कृषि कानूनों के खिलाफ मुख्यमंत्री धरने पर
२८ सितम्बर २०२०पंजाब कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों का केंद्र बना हुआ है. राज्य की राजनीति में सक्रिय तीनों ही पार्टियां, सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्ष में बैठी अकाली दल और आम आदमी पार्टी, नए कानूनों के खिलाफ हैं और तीनों के बीच विरोध के प्रदर्शन को लेकर होड़ लगी हुई है. अकाली दल शुरू में कानूनों के समर्थन में था लेकिन पंजाब में राजनीति के गरमा जाने पर विरोध में इतना कड़ा रुख अपना लिया कि पहले केंद्र सरकार से इस्तीफा दिया और फिर एनडीए गठबंधन से भी. अमरिंदर सिंह के धरने को इसी होड़ में दूसरी पार्टियों को आगे निकल जाने से रोकने की दिशा में एक प्रयास माना जा रहा है.
28 सितंबर को स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह का जन्म दिन मनाया जाता है और पंजाब में उनके प्रतिष्ठित दर्जे को देखते हुए मुख्यमंत्री भगत सिंह के पैतृक गांव खटकर कलां में धरने पर बैठेंगे. धरना शुरू करने से पहले उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने तीनों कानूनों पर हस्ताक्षर कर उन्हें अपनी मंजूरी दे दी है.
मीडिया में आई खबरों के अनुसार सिंह ने कहा कि राष्ट्रपति की मंजूरी से किसानों को एक बड़ा धक्का लगा है जो केंद्र द्वारा उनके हितों पर किए गए हमले के खिलाफ सड़क पर उतरे हुए हैं. उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा स्वरूप में इन कानूनों के लागू होने से पंजाब की अर्थव्यवस्था की जीवन-रेखा यानी कृषि बर्बाद हो जाएगी. सिंह ने यह भी कहा है कि उनकी सरकार कानूनी विशेषज्ञों से भी सलाह ले रही है और जानने की कोशिश कर रही है कि क्या राज्य सरकारें राज्य के कानूनों में बदलाव कर के किसानों को केंद्र के इन कानूनों के दुष्प्रभाव से बचा सकती हैं. संविधान में कृषि राज्यों की सूची में है यानी राज्य सरकारों को उस से संबंधित कानून और नीति बनाने का पूरी अधिकार है.
इसी बीच देश के अलग अलग कोनों में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन अभी भी चल रहे हैं. दिल्ली में कुछ किसानों ने सोमवार सुबह विरोध में एक ट्रैक्ट्रर को आग लगा दी.
कर्नाटक में किसान संगठनों ने सोमवार को राज्य व्यापी बंद बुलाया है. कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल ने कहा है कि वो इन कानून के खिलाफ छत्तीसगढ़ विधान सभा में प्रस्ताव ले कर आएंगे.
रविवार 27 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम "मन की बात" में तीनों कानूनों का समर्थन किया और कहा कि अब किसानों के पास अपना उत्पाद देश में कहीं भी और किसी को भी बेचने की शक्ति है. उन्होंने कहा कि 2014 में जब फलों और सब्जियों को एपीएमसी कानून की परिधि से बाहर निकाला था उसके बाद किसानों को अपने फलों और सब्जियों को मंडियों के बाहर भी जहां चाहें वहां बेचने की सुविधा मिली थी.
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