धूम है जर्मनी में क्रिसमस बाजारों की
६ दिसम्बर २०१०क्रिसमस के एक महीने पहले से जर्मनी के बड़े शहरों में दशकों से क्रिसमस बाजार लगते हैं. जर्मनी के सबसे बड़े त्योहार से पहले ये बाजार न सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए बल्कि देश विदेश के पर्यटकों के लिए भी सबसे बड़ा आकर्षण हैं. ड्रेसडेन का क्रिसमस मेला जर्मनी में सबसे पुराना क्रिसमस मेला है, इस साल 576वीं बार हो रहा है.
जर्मनी की राजधानी बर्लिन में करीब 60 छोटे बड़े क्रिसमस बाजार लगते हैं. डाउनटाउन बर्लिन के जेंडार्मेनमार्क्ट का यह बाजार पर्यटकों में लोकप्रिय है.
कोलोन का कैथीड्रल डोम के नाम से विख्यात है. डोम के परिसर में लगने वाला क्रिसमस मेला कोलोन कैथीड्रल का हिस्सा लगता है.
हैम्बर्ग का क्रिसमस मेला शहर के टाउनहॉल के ठीक सामने लगता है.
रॉश्टॉक शहर जर्मनी के पूर्वी हिस्से का महत्वपूर्ण गोदी नगर था जो पूरी दुनिया के साथ नौमार्ग से जुड़ा था और दुनिया भर के नाविकों में लोकप्रिय था. रॉश्टॉक का क्रिसमस मेला नौका चलाने की परंपराओं को भी दिखाता है.
माइन्स शहर का कैथोलिक गिरजा डोम भी देश के अहम कैथीड्रलों में गिना जाता है. शहर का क्रिसमस मेला डोम के सामने लगता है.
जर्मनी के पूर्वी शहर एयरफुर्ट का क्रिसमस मेला न्यूरेमबर्ग और म्यूनिख के क्रिसमस मेलों के साथ देश के सबसे बड़े मेलों में शुमार होता है. वहां हर साल बीस लाख से अधिक लोग मेला देखने जाते हैं.
लाइपजिग शहर का क्रिसमस मेला शहर के टाउनहॉल के सामने लगता है. आयोजकों का कहना है कि ढ़ाई सौ से ज्यादा दुकानों के साथ वह देश के बड़े मेलों में शामिल है.
लोवर सेक्सनी की राजधानी हनोवर अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों के लिए जानी जाती है. वहां का क्रिसमस मेला शहर के ऐतिहासिक ओल्ड सिटी इलाके में लगता है.
क्वेडलिनबुर्ग जर्मनी के पूर्वी हिस्से में हार्त्स पहाड़ियों में बसा है और अपने फाखवैर्कहाउसों के लिए जाना जाता है. विशेष प्रकार के लकड़ियों के घरों का शहर होने के कारण वह यूनेस्को की सूची में शामिल है.
जर्मनी के पश्चिमी हिस्से के गोदी नगरों में ब्रेमेन भी है. वहां का क्रिसमस मेला टाइन हॉल के सामने लगता है.
लुइबेक शहर का क्रिसमस मेला. क्रिसमस मेलों के समय ठेलों पर बननेवाले पूए पकवानों और गरम गरम ग्लूवाइन की धूम होती है. अगर बर्फबारी हुई हो तो गरम गरम ग्लूवाइन पीने का मजा ही कुछ और होता है.
जर्मनी की वित्तीय नगरी फ्रैंकफुर्ट के पारंपरिक क्रिसमस मेले में घूमते सैकड़ों लोग.
कई शहरों में मध्ययुगीन क्रिसमस मेले भी लगते हैं जहां रोशनी के लिए बिजली का उपयोग नहीं किया जाता. बाजार में दुकानें और लोगों की वेशभूषा मध्ययुगीन होती है.
संकलन: महेश झा
संपादन: एस गौड़