जिराफ के पेट से निकला 20 किलो प्लास्टिक
३ मार्च २०१२देश के सबसे बड़े चिड़िया घर सुराबाया में क्लिवॉन नाम का यह जिराफ 30 साल पहले पैदा हुआ. चिड़ियाघर का यह इकलौता जिराफ पिछले 13 साल से अकेला रहा रहा था और इसकी मौत के बाद अब उसका बाड़ा विरान हो गया है. चिड़ियाघर के प्रवक्ता एन्थन वारसितो ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा,"हमने पिछली रात उसके शव की जांच कराई. इस जांच के दौरान उसके पेट में एक बड़ा सा प्लास्टिक का गोला मिला है जिसका वजन 20 किलोग्राम है."
जिराफ को टीबी
यह जिराफ टीबी(ट्यूबरक्लोसिस) की बीमारी से भी पीड़ित था. वारसितो ने बताया, "हमारे पास 180 कर्मचारियों का दल है जिसमें 7 टीबी के मरीज हैं. मुमकिन है कि इनमें से किसी के संपर्क में आने की वजह से जिराफ तक यह बीमारी फैल गई हो. फिलहाल उसके मौत की वजह के बारे में हम कुछ नहीं बता सकते." वारसितो का कहना है कि प्लास्टिक उन पैकेटों के रूप में उसके पेट तक पहुंचा होगा जो चिड़ियाघर के दर्शक जानवरों की तरफ फेंक देते हैं. कई साल तक ऐसा होने के बाद ही इतनी बड़ी मात्रा में प्लास्टिक का पेट के भीतर होना मुमकिन है.
बुरी हालत में जानवर
पिछले कुछ दिनों से सदिग्ध परिस्थितियों में इस चिड़ियाघर में कई जानवरों की मौत हुई है. इनमें विलुप्त होने का गंभीर खतरा झेल रहा एक सुमात्राई बाघ भी शामिल है. इसके अलावा तीन कोमोडो ड्रैगन बच्चे भी यहां से लापता हो गए हैं जिनके बारे में आशंका है कि उन्हें कालाबाजारियों के हवाले कर दिया गया है.
2010 से 2011 के बीच करीब 500 जानवरों की मौत हो चुकी है. 2010 में चिड़ियाघर प्रशासन की काफी आलोचना हुई तब सैकड़ों जानवर न्यूमोनिया, डायरिया और कुपोषण जैसी बीमारियों की वजह से मारे गए. इन जानवरों का अगर समय पर ठीक से इलाज किया गया होता तो इनकी जान नहीं जाती.
पिछले साल देश के वन मंत्रालय ने चिड़ियाघर की व्यवस्था देखने वाली पिछली कंपनी का लाइसेंस रद्द कर दिया. वारसितो ने बताया, "हम दो या तीन नए जिराफ अमेरिका से खरीदने की योजना बना रहे हैं लेकिन हमें देखना होगा कि प्रशासन इस घटना के बाद कैसी प्रतिक्रिया जताता है."
रिपोर्टः एएफपी/एन रंजन
संपादनः आभा एम