टाइगर मंदिर के पीछे छुपी सच्चाई
आमतौर पर टाइगर या तो आपको चिड़ियाघरों में दिखते हैं या जंगल सफारी पर. लेकिन क्या आपने दक्षिणपूर्व एशिया की इस विवादित जगह के बारे में सुना है, जिसे टाइगर टेंपल कहते हैं.
पश्चिमी थाईलैंड के कंचनाबुरी में एक मठ और वन्यजीव पार्क है. पर्यटकों में यह सालों से टाइगर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध रहा है. यहां नारंगी पोशाक पहने बौद्ध भिक्षुओं के आस-पास बाघ या उनके शावकों का दिखना आम बात है.
दूर दूर से पर्यटक यहां भारी कीमत चुका कर टाइगर्स के पास जाने, उन्हें छूने, उनके साथ तस्वीरें खिंचवाने पहुंचते रहे हैं. इस कारण जंगलों में आजाद रहने के बजाए इन जानवरों को अपना समय कैद में बिताना पड़ता है.
दुनिया भर के कई वन्यजीव संरक्षक इस मठ पर उंगलियां उठाते रहे हैं. उनका मानना है कि यहां जंगली जानवरों को पालतू बनाने की जबरन कोशिश होती है ना कि किसी तरह की पूजा. इसके अलावा बाघ के अंगों की तस्करी का भी आरोप था.
मंदिर से खतरे में पड़ी प्रजातियों के शरीर के हिस्से और उत्पाद भी मिले. कई दशकों से जारी विरोध के स्वरों के कारण अब स्थिति बदल रही है. थाई प्रशासन ने इस मंदिर को दिया गया चिड़ियाघर का लाइसेंस रद्द कर दिया है.
जून 2016 में ही थाईलैंड के वन्यजीव विभाग ने मॉनेस्टरी से 137 टाइगरों को जब्त किया. उन्हें वहां 40 फ्रीजर में जमाए हुए और 20 बोतलों में बंद बाघ के बच्चों के शव मिले.
यहां से टाइगरों को बेहोश कर सरकारी आश्रयों में पहुंचाया जा रहा है. टेंपल प्रशासन सरकार पर उन्हें तंग करने का आरोप लगा रहा है.
टाइगर मंदिर पर वन्यजीव तस्करी के आरोप हैं और उस पर बंद होने का खतरा मंडरा रहा है. मंदिर के कर्मचारियों पर बाघों के साथ गलत व्यवहार करने, उनकी हत्या कर बाघ की त्वचा, मांस और हडिडयां बेचने का आरोप है. यह सब थाईलैंड में गैरकानूनी है.