ज़रूरी नहीं था कुंदुस का हवाई हमला
२३ अप्रैल २०१०रक्षा मंत्री कार्ल थेओडोर त्सू गुटेनबैर्ग ने माना कि जर्मन कर्नल के आदेश पर हुए उस हमले के प्राथमिक मूल्यांकन में उनसे ग़लती हुई थी. इस हमले की कोई ज़रूरत नहीं थी. इसके अलावा उन्होंने जर्मन सेना के तत्कालीन प्रमुख इंस्पेक्टर जनरल वोल्फ़गांग श्नाइडरहान व रक्षा मंत्रालय के राज्य सचिव पेटर विषर्ट की बर्ख़ास्तगी को उचित ठहराया. रक्षा मंत्री का कहना था कि इन दोनों ने कुछ अतिरिक्त फ़ाइलें नहीं दी थी, और मांगने के बाद ही उन्हें दिया गया था. इस प्रकार दोनों के साथ विश्वास के संबंध भंग हो चुके थे.
संसदीय जांच समिति में रक्षा मंत्री के इस बयान की मिलीजुली प्रतिक्रिया हुई है. सत्तारूढ़ मोर्चे के घटक सीडीयू-सीएसयू तथा एफ़डीपी के सदस्यों ने अपना संतोष व्यक्त किया है. इसके विपरीत विपक्षी एसपीडी, ग्रीन दल तथा वामपंथी पार्टी के सदस्य कतई ख़ुश नहीं हैं. वे चाहते हैं कि कार्ल थेओडोर त्सू गुटेनबैर्ग को फिर से बयान देने के लिए जांच समिति में बुलाई जाए. एसपीडी चाहती है कि रक्षा मंत्री तथा श्नाइडरहान व विषर्ट एकसाथ जांच समिति में आएं, और आमने-सामने अपने बयान दें.
अफ़ग़ानिस्तान के मामले में चांसलर अंगेला मैर्केल ने भी एक सरकारी वक्तव्य पेश किया है. उन्होंने अफ़ग़ानिस्तान अभियान को देश की सुरक्षा के लिए ज़रूरी बताया और कहा है कि पिछले सप्ताहों में सात जर्मन सैनिकों की मौत के बावजूद जर्मन सेना अफ़ग़ानिस्तान में तैनात रहेगी.
जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेसटाग में अफ़ग़ानिस्तान की स्थिति पर नीतिगत बयान देते हुए जर्मन चांसलर ने कहा, "जो आज फ़ौरी वापसी की मांग कर रहा है वह ग़ैरज़िम्मेदाराना व्यवहार कर रहा है."
मैर्केल ने कहा कि न सिर्फ़ अफ़ग़ानिस्तान अव्यवस्था और अराजकता में डूब जाएगा बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और सहबंधों के लिए भी , जिनमें जर्मनी ज़िम्मेदार है, उसके नतीजे अपरिकल्पनीय होंगे.
अपने भाषण में चांसलर मैर्केल ने लड़ाई और हमलों में मारे गए जर्मन सैनिकों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने जर्मनी में अपने देशवासियों को संभावित आतंकी हमलों से बचाने के लिए उच्चतम क़ीमत चुकाई है. जर्मन चांसलर ने कहा कि सैनिक अफ़ग़ानिस्तान में अपना जीवन खोने के स्थायी भय में जी रहे हैं ताकि हमें जर्मनी में भय में न जीना पड़े.
पिछले सप्ताह अफ़ग़ानिस्तान में चार जर्मन सैनिक मारे गए थे, जबकि तीन सप्ताह पहले गुड फ़्रायडे के दिन एक हमले में तीन जर्मन सैनिकों की मौत हो गई थी. उसके बाद विपक्षी सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी में सैनिकों की वापसी की मांग ज़ोर पकड़ने लगी थी.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: ओ सिंह