धूप में झुलस रही हैं व्हेल मछलियां
१० नवम्बर २०१०व्हेल मछलियां दुनिया भर के समुद्रों में पाई जाती हैं और सांस लेने, दूसरी मछलियों से मिलने जुलने और अपने बच्चों को खिलाने पिलाने के लिए समुद्र की सतह पर आती हैं. जब वे समुद्री सतह पर होती हैं तो उनकी पीठ खुले में होती है जिस पर सूरज की किरणें पूरे तेज के साथ गिरती हैं और वह भी कई कई घंटों तक.
जीव विज्ञान केंद्र, लंदन यूनिवर्सिटी और मेक्सिको के समुद्र विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने 2007, 2008 और 2009 में जनवरी से जून तक मेक्सिको की कैलिफॉर्निया खाड़ी में 1500 नीले व्हेल, फिन व्हेल और स्पर्म व्हेल का अध्ययन किया. उन्होंने उनकी हाइ डेफिनिशन तस्वीरें लीं और चमड़ी के नमूने लिए जिनकी माइक्रोस्कोप से जांच की गई.
उन्होंने व्हेल मछलियों पर छालों के घाव पाए जो इंसानों में धूप में झुलसने से होने वाले घावों जैसे थे. समय बीतने के साथ उनकी हालत बिगड़ती गई जैसा कि शरीर पर अधिक मात्रा में अल्ट्रा वायलेट किरणें गिरने से होता है.
इसका सबसे बुरा असर उन व्हेलों पर था जो अपना अधिकतर समय खुले समुद्र पर सूरज की किरणों के नीचे में गुजारते हैं. बुरी तरह प्रभावित विलुप्त होने के खतरे का सामना कर रहे नीले व्हेल भी हैं जिनका चमड़ी पतली होती है. मेक्सिको की खाड़ी में अल्ट्रा वायलेट किरणों का स्तर साल भर ऊंचे से लेकर अत्यंत ऊंचे तक रहता है.
लंदन की जूलोजिकल सोसायटी की लाउरा मार्टिनेज-लेवासौर कहती हैं, "नीले व्हेल में दिखा चमड़े का नुकसान चिंताजनक है, लेकिन इस समय यह साफ नहीं है कि इसकी वजह क्या है. एक संभावित उम्मीदवार ओजोन परत के नष्ट होने या बादलों के स्तर में परिवर्तन से अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन में वृद्धि है."
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: वी कुमार