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तेलंगाना पर तनाव

३० जुलाई २०१३

भारत में अलग राज्य तेलंगाना पर एलान का वक्त नजदीक आने के साथ तनाव भी बढ़ता रहा. इसका समर्थन और विरोध करने वाले खेमे दिल्ली में जम चुके हैं जबकि सुरक्षा के लिए पलटनें आंध्र प्रदेश भेजी जा रही हैं.

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तस्वीर: NOAH SEELAM/AFP/Getty Images

लोकसभा के 2014 चुनाव से पहले कांग्रेस और यूपीए इस पर फैसला करना चाहती है और इसी सिलसिले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और दूसरे नेताओं से मुलाकात कर रही हैं.

लंबे वक्त से आंध्र प्रदेश को तोड़ कर अलग तेलंगाना राज्य बनाने की मांग चल रही है, जिसकी वजह से राज्य में कई बार तनाव के हालात भी पैदा हुए हैं. भारत में आईटी का एक बड़ा केंद्र भी आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद है. भारतीय मीडिया लगातार रिपोर्टें दे रही है कि सरकार ने अलग तेलंगाना के एलान का फैसला कर लिया है, हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर किसी तरह का एलान नहीं हुआ है. आंध्र प्रदेश से दोनों पक्षों के नेता दिल्ली में जमा हो रहे हैं और कांग्रेस पर अपनी अपनी मांग का दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

Indien Telangana Protest Juni 2013
तस्वीर: NOAH SEELAM/AFP/Getty Images

अलग अलग खेमे

राज्य के केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों ने दिल्ली में डेरा डाल दिया है, जिनमें मानव संसाधन विकास मंत्री एमएम पल्लम राजू, जेडी सीलम, डी पुरंदेशवरी और पनाबाका लक्ष्मी शामिल हैं.

सीमांध्र इलाके के नेता राजू का कहना है, "मैं समझता हूं कि कोर कमेटी ने इस मुद्दे पर गहरी बात की है. और शायद उन्हें इस बात का डर है कि वे जो भी फैसला करेंगे, उसके आंध्र प्रदेश पर दूरगामी परिणाम हो सकते हैं. हम इस बारे में अपनी बात बताने आए हैं." मीडिया की कयासबाजी पर उन्होंने कहा कि "कुछ भी हो जाए, हम कांग्रेस के साथ ही बने रहेंगे."

इस बीच राज्य मंत्रिमंडल के 10 नेता भी दिल्ली पहुंच चुके हैं, जो आला नेताओं से बात करना चाहते हैं. बताया जाता है कि मुख्यमंत्री किरण रेड्डी अलग राज्य के हक में नहीं हैं. आंध्र की सूचना मंत्री डीके अरुणा का कहना है, "आखिरी फैसला तो सोनिया गांधी और यूपीए सरकार को लेनी है."

क्या है तेलंगाना

इस शब्द का मतलब "तेलुगू लोगों की जमीन" है. तेलंगाना कभी निजाम हैदराबाद के शासन का हिस्सा था, जिसे 1956 में आंध्र स्टेट के साथ मिला दिया गया. लेकिन तभी से इसके अलग होने का अभियान भी शुरू हो गया. तेलंगाना में राजधानी हैदराबाद सहित 10 प्रमुख जिले हैं. सरकार ने बीच का रास्ता निकालने की सूरत में हैदराबाद को कुछ दिनों तक केंद्र शासित प्रदेश बनाने का संकेत दिया है, जो दोनों राज्यों की राजधानी का काम कर सकता है. जैसे चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा की राजधानी है.

Indien Telangana Protest Juni 2013
तस्वीर: NOAH SEELAM/AFP/Getty Images

अगर इसे अलग राज्य बनाया जाता है, तो यह भारत का 29वां राज्य होगा. इससे पहले 2000 में छत्तीसगढ़, झारखंड और उत्तराखंड राज्य बनाए गए थे. इसमें खास तौर पर खेती की वह जमीन शामिल होगी, जहां हाल के दिनों में काफी अकाल पड़े हैं और यहां के लोगों का दावा है कि सरकार ने उन पर ध्यान नहीं दिया. फिलहाल आंध्र प्रदेश भारत का पांचवां सबसे बड़ा राज्य है और यहां लोकसभा की 42 सीटें हैं.

यूपीए सरकार ने सत्ता में आने के बाद ही तेलंगाना को अलग राज्य बनाने का वादा किया और इस सिलसिले में 2009 में एलान भी कर दिया. लेकिन कई दिनों तक हिंसक प्रदर्शनों के बाद दिसंबर 2009 में इस फैसले को टाल दिया गया.

तनाव की आशंका

ताजा फैसले के बाद आंध्र प्रदेश में एक बार फिर तनाव की संभावना है. केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने हालांकि भरोसा दिया है, "आंध्र प्रदेश में कानून व्यवस्था बिलकुल ठीक है."

केंद्र ने 1000 अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों को आंध्र प्रदेश भेजा है, जो वहां किसी अप्रिय घटना से निबट सकते हैं. वहां पहले से भी 1200 अर्धसैनिक बल तैनात हैं. यूपीए सरकार जो भी फैसला लेगी, उसके बाद वहां तनाव हो सकता है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि वे राज्य सरकार के संपर्क में हैं ताकि किसी भी स्थिति से निबटा जा सके.

एजेए/एमजी (पीटीआई, एएफपी)