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टेस्ट ट्यूब बेबी के लिए नोबेल

५ अक्टूबर २०१०

बच्चों के लिए तड़पने वाले लाखों लोगों के लिए उम्मीद की रोशनी दिखाने वाले ब्रिटिश वैज्ञानिक को नोबेल पुरस्कार दिया जाएगा. टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक के लिए रॉबर्ट एडवर्ड्स को चिकित्सा का नोबेल देने की घोषणा हुई.

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रॉबर्ट एडवर्ड्सतस्वीर: AP

स्वीडन ने कैरोलिंस्का संस्थान ने 85 वर्षीय एडवर्ड्स की तारीफ करते हुए लिखा है कि उन्होंने दुनिया के बहुत से लोगों की जिंदगी में खुशियां भरी हैं. इन-वट्रो फर्टीलाइजेशन (आईवीएफ) तकनीक के जनक कहे जाने वाले एडवर्ड्स को पुरस्कार के तहत एक करोड़ स्वीडिश क्राउन (15 लाख डॉलर) की राशि दी जाएगी. एडवर्ड्स की खोज को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में मील का पत्थर माना जाता है.

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लूईज़े ब्राउन का जन्मतस्वीर: AP

आईवीएफ तकनीक की शुरुआत 1978 में हुई. तब से इसके जरिए चालीस लाख बच्चे पैदा हुए हैं. एडवर्ड्स ने पैट्रिक स्टेप्टो को साथ मिल कर इस तकनीक का आविष्कार किया. स्टेप्टो का 1988 में 74 साल की उम्र में निधन हो गया. इन दोनों वैज्ञानिकों ने चर्च और मीडिया के तीखे विरोध के बावजूद अपनी खोज को आगे बढ़ाया. यही नहीं, वैज्ञानिकों के बीच भी इसे लेकर मतभेद थे.

कैरोलिंस्का संस्थान के मुताबिक, "उनकी खोज के कारण बांझपन की समस्या का इलाज संभव हुआ. यह ऐसी समस्या है जिससे दुनिया भर में 10 प्रतिशत शादीशुदा जोड़े प्रभावित हैं."

1968 में महिला रोग विशेषज्ञ एडवर्ड्स और स्टेप्टो ने शरीर से बाहर अंडों को फर्टिलाइज करने का तरीका विकसित किया. कैब्रिज यूनिवर्सिटी में काम करते हुए उन्होंने बांझ माओं में भ्रूण को बदलना शुरू कर दिया. लेकिन कुछ गर्भ तभी गिर भी गए. बाद में पता चला कि उनमें हार्मोंस को सही तरीके से नहीं संभाला गया. 1977 में उन्होंने एक नए तरीके से कोशिश की जिसमें हार्मोंस की बजाय सही वक्त पर भरोसा किया गया. 25 जुलाई 1978 को लूईज़े ब्राउन इस तकनीक से पैदा होने वाली पहली बच्ची थी.

बहुत से लोगों का शक था कि क्या टेस्ट ट्यूब बेबी आम बच्चों की तरह पलेगा बढ़ेगा. कैरोलिंस्का संस्थान का कहना है, "बहुत से अध्ययन इस बात को साबित कर चुके हैं कि टेस्ट ट्यूब बेबी दूसरे बच्चों की तरह ही सेहतमंद और सामान्य जीवन बिताते हैं." एडवर्ड्स और स्टेप्टो ने 1980 में कैब्रिज में पहला आईवीएफ क्लिनिक बनाया. इसके बाद तो ब्रिटेन, अमेरिका और पूरी दुनिया में इस तकनीक से हजारों बच्चे पैदा हुए.

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1982 में एक टीवी शो के दौरान लुईज़ेतस्वीर: AP

एडवर्ड्स के क्लीनिक ने उनके हवाले से कहा, "जीवन में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपके बच्चों हों. इससे बड़ी और कोई बात नहीं है." नोबेल पुरस्कार की घोषणा के बाद एडवर्ड्स से संपर्क नहीं हो सका है. नोबेल कमेटी के सदस्य गोरान हंससोन का कहना है, "दुर्भाग्य से प्रोफेसर एडवर्ड्स की तबीयत ठीक नहीं है. मैंने उनकी पत्नी से बात की है और वह यह खबर सुन कर बहुत खुश थीं. उन्हें विश्वास है कि एडवर्ड्स भी यह जान कर खुश होंगे."

हर साल दिए जाने वाले नोबेल पुरस्कारों में सबसे पहले चिकित्सा क्षेत्र के नोबेल पुरस्कार की घोषणा होती है. इसके बाद बारी बारी से भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र, साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र के क्षेत्रों में अहम योगदान देने वाले नोबेल विजेताओं के नामों की घोषणा होती है. यह पुरस्कार डायनामाइट की खोज करने वाले स्वीडिश वैज्ञानिक और उद्योगपति अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत के तहत दिए जाते हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः महेश झा

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