'जिहादियों से भी गंभीर नक्सली समस्या'
१२ मार्च २०१०गृह मंत्री पी चिदंबरम ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय सरकार को क़ानूनन अधिकार है कि माओवादी प्रभाव वाले इलाक़ों में ज़रूरत के हिसाब से सेना का इस्तेमाल करे और माओवादियों के प्रभाव वाले इलाकों को फिर से अपने नियंत्रण में ले. उनका कहना था कि बातचीत तभी हो सकती है जब माओवादी हिंसा पूरी तरह से ख़त्म करेंगे.
नक्सलवाद को गृह मंत्री ने जिहादी समस्या से भी ज़्यादा गंभीर बताया. चिदंबरम ने माओवादियों के साथ प्रभावशाली ढंग से निपटने के प्रति प्रतिबद्धता जताई. भारतीय गृह मंत्री के अनुसार माओवादियों का लक्ष्य सशस्त्र संघर्ष करना है और वो ये सिर्फ़ सत्ता पर क़ब्ज़ा करना चाहते हैं.
माओवादियों से बातचीत के संदर्भ में चिदंबरम ने कहा कि माओवादी एक साधा बयान क्यों नहीं देते कि हम हिंसा छोड़ रहे हैं.
"ऐसी स्थिति में सरकार को पूरा अधिकार है कि वह जितनी ज़रूरत हो उतनी सेना का इस्तेमाल माओवादी प्रभाव वाले इलाकों पर नियंत्रण के लिए करे.
हमें पूरा विश्वास है कि यूपीए सरकार का कार्यकाल ख़त्म होने से पहले हम नक्सलवादियों को पूरी तरह से ख़त्म कर देंगे और अपनी सुरक्षा को काफ़ी मज़बूत कर लेंगे."
चिदंबरम का कहना था, "माओवादियों ने भारत सरकार के ख़िलाफ़ संघर्ष शुरू किया है वे विकास के विरुद्ध हैं. वे नहीं चाहते कि ग़रीबों का विकास हो या फिर वे आर्थिक तौर पर मज़बूत हों."
पिछले ही दिनों माओवादी नेताओं और सरकार के बीच काफ़ी आरोप प्रत्यारोप हुए. कई बड़ी हस्तियों ने भी सरकार से कहा कि वह माओवादियों के ख़िलाफ़ सैनिक अभियान रोक दे. झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल उड़ीसा में हाल ही के दिनों में माओवादी बहुत सक्रिय हुए हैं. ये सभी इलाके प्राकृतिक संसाधनों वाले इलाके हैं यहां से सरकार को काफ़ी आय होती है लेकिन सुविधा और विकास के नाम पर इन्हें कुछ नहीं मिलता.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा मोंढे