांक मनोहर, एसी मुथैया और आईएस बिंद्रा ने भी इस पर सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं. मनोहर का कहना है, "बीसीसीआई को फौरन एक आपराधिक मुकदमा दर्ज करना चाहिए और मांग की जानी चाहिए कि इस साल के आईपीएल के सभी मैचों की जांच हो. हो सकता है कि इसके बाद तीन नहीं, बल्कि 13 खिलाड़ी दोषी मिलें. लेकिन जांच होनी चाहिए."
आईपीएल में फिक्सिंग
भारत के पूर्व गेंदबाज श्रीसंत सहित राजस्थान रॉयल्स के तीन खिलाड़ियों को स्पॉट फिक्सिंग के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, जिन पर पैसे लेकर खेल में धोखा देने का आरोप है. भारत के खेल मंत्री ने कहा है कि नैतिक आधार पर श्रीनिवासन को इस्तीफा देना चाहिए क्योंकि उनके रिश्तेदार इस मामले में गिरफ्तार हुए हैं.
इन सबके बीच भारतीय क्रिकेट बोर्ड के अनियंत्रित अधिकार और इसकी संरचना पर सवाल उठ रहे हैं. यह सिर्फ भारतीय क्रिकेट ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी बोर्ड की स्वच्छंदता दिखाती है. मिसाल के तौर पर रिव्यू सिस्टम, जिसके लिए पूरी दुनिया के क्रिकेट बोर्ड रजामंद हैं, लेकिन भारत नहीं.
भारतीय क्रिकेट बोर्ड की ताकत इतनी ज्यादा हो गई है कि यह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बोर्ड को भी प्रभावित करने से नहीं चूकता. पिछले महीने इसने अपने पूर्व खिलाड़ी लक्ष्मण शिवरामाकृष्णन को जबरन आईसीसी की एक कमेटी में शामिल कराया.
नेताओं की घेराबंदी
जहां तक राजनीतिक दबाव की बात है, इसका सवाल ही नहीं उठता क्योंकि ज्यादातर पार्टियों के नेता बोर्ड में घुले मिले हैं और जब क्रिकेट की बात आती है तो कोई किसी पर सवाल नहीं उठाता. आईपीएल कमिश्नर राजीव शुक्ला कांग्रेस के नेता और केंद्रीय मंत्री हैं. बीसीसीआई के उपाध्यक्ष अरुण जेटली बीजेपी के कद्दावर नेता हैं और शरद पवार केंद्रीय मंत्री हैं.
अगर कीर्ति आजाद और बिशन सिंह बेदी या अशोक मल्होत्रा जैसे खिलाड़ी विरोध करते हैं, तो उन्हें वित्तीय नुकसान पहुंचाने की धमकी देकर चुप करा दिया जाता है. हाल ही में बीसीसीआई ने पूर्व खिलाड़ियों को भारी भरकम पेंशन देने का फैसला किया है और "विद्रोह" के नाम पर कुछ खिलाड़ियों को इससे दूर रखा गया था, जिन्हें करोडो़ं रुपयों की वजह से बाद में बोर्ड से समझौता करना पड़ा.
एजेए/एमजी (एपी)