नई तकनीक, पुरानी खोज
२६ जून २०१३दूर से देखो तो ऐसा लगता है जैसे शोनिंगन शहर के बीचों बीच एक यूएफओ उतरी हो. यह यूएफओ नहीं, बल्कि शोनिंगन में पालेओन शोध संस्थान की इमारत है. यहां पहुंचे दर्शक तीन लाख साल पहले के मानव जीवन के बारे में और करीब से जान सकेंगे.
शोनिंगन के भाले भी इसी प्रदर्शनी का हिस्सा हैं. उस वक्त आदिमानव इसका इस्तेमाल घोड़ों के शिकार के लिए करता था और शोनिंगन में जैसे ही इनकी खोज हुई, वैसे ही यह भाले देश भर में मशहूर हो गए. 1994 में पुरातत्वविद हार्टमूट थीमे ने संयोग से इन्हें ढूंढ निकाला- कुछ ही दिनों बाद इलाके में भूरे कोयले का खनन होने लगा.
पुरातत्वविद तो इन भालों से खुश हैं ही, लेकिन इससे मानव जाति के बारे में भी कई बातें उभर आईं. होमो इरेक्टस मानव विकास का अंतिम चरण माना जाता है और यह अपनी पीठ सीधी करके चल सकता था. शोनिंगन के भाले चलाने वाले आदिमानव होमो हाइडेलबर्गेंसिस की प्रजाति के थे जो होमो इरेक्टस के बाद विकसित हुए और जिनमें शिकार करने की और खाना जमा करने की क्षमता थी. भालों से यह खास बात पता चली है कि यह आदिमानव एक लक्ष्य तय कर सकते थे और आपस में इसे लेकर संपर्क कर सकते थे.
लोअर सेक्सनी राज्य के मुख्यमंत्री ने प्रदर्शनी के उद्घाटन के दौरान कहा, "सोचने में अच्छा लगता है कि हमारे पूर्वज गुर्राने वाले जीव नहीं थे बल्कि शुरुआत से ही साथ मिलकर काम करने में विश्वास रखते थे." पालेओन में संग्रहालय के प्रमुख फ्लोरियान वेस्टफाल कहते हैं कि वह इन प्राचीन खोजों को बहस का मुद्दा बनाना चाहते हैं. मेहमानों को पहले 30 मीटर लंबी दीवार में आदिमानव के जीवन को दर्शाने वाली तस्वीरें दिखाई जाती हैं. छोटी स्क्रीनों में उस वक्त के बारे में जानकारी देने वाली फिल्में भी हैं और टचस्क्रीन के जरिए आदिमानव के वजन, उसकी उम्र या उस वक्त जानवरों के खतरे के बारे में बताया जाता है.
एक दूसरी दीवार पर खोज की जगह का एक नक्शा बनाया गया है. दर्शक जान सकते हैं कि किन जगहों पर भाले पाए गए. प्रदर्शनी में आदिमानव समाज का भी चित्रण है. प्रदर्शनी की आयोजक गाब्रीयेले जिप्फ कहती हैं, "बड़े शहर में रहने वाला व्यक्ति आजकल दिन में 1000 लोगों से मिल लेता है. उस वक्त आदिमानव दिन में 20 या ज्यादा से ज्यादा 25 लोगों से मिलता था,"
प्लास्टिक से बने एक बड़े घोड़े के बाद दर्शक भाले देख सकते हैं. इनमें से सबसे सुंदर भाले को एक अलग सी अलमारी में सजाया गया है. हैनोवर में एक भाले को भविष्य के लिए ध्यान से रखा गया है. वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में शायद ऐसे तकनीक विकसित हों जिससे और कई नई चीजों का पता चले.
एमजी/एएम (डीपीए)