बच्चे को कोई गंभीर बीमारी तो नहीं, इसका पता लगाने के लिए भ्रूण की कोशिकाओं की जांच की जाती है. इसके लिए खास तरह की तकनीक यानी प्री इंप्लाटेंशन जेनेटिक डायग्नोसिस का इस्तेमाल होता है. दुनिया भर में ये तकनीक नब्बे के दशक में ही शुरू हो गई थी लेकिन जर्मनी में इसी साल से इसका प्रयोग शुरू हुआ है. आइए जाने क्या मुश्किले हैं.