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आतंकवाद

साहेल में जिहादियों से टकराएगा "ताकूबा"

५ नवम्बर २०२०

अफ्रीका के साहेल प्रांत में फ्रांस की पहल पर विशिष्ट यूरोपीय सिपाहियों का एक नया जिहादी विरोधी दस्ता आकार ले रहा है. इसका नाम है टास्क फोर्स ताकूबा और फिलहाल यह दस्ता माली के विशिष्ट फौजी दस्तों की मदद कर रहा है.

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Mali FAMA Soldaten
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Jocard

अफ्रीका में उत्तरी माली के एक सैन्य अड्डे के अंदर कॉन्क्रीट का एक खूंटा विशिष्ट यूरोपीय सिपाहियों के एक नए जिहादी विरोधी दस्ते के लिए बनाए गए क्षेत्र को चिन्हित कर रहा है. खूंटे पर फ्रांसीसी, एस्टोनियाई और स्वीडन के झंडे लगे हैं. इस दस्ते का नाम है टास्क फोर्स ताकूबा और यह साझा तैनाती फ्रांस के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.

फ्रांस कई दिनों से अफ्रीका के साहेल प्रांत में इस्लामी आतंकियों के खिलाफ लंबे समय से चल रही अपनी लड़ाई में साझेदारों की तलाश में था. 2012 में माली में जिहादी चरमपंथ की शुरुआत हुई थी और अगले साल फ्रांस ने देश में अपने सिपाही तैनात कर दिए थे. लेकिन वहां उनकी उपस्थिति के बावजूद जिहादी हिंसा पड़ोसी देशों बुर्किना फासो और नाइजर में फैल गई है.

अभी तक हजारों सैनिक और नागरिक हिंसा में मारे जा चुके हैं और लाखों लोगों को अपना घर छोड़ कर जाना पड़ा है. माली की इंसर्जेन्सी का अंत नजर ही नहीं आ रहा है और जनता में इसे लेकर एक समय में इतना आक्रोश था कि पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम बुबाकर कीटा के खिलाफ भारी प्रदर्शन हुए. अगस्त 2018 में एक सैन्य तख्ता पलट के बाद उन्हें सत्ता से हाथ धोना पड़ा.

Tschad Emmanuel Macron besucht französische Truppen in N'Djamena 2018
फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों बरखाने में फ्रांसीसी सैनिकों का निरीक्षण करते हुए. दिसंबर 2018 की तस्वीर.तस्वीर: AFP/L. Marin

नए फौजी दस्ते के लिए जिस अड्डे में जगह बनाई गई है वो गाओ शहर में है. अड्डे में लगभग एक दर्जन फ्रांसीसी और एस्टोनियाई सैनिक एक शामियाने के नीचे बैठे हैं और उनके इर्द-गिर्द भंडारण के लिए कई डब्बे रखे हैं और हल्के सैन्य वाहन खड़े हैं. सैनिक अपने पहले मिशन पर चर्चा कर रहे हैं, जिसमें उन्होंने पिछले महीने माली और बुर्किना फासो की सीमा पर एक अशांत इलाके में एक स्वीप ऑपरेशन किया था.

इसमें स्थानीय सैनिक और साधारण फ्रांसीसी सैनिक भी शामिल हुए थे. ताकूबा सैनिकों का काम है माली के विशिष्ट फौजी दस्तों की मदद करना, जो मोटरसाइकिलों और पिक-अप ट्रकों में तेज गति से उन इलाकों में घुस जाते हैं जिन पर जिहादी कब्जा कर चुके हैं. फ्रांसीसी-एस्टोनियाई दस्ते के कमांडर औरेलिएन ने बताया, "माली की सेना गांवों में अकेले आई ताकि लोग उन्हें देख सकें" जबकि यूरोपीय सैनिक बिना किसी हलचल के काम करते हैं. 

लेकिन ताकूबा अभी शुरूआती चरण में ही है और अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि इसमें योगदान करने का वादा करने वाले दूसरे देश अपना वादा कब पूरा करेंगे. इनमें बेल्जियम, चेक गणराज्य, डेनमार्क, जर्मनी, नीदरलैंड्स, नॉर्वे, पुर्तगाल और यूके शामिल हैं. इस समय साहेल प्रांत में ऑपरेशन बरखाने के तहत फ्रांस ने 5100 सैनिक तैनात किए हुए हैं.

2013 में माली में पहली बार हस्तक्षेप करने के बाद 45 सिपाही मारे भी गए हैं. ताकूबा के लिए एक सफल शुरुआत लंबी अवधि में उसकी सफलता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और फ्रांस के लिए दावे पर बहुत कुछ लगा हुआ है, क्योंकि वो धीरे धीरे इलाके में अपनी सैन्य तैनाती को कम करना चाहता है. 

सीके/एए (एएफपी)

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