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फारूक, लोन को पुलिस ने नहीं माराः बट

४ जनवरी २०११

जम्मू कश्मीर में हुर्रियत नेता अब्दुल गनी बट ने कहा कि दो अलगाववादी नेता और उनके भाई की मौत पुलिस की गोली के कारण नहीं हुई बल्कि उनके अपने लोगों ने उन्हें मारा. राज्य सरकार ने कहा कि बहुत देर से यह स्वीकार किया.

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तस्वीर: UNI

जम्मू कश्मीर की सरकार का कहना है कि हुर्रियत कॉन्फरेंस ने यह तथ्य बहुत देर से स्वीकारा है और इसकी जांच की मांग की है ताकि जिम्मेदारी तय की जा सके. हुर्रियत कॉन्फरेंस के पूर्व अध्यक्ष अब्दुल गनी बट ने कहा, "हत्या में कोई पुलिस शामिल नहीं थी बल्कि हमारे खुद के ही लोग थे जिन्होंने उन्हें मारा." वह एक सेमीनार को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि मीरवाइज मोहम्मद फारूक और अब्दुल गनी लोन की 2002 में हुई हत्या और उनके भाई मोहम्मद सुल्तान भट की हत्या के बारे में सच बोल दिया जाए. सुल्तान बट की हत्या 1995 में हुई थी जबकि लोन और फारूक की हत्या गोली मार कर की गई थी. हत्यारों को पहचानने के बारे में बट का कहना है, "उनकी पहचान करने की क्या आवश्यकता है, वह तो पहले से ही जाने पहचाने हैं."

मोहम्मद फारूक हुर्रियत कॉन्फरेंस के मध्यमार्गी धड़े के चेयरमन मीरवाइज उमर फारूक के पिता थे. 21 मई 1990 के दिन मोहम्मद फारूक की हत्या उनके घर पर की गई थी जबकि लोन को 2002 में 21 मई के दिन ही एक रैली में गोली मारी गई थी.

पहले अलगाववादी नेताओं ने इसके लिए सुरक्षा बलों को जिम्मेदार ठहराया था. बट के बयान पर हुर्रियत किसी नेता ने अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है. उस समय सरकार ने कहा था कि हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर मोहम्मद अब्दुल्लाह बांगरू ने मोहम्मद फारूक को मारा जबकि अल उमर मुजाहिदीन के कमांडर ने लोन पर गोली चलाई. हिज्बुल मुजाहिदीन हुर्रियत के कट्टरपंथी धड़े का समर्थन करता है जबकि अल उमर को मीरवाइज के नेतृत्व वाली आवामी एक्शन कमेटी का आतंकी गुट माना जाता है.

गिलानी ने इस पर किसी तरह की टिप्पणी नहीं दी है. जम्मू कश्मीर के डीजीपी कुलदीप खोडा ने कहा कि मीरवाइज फारूक की हत्या करने वाला संभावित व्यक्ति भी शहीदों वाली कब्र में ही दफनाया गया है, वहीं जहां सीनियर मीरवाइज की कब्र है. खोडा का मानना है कि यह कड़वा सच घाटी के लोगों को बताया ही जाना चाहिए.

रिपोर्टः पीटीआई/आभा एम

संपादनः एस गौड़

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