बर्लिन की मस्जिदें
जर्मनी की राजधानी बर्लिन में 80 से ज्यादा मस्जिदें हैं. देखने में वे चाहे पारंपरिक हों या आधुनिक, राजधानी के ये प्रार्थनागृह सामाजिक बहुलता का हिस्सा हैं.
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बर्लिन के विल्मर्सडॉर्फ इलाके में घरों के बीच जर्मनी की सबसे पुरानी मस्जिद है. ताजमहल से प्रेरित अहमदिया मस्जिद जर्मन आर्किटेक्ट कार्ल आउगुस्ट हैरमन ने डिजाइन की थी. यह 1928 में शुरू की गई.
संरक्षित स्मारक
अहमदिया मस्जिद में समय के निशान देखे जा सकते हैं. दूसरे विश्व युद्ध में इसे काफी नुकसान पहुंचा था. युद्ध के बाद लाहौर में चंदा इकट्ठा कर इसकी मरम्मत करवाई गई. 1993 से यह संरक्षित स्मारक है.
मीनारों वाली मस्जिद
पूर्वी बर्लिन के हाइनर्सडॉर्फ में एक और अहमदिया मस्जिद है. खदिजा मस्जिद में पश्चिमी और इस्लामी कला का मिश्रण देखा जा सकता है. बाउहाउस संरचना के साथ पारंपरिक गुंबद और 12.5 मीटर ऊंची मीनार भी है.
सबसे बड़ी
नॉयकोएल्न इलाके में सेहितलिच मस्जिद में सांस्कृतिक केंद्र भी है. बर्लिन की इस मस्जिद में एक साथ 1,500 लोग नमाज पढ़ सकते हैं. 2012 में राष्ट्रपति बनने के बाद योआखिम गाउक यहां आए थे.
कब्रिस्तान
सेहितलिच मस्जिद और इसके साथ जुड़ी कब्रिस्तान 1980 के दशक में बनाई गई थी. बाद में इसका विस्तार किया गया. प्रशिया के राजा विलहेल्म प्रथम ने 1866 में ही यह जमीन बर्लिन के तुर्क समुदाय को दी थी.
सांस्कृतिक आदान प्रदान
सेहितलिक समुदाय गैर इस्लामी लोगों को साथ लेने के लिए तरह तरह के आयोजन और कार्यक्रम करता है.
इस्लामी केंद्र
पहली नजर में पता ही नहीं चलता कि ये मस्जिद है. उमर इब्न अल खताब नाम की ये मस्जिद बर्लिन के क्रॉएत्सबर्ग में है. ये इस्लामी मशारी केंद्र का हिस्सा हैं. यहां मस्जिद के अलावा दुकानें, कैफे, और ट्रैवल एजेंसी भी हैं.
वुजू की परंपरा
शानदार दीवारें और छत माशारी केंद्र के तहखाने का हिस्सा है. यहां महिलाओं और पुरुषों के वुजू के लिए अलग अलग कमरे हैं. नमाज के पहले नमाजी यहां अपने हाथ पैर धोते हैं.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय
शानदार झूमर वाले कमरे में एक साथ एक हजार लोग नमाज पढ़ सकते हैं. स्क्रीनों पर अरबी प्रार्थना का जर्मन और तुर्की अनुवाद दिखता है.