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जहर से हुई स्वामी निगमानंद की मौत: रिपोर्ट

१५ जून २०११

गंगा नदी को बचाने के लिए 114 दिन तक अनशन पर बैठे साधु स्वामी निगमानंद के निधन पर विवाद गहराया. ऐसी रिपोर्टें है कि उत्तराखंड में अवैध खनन माफिया ने स्वामी निगमानंद को जहर दिया. आरोपों में घिरे बीजेपी के मुख्यमंत्री.

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल (दाएं)तस्वीर: UNI

भारतीय चैनल सीएनएन आईबीएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वामी निगमानंद की मौत जहर की वजह से हुई. पैथॉलॉजी रिपोर्ट के हवाले से चैनल का दावा है कि गंगा बचाओ अभियान छेड़ने वाले साधु के शरीर में जहरीले तत्व मिले हैं. आरोप हैं कि उत्तराखंड में सक्रिय खनन माफियाओं ने हरिद्वार के अस्पताल में स्वामी निगमानंद को जहर दिया. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक सरकारी अस्पताल में इलाज के दौरान साधु के शरीर में जहर डाला गया, जिसके चलते स्वामी निगमानंद की मौत हो गई.

स्वामी निगमानंद गंगा नदी को बचाने के लिए 76 दिन से अनशन पर बैठे थे. उनकी मौत के साथ राज्य की बीजेपी सरकार आलोचनाओं में घिर गई है. खुद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं. स्वामी निगमानंद की मौत के बाद केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने भी निशंक पर निशाना साधा. रमेश ने कहा कि अवैध खनन के संबंध में उन्होंने डेढ़ साल पहले निशंक को चिट्ठी लिखी थी लेकिन उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया.

अब रमेश ने चेतावनी दी है कि अगर अवैध खनन जारी रहा तो पर्यावरण मंत्रालय को भारतीय पर्यावरण संरक्षण कानून की धारा पांच का इस्तेमाल करना पड़ेगा.

वहीं बीजेपी पर कटाक्ष करते हुए कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा, "यहां एक ऊंची उड़ान भरने वाले स्वामी रामदेव है जो पैसा बनाने में लगे हैं, ऐसे मुद्दे उठा रहे हैं जिनकी समझ उन्हें है ही नहीं. विपक्ष की नेता (सुषमा स्वराज) और मुख्यमंत्री (पोखरियाल) ऐसे समारोह में जाते भी हैं." कांग्रेस के मुताबिक बीजेपी के नेताओं को स्वामी निगमानंद के वास्तविक अनशन की सुध क्यों नहीं आई.

भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली बीजेपी स्वामी निगमानंद की मौत के बाद बचाव की मुद्रा में है. उत्तराखंड में यह चर्चाएं बहुत आम हैं कि मुख्यमंत्री पोखरियाल खुद अवैध खनन माफियाओं को शह देते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के नेता भुवन चंद्र खंडूरी खुद निशंक सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं. बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि वह ऐसे आरोपों पर कार्रवाई क्यों नहीं करती है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: महेश झा

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