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पार्टियों को सबसे ज्यादा चंदा कॉरपोरेट से

महेश झा२६ दिसम्बर २०१४

भारत में राजनीतिक दलों का खर्चा सदस्यों की फीस से नहीं बल्कि व्यावसायिक घरानों के चंदों से चलता है. चुनाव सुधारों के लिए सक्रिय वाली संस्था एडीआर का कहना है कि राजनीतिक दलों का 90 फीसदी चंदा कॉरपोरेट जगत से आता है.

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तस्वीर: Getty Images

लोकतांत्रिक सुधारों के लिए संघर्ष करने वाली संस्था एडीआर का कहना है कि राजनीतिक पार्टियां चुनाव प्रचार और रोजमर्रा के खर्च के लिए मुख्य रूप से चंदों पर निर्भर है. ये चंदे कॉरपोरेट जगत, गैरलाभकारी ट्रस्टों और एकल व्यक्तियों से मिलते हैं. एडीआर के अनुसार 2013-14 में पार्टियों को मिले चंदे का करीब आधा हिस्सा दिल्ली, महाराष्ट्र और गुजरात से आया. ये जानकारी पार्टियों द्वारा चुनाव आयोग को सौंपी गई रिपोर्ट पर आधारित हैं. बीजेपी ने अब तक अपना ब्योरा नहीं दिया है.

भारत के जनप्रतिनिधित्व कानून के अनुसार राजनीतिक दलों को किसी व्यक्ति या संस्था से मिले 20,000 रुपये से ज्यादा के चंदे के बारे सूचना देनी होती है. राजनीतिक दलों ने इसकी व्याख्या यह की है कि वह किसी व्यक्ति द्वारा एक बार में मिले 20,000 रुपये से ज्यादा के चंदे के बारे में ही जानकारी देगी. इसके अलावा उन्होंने चंदे की रसीद देने के बदले कूपन देने की व्यवस्था की है जिसकी वजह से चंदे के स्रोत का पता करना मुश्किल हो जाता है.

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तस्वीर: AP

चुनाव आयोग को दी गई ताजा जानकारी के अनुसार 2013-14 में राष्ट्रीय पार्टियों को 881 लोगों या संस्थाओं से करीब 77 करोड़ रुपये मिले. एक साल पहले के मुकाबले कांग्रेस को मिला चंदा 12 करोड़ से बढ़ कर 60 करोड़ रुपया हो गया. बीजेपी ने इस साल का ब्योरा नहीं दिया है लेकिन 2012-13 में उसे अकेले ही 83 करोड़ मिले थे. बीजेपी को परंपरागत रूप से दूसरी पार्टियों के मुकाबले ज्यादा चंदा मिलता है. 2007-10 के दौरान उसे कांग्रेस के 158 करोड़ के मुकाबले 520 करोड़ मिले थे. पिछले संसदीय चुनावों में बीजेपी ने जिस तरह से प्रचार पर खर्च किया है, उससे अनुमान लगाया जा सकता है कि उसे इस बार भी अच्छा चंदा मिला होगा.

चुनाव आयोग को चंदे की रिपोर्ट देने की आखिरी तारीख 30 नवम्बर थी. एडीआर का कहना है कि 45 मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय पार्टियों में सिर्फ 17 ने अपनी रिपोर्ट जमा कराई है. बीजेपी अकेली राष्ट्रीय पार्टी है, जिसने इस तारीख तक रिपोर्ट जमा नहीं कराई लेकिन एआईडी के अनुसार सभी राष्ट्रीय पार्टियों ने चुनाव आयोग के फॉर्मेट का इस्तेमाल नहीं किया है. कांग्रेस को 182 चंदे बैंक ट्रांसफर से मिले हैं, लेकिन दान देने वालों का पैन नंबर नहीं है. इसकी वजह से धन के स्रोत का पता करना मुश्किल है. बीएसपी अकेली पार्टी है जिसने कहा है कि उसे 20,000 रुपये से ज्यादा का एक भी चंदा नहीं मिला है.