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बहुत दिनों तक नौसिखिया रहना संभव नहीं

१६ जनवरी २०१४

कांग्रेस अधिवेशन से पहले इस साल होने वाले संसदीय चुनावों में पार्टी का नेतृत्व करने के लिए राहुल गांधी पर दबाव बढ़ गया है.

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Indien Politik Rahul Gandhi
तस्वीर: Tauseef Mustafa/AFP/Getty Images

शुक्रवार को दिल्ली के तलकटोरा स्टेडियम में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति (एआईसीसी) का अधिवेशन होने जा रहा है और उसके पहले बृहस्पतिवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बुलाई गई है. राजनीतिक हलकों में यह चर्चा जोरों पर है कि शुक्रवार को कांग्रेस अपने उपाध्यक्ष राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर सकती है. इस चर्चा के जोर पकड़ने का कारण हिन्दी समाचारपत्र ‘दैनिक भास्कर' में मंगलवार को प्रकाशित राहुल गांधी का वह इंटरव्यू है जिसमें उन्होंने पहली बार अपने प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की संभावना से इन्कार नहीं किया है. उनका कहना है कि पार्टी उन्हें जो भी जिम्मेदारी सौंपेगी उसे वह पूरी निष्ठा के साथ पूरा करेंगे. कांग्रेस के भीतर यूं भी बहुत दिनों से दिग्विजय सिंह जैसे वरिष्ठ नेता राहुल गांधी में भावी प्रधानमंत्री को देखते रहे हैं. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह स्वयं कई बार कह चुके हैं कि यदि राहुल गांधी प्रधानमंत्री बनते हैं तो उन्हें खुशी होगी और राहुल में प्रधानमंत्री बनने की पूरी योग्यता है.

लेकिन कांग्रेस के भीतर इस मुद्दे पर तीन किस्म की राय है. कुछ नेताओं का मानना है कि नरेंद्र मोदी के चुनाव अभियान का प्रभावी ढंग से जवाब देने के लिए अब कांग्रेस के लिए जरूरी हो गया है कि वह भी उनके सामने राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में खड़ा करे. विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार और आम आदमी पार्टी के उदय के बाद कांग्रेस कार्यकर्ता बहुत हताश महसूस कर रहे हैं और उन्हें लगता है कि यदि राहुल गांधी नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव अभियान की कमान संभालें तो संगठन मजबूत होगा और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा. अनेक स्थानों पर पहले भी कार्यकर्ता यह मांग उठा चुके हैं कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद के दावेदार के रूप में पेश किया जाए. अक्सर लोग उनसे यह सवाल पूछते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार तो नरेंद्र मोदी हैं, कांग्रेस का उम्मीदवार कौन है, और वे इसका कोई जवाब नहीं दे पाते. इसलिए अब अनिश्चय को छोड़ कर पार्टी को इस बारे में फैसला ले लेना चाहिए.

Indien Delhi Nationalist Congress Party Singh Rahul Gandhi
तस्वीर: picture-alliance/dpa

यूं भी मनमोहन सिंह स्पष्ट कर चुके हैं कि प्रधानमंत्री के रूप में यह उनकी अंतिम पारी है. राहुल गांधी के बहुत नजदीकी माने जाने वाले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह का कहना है कि लोकसभा में जो सांसद चुनकर आएंगे, वे ही प्रधानमंत्री चुनेंगे. लेकिन यह तर्क अधिकांश कार्यकर्ताओं के गले नहीं उतरता क्योंकि सांसदों ने तो मनमोहन सिंह को भी नहीं चुना था. उन्हें प्रधानमंत्री की कुर्सी पर तो पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बैठाया. कांग्रेस की सहयोगी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला का भी यही विचार है कि अब कांग्रेस को ढुलमुल रवैया छोड़ कर राहुल गांधी की उम्मीदवारी घोषित कर देनी चाहिए.

इसके विपरीत कुछ वरिष्ठ नेताओं की राय में इस समय राहुल गांधी की उम्मीदवारी घोषित करना ठीक नहीं होगा क्योंकि चुनाव से कई महीने पहले ही वह नरेंद्र मोदी और अन्य विपक्षी दलों के निशाने पर आ जाएंगे और बहुत संभव है कि चुनाव आते-आते उनके व्यतित्व पर सवालिया निशान लगने लगें. नरेंद्र मोदी मनमोहन सिंह पर कई बार बेहद कड़े और अशालीनता की सीमा तक जाने वाले प्रहार कर चुके हैं. राहुल गांधी उनकी वक्तृता का भी मुक़ाबला नहीं कर सकते और अर्थनीति पर भी उनके बयान अक्सर सुचिंतित नहीं लगते. इसलिए अभी से उनके नाम की घोषणा करना उन्हें बेमतलब परेशानी में डालना होगा. चुनाव से ठीक पहले उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने से एकाएक पार्टी कार्यकर्ताओं में जो जोश पैदा होगा उसका तत्काल लाभ लिया जा सकेगा. राहुल गांधी पर सबसे पहला कड़ा हमला बृहस्पतिवार को उनकी चाची और बीजेपी नेता मेनका गांधी ने किया है और नरेंद्र मोदी को शेर और राहुल को चिड़िया बताते हुए कांग्रेस की करारी हार की भविष्यवाणी की है. उधर पार्टी में सांसद संजय निरूपम जैसे लोग भी हैं जो कह रहे हैं कि राहुल गांधी को तत्काल प्रधानमंत्री के पद पर बैठा दिया जाना चाहिए क्योंकि प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह पार्टी को चुनावी माहौल में नेतृत्व नहीं दे सकते.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

शुक्रवार को हो रहे एआईसीसी के अधिवेशन में राहुल गांधी की उम्मीदवारी घोषित हो या न हो, पर यह तो स्पष्ट ही है कि कांग्रेस के पास इस समय उनके अलावा और कोई ऐसा नाम नहीं है जिस पर नेतृत्व और कार्यकर्ताओं के बीच आम राय हो. उन्हें पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने की भी अटकलें लग रही हैं. लेकिन कांग्रेस बहुत दिनों तक उनकी उम्मीदवारी की घोषणा करने को टाल नहीं पाएगी क्योंकि चुनाव से पहले अनिश्चितता किसी भी दृष्टि से ठीक नहीं मानी जा रही. उनके उम्मीदवार बनने से देश की राजनीति में, और विशेष रूप से कांग्रेस में, एक नए युग की शुरुआत होगी. यह उनके लिए कठिन परीक्षा की घड़ी भी होगी क्योंकि उन्हें अपने नेतृत्व की प्रभविष्णुता को सिद्ध करना होगा. पहले उन्हें पार्टी को इस स्थिति में ले जाने के लिए जी तोड़ कोशिश करनी होगी कि वह सरकार बनाने का दावा पेश कर सके. यदि कांग्रेस के नेतृत्व में फिर से सरकार बन भी गई, तो राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के रूप में अपनी योग्यता सिद्ध करनी होगी और देश का नेतृत्व करना होगा. इसमें अन्य पार्टियों के साथ संबंध बनाने और बढ़ाने का काम भी होगा. राहुल गांधी को सक्रिय राजनीति में आए एक दशक हो रहा है. बहुत दिनों तक नौसिखिया बने रहना अब उनके लिए संभव नहीं होगा.

ब्लॉग: कुलदीप कुमार

संपादन: महेश झा

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