पानी वाला बल्ब और बिजली वाला पेंट
१० मई २०१३तकनीक शब्द सुनते ही भारी भरकम मशीनें या जटिल समीकरण ध्यान में आते हैं, लेकिन फिलिपींस के युवा रिसर्चरों ने बल्ब बनाने की सस्ती और आसान तकनीक खोजी है. उन्होंने प्लास्टिक के खाली बोतलों में सिर्फ पानी भरकर 45 वॉट के बल्ब जैसी रोशनी का इंतजाम किया है. बिजली के बल्ब के मुकाबले यह बहुत सस्ता भी है.
साथ ही ब्राजील के जंगलों की भी चर्चा की गई है. विश्व के पांचवें सबसे बड़े देश ब्राजील में जंगल अंधाधुंध रफ्तार से काटे जा रहे हैं. लकड़ी कारोबारियों की वजह से फ्रांस के आकार जितने जंगल नष्ट हो चुके हैं. लेकिन अब जंगल साफ करने वालों को गलती का अहसास हो रहा है. ईंट भट्ठी चलाने वाले एक ब्राजिलियाई कारोबारी के उदाहरण से मंथन में बताया गया है कि जंगल काटने वाले अब किस तरह भूल सुधारने की कोशिश कर रहे हैं.
पर्यावरण पर काम करते भारतीय
करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत समुद्र से हुई. लेकिन जलवायु परिवर्तन इसे तेजी से बदल रहा है. कार्बन डायोक्साइड और मीथेन जैसी गैसें समुद्री जीवन को बदल रही हैं. सेंटर फॉर ट्रॉपिकल मरीन इकोलॉजी यानी जेडएमटी के वैज्ञानिकों ने अपनी प्रयोगशाला में प्रशांत महासागर जैसी परिस्थिति तैयार की है. तकनीक की मदद से तैयार इस जगह पर रिसर्च चल रही है कि किस तरह पर्यावरण बदलने से समुद्र को हो रहे नुकसान को टाला जा सकता है. हमारी टीम ने इस संस्था का दौरा किया और खास तौर पर मंथन के लिए रिपोर्ट तैयार की.
जेडएमटी ब्रेमन जैसे संस्थाओं में भारतीय छात्रों की भी बड़ी भूमिका है. हमने ब्रेमन में काम कर रही एक भारतीय रिसर्चर पर रिपोर्ट तैयार की है. इसमें बताया गया है कि किस तरह पूरी दुनिया के छात्र संस्थान के साथ मिलकर जलवायु परिवर्तन के खतरों से लड़ रहे हैं. रिसर्च की मदद से भारतीय वैज्ञानिक शिली डेविड भारतीय नदियों को प्रदूषण मुक्त करना चाहती है.
कैसे आएं जर्मनी
जर्मनी में उच्च शिक्षा और रिसर्च के मौके तलाश रहे भारतीय छात्रों की सुविधा के लिए जर्मनी के प्रतिष्ठित माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट में काम कर रहे एक रिसर्चर विवेक हलदर से बातचीत भी कार्यक्रम में है. विवेक बता रहे है कि जर्मनी में पढ़ाई करने की चाहत रखने वाले छात्रों को किस तरह तैयारी करनी चाहिए. विवेक ने दाखिले की प्रक्रिया, समय सीमा, छात्रवृत्ति और पढ़ाई के बारे में विस्तार से बताया हैं.
बिजली बनाने वाली दीवारें
कार चलाते वक्त बेहद सावधानी की जरूरत होती है और कई बार अगर कोई अचानक सामने आ जाए, तो टक्कर टालना मुश्किल हो जाता है. जर्मन कार उद्योग हर साल रिसर्च पर 20 अरब यूरो यानी करीब 14 खरब रुपये खर्च करता है और इसका नतीजा साफ दिखता भी है. तकनीक और इंजीनियरिंग के लिहाज से जर्मन कारें मानक तय करती हैं. अब इसे एक सीढ़ी ऊपर ले जाते हुए मर्सिडीज कार बनाने वाली कंपनी डायमलर तो कारों में टक्कर टालने वाला वॉर्निंग सिस्टम लगा रही हैं.
कार्यक्रम में इस बार भविष्य के खास पेंट पर भी रिपोर्ट है. अब तक दीवारों की सुरक्षा और सुंदरता के लिए उन पर पेंट किया जाता है. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने ऐसा तरीका निकाला है, जिससे पेंट से ऊर्जा तैयार हो सकेगी. रंगाई पुताई के लिए इस्तेमाल होने वाला पेंट भविष्य में बिजली की किल्लत दूर करने में भी काम आएगा. ब्रिटेन की एक कंपनी एक ऐसा खास पेंट तैयार कर रही है जो सूरज की रोशनी से बिजली बनाएगा और उसे बहाएगा भी.
ये सब रिपोर्टें आप देख सकते हैं मंथन के इस अंक में शनिवार सुबह 10:30 बजे, डीडी-1 पर. कार्यक्रम से जुड़े सुझाव, सवाल और आलोचनाएं आप हमें फेसबुक के जरिए भेज सकते हैं.
रिपोर्टः ईशा भाटिया
संपादनः आभा मोंढे