जातिवाद के आरोप में फंसा गे विज्ञापन
२१ मई २०१५पदमा अय्यर ने अपने बेटे हरीश के लिए जो विज्ञापन दिया उसे देश का पहला "गे मैट्रिमोनियल ऐड" कहा जा रहा है. इस कदम के लिए हरीश और उनकी मां की सोशल मीडिया पर जितनी सराहना हो रही है, उतनी ही विज्ञापन में जाति के जिक्र के लिए आलोचना भी. विज्ञापन के अंत में लिखा गया है कि कोई भी जाति चलेगी लेकिन अय्यर को प्राथमिकता दी जाएगी. सोशल मीडिया पर इसे ले कर गुस्सा देखा जा रहा है. लोग कुछ इस प्रकार के ट्वीट कर रहे हैं, "हम लैंगिक रुझान को अपनाने को तैयार हैं लेकिन जब बात शादी की आती है, तो हम जाति या समुदाय को त्यागने के लिए तैयार नहीं हैं."
इसी तरह यूजर शिल्पा कानन ने अपनी निराशा जताते हुए लिखा, "भारत के सबसे पहले समलैंगिक विवाह के विज्ञापन की विडंबना यह है कि हरीश की मां उन्हीं की अय्यर जाति का ही दूल्हा चाहती हैं." एक अन्य ट्वीट में कहा गया, "हरीश अय्यर का मैट्रिमोनियल ऐड, क्या यह सच है? एलजीबीटी रिश्तों तक जातिभेद का पहुंचना मुझे परेशान कर रहा है."
खुद हरीश अय्यर भी परेशान हैं क्योंकि भारत में मीडिया उनसे इस बात पर जवाब मांग रहा है. उन्होंने ट्वीट किया है, "मीडिया, मैं आपसे विनती करता हूं कि मेरी मां को परेशान करना बंद कर दें. वह इस तनाव को संभाल नहीं पा रही हैं और अब दमे से परेशान हैं."
इससे पहले भी हरीश ने अपनी और मां की सफाई में कुछ ट्वीट किए. उन्होंने कहा, "मैं और मेरी मां किसी भी जाति या धर्म के व्यक्ति के साथ रिश्ता जोड़ने से नहीं कतराएंगे. लेकिन अगर वह व्यक्ति मांसाहारी होगा, तो मैं पक्षपात जरूर करूंगा." विज्ञापन में लिखा गया था कि हरीश एक शाकाहारी और जानवरों से प्यार करने वाले व्यक्ति से शादी करना चाहते हैं.
साथ ही उन्होंने फेसबुक पर अपनी मां पदमा अय्यर द्वारा लिखा गया सार्वजानिक पत्र भी ट्वीट किया जिसमें वह बता रही हैं कि जाति की बात उन्होंने चुटकी लेते हुए लिखी थी. उन्होंने यह भी बताया कि उनके घर में मुस्लिम भी हैं और ईसाई भी, इसलिए वह किसी भी तरह के पक्षपात में विश्वास नहीं रखतीं.
जहां हरीश अपनी मां के बयानों की सफाई देने में लगे हैं, वहीं कुछ लोगों की उन्हें यह राय है कि वे ऐसा ना करें. एक ट्वीट में कहा गया है, "क्या कोई हरीश अय्यर को बता सकता है कि वे भारत के पहले गे मैट्रिमोनियल ऐड के सिलसिले में अपनी सफाई देना बंद कर दें क्योंकि वे जितनी सफाई देंगे मामला उतना ही भद्दा होता जाएगा."
सराहना हो या आलोचना, एक बात तय है कि हरीश अय्यर के इस विज्ञापन ने भारत में एक बार फिर समलैंगिकों के अधिकारों और जातिवाद, दोनों बड़े मुद्दों पर बहस छेड़ दी है.