तेंदुओं से मुंबई को खतरा
१४ फ़रवरी २०१३हाल में भारत में तेंदुओं के हमले से कई जानें गईं जिसने खतरे की घंटी बजा दी है. आजादी से घूम रहे तेंदुओं को बंद करके रखना भारत में जरूरी दिखाई दे रहा है. लेकिन सवाल यह भी है कि तेंदुओं से उनकी आजादी भी तो छीनी जा रही है.
ताजा मामला मुंबई का है. आदर्श नगर के पास रहने वाले 12 साल के लड़के पर हाल में तेंदुए ने हमला कर दिया और उसकी जान चली गई. डॉयचे वेले से बात करते हुए उनके पड़ोसी ने बताया, "यह पानी का कंटेनर है जिसे वह नहाने के लिए लाया था और वहां उसकी चप्पलें पड़ी हैं. वह अपनी जान बचाने के लिए हाथ पैर मार रहा था लेकिन तेंदुए ने इतनी मोहलत नहीं दी और वह उसे खींच कर ले गया." उन्होंने बताया कि गांव से सैकड़ों लोग हथियार लेकर मदद के लिए भागे और लड़के को ढूंढते रहे. लगभग तीन घंटे बाद लड़के की लाश मिली और वहीं पर तेंदुआ भी था. उन्होंने बताया कि तेंदुए ने लड़के की गर्दन और चेहरे को बुरी तरह चबा लिया था. लोग पत्थर मार कर तेंदुए को भगाने की कोशिश करते रहे लेकिन उसने लड़के के शरीर को नहीं छोड़ा.
बताया जाता है कि ऐसे हमले तेंदुए तब करते हैं जब उन्हें अंधेरे में कोई बच्चा अकेला मिल जाता है. छोटे बच्चे का शरीर उन्हें किसी जानवर जैसा दिखता है.
हमलों की बढ़ती संख्या
तेंदुओं के हमले मुंबई और आसपास के इलाकों में लगातार बढ़ रहे हैं. शहर के बाहरी इलाकों में फैल रहा मानव जनजीवन इसका कारण है. इलाके में तेंदुए पहले से रह रहे हैं. अब शहर का विस्तार उनके लिए भी उनके इलाके में घुसपैठ जैसा है. सिर्फ पिछले साल में ही ऐसे आठ हमले हुए थे.
तेंदुओं के ज्यादातर शिकार जंगलों के पास वाले इलाकों में रहने वाले गरीब परिवारों के बच्चे हैं. वेटनरी डॉक्टर अजय देशमुख मानते हैं कि तेंदुए इन इलाकों में गांव वालों की बकरियों और दूसरे छोटे जानवरों का शिकार करने आते हैं और कई बार बच्चे उनका शिकार हो जाते हैं. देशमुख ने डॉयचे वेले को बताया कि तेंदुओं का पसंदीदा शिकार कुत्ता है. आवारा कुत्तों की संख्या में हाल में काफी बढ़ोतरी हुई है ऐसे में वे शिकार के लिए आसानी से मिल जाते हैं.
तेंदुओं और मानव के बीच संबंधों के विशेषज्ञ सुनेत्रो घोषाल ने बताया कि इन हमलों ने गांव वालों में बहुत दहशत फैला दी है और वे अधिकारियों से इसके खिलाफ कड़ा कदम उठाने की मांग कर रहे हैं. घोषाल मानते हैं कि इससे सरकार को यह तो समझ आ रहा है कि सिर्फ जानवरों को एक जगह से दूसरी जगह भेज देने से दिक्कत हल नहीं होती. बल्कि समस्या भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंच जाती है.
तेंदुओं के लिए अभयारण्य या जेल?
आम तौर पर तेंदुओं को पकड़ कर और उन पर मुहर लगा कर जंगलों में छोड़ दिया जाता है. अगर वे इंसानों के लिए समस्या साबित होते हैं तब उन्हें पकड़ कर अभयारण्य में रहने भेज दिया जाता है. मुंबई से 150 किलोमीटर दूर ऐसी ही एक जगह मानिकदोह लेपर्ड रेसक्यू सेंटर है. यहां तेंदुओं को रखने के लिए विशालकाय पिंजरे हैं जिनमें करीब 30 तेंदुए कैद हैं.
देशमुख ने बताया कि इनमें दो मादा तेंदुए हैं, जया और जिया. भारी भरकम शरीर पर सुनहरे बालों वाली जया और जिया बहुत खूबसूरत हैं लेकिन दुर्भाग्य से वे कभी आजादी का जीवन नहीं बिता पाएंगी.
क्या है उपाय
रिसर्चर कोशिश कर रहे हैं कि ऐसा उपाय निकले, जिससे खतरा भी टल जाए और तेंदुओं की आजादी भी न छीनी जाए. इसके लिए उनकी वीडियो निगरानी या फिर बाड़े की बिजली के तारों से घेराबंदी करने जैसे उपाय का परीक्षण भी चल रहा है.
फिलहाल सवाल यह है कि अभी जंगलों के करीब बसे इन इलाकों में समस्या से कैसे निपटा जाए. घोषाल मानते हैं कि जानवरों से तो हम बहुत समझदारी की उम्मीद नहीं कर सकते लेकिन खुद इन इलाकों के लोगों, खास कर बच्चों को सावधान रहना होगा.
रिपोर्टः लक्ष्मी नारायण/एसएफ
संपादनः ए जमाल