जर्मन नवनाजी को हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा
२८ जनवरी २०२१बीते कुछ सालों में जर्मनी में नवनाजी गुटों का तेजी से उभार हुआ है. ये लोग देश में शरणार्थियों और गैर जर्मन लोगों के खिलाफ हैं और पर्दे में रह कर अपने नफरती विचारों को फैला रहे हैं. जर्मन सरकार इन पर चौकस निगाह रखने का दावा करती है लेकिन हाल के वर्षों में हुई घटनाओं ने अधिकारियों की अक्षमता को उजागर किया है. हेस्से प्रांत में काउंटी प्रमुख वाल्टर ल्युब्के की हत्या का मामला पहला है जिसमें किसी नवनाजी को राजनीतिक हत्या के लिए दोषी माना गया है.
काउंटी प्रमुख की हत्या का मामला
47 साल के नवनाजी श्टेफान ई को कासेल काउंटी के प्रमुख वाल्टर ल्युब्के की हत्या का दोषी करार दिया गया है. गुरुवार को अदालत के इस फैसले के साथ ही जर्मनी में 1970 के बाद राजनीतिक हत्या के पहले मुकदमे की कार्रवाई पूरी हो गई. श्टेफान ई को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. जज थॉमस जागेबील ने इस घटना को "विशेष गंभीर" माना है. इस वजह से श्टेफान ई को पैरोल पर रिहा होने से पहले ज्यादा वक्त जेल में बिताना होगा. जर्मनी में आमतौर पर उम्रकैद की सजा पाने वालों को 15 साल जेल में रहने के बाद पैरोल पर रिहा किया जा सकता है. हालांकि इस मामले में कम से कम 22 साल जेल में रहने के बाद ही रिहाई पर विचार होगा.
अदालत में ल्युब्के का परिवार भी मौजूद था. पीड़ित परिवार से सहानुभूति जताते हुए जज ने कहा कि यह मुकदमा उनके लिए "कठिन और पीड़ादायी" रहा होगा. हालांकि जज ने यह भी कहा "इससे हमारे इस कठिन काम में कोई बदलाव नहीं आया." वाल्टर ल्युब्के की हत्या ने जर्मनी के नवनाजियों की तरफ से हिंसा की आशंकाओं की ओर ध्यान दिलाया है. साथ ही घरेलू खुफिया एजेंसियों की हिंसक चमरपंथियों पर निगरानी रखने में नाकामी भी उजागर हुई है. यह सब तब हुआ जब कि मुखबिरों का एक पूरा नेटवर्क मौजूद है और उन्हें पैसे भी दिए जा रहे हैं.
हत्यारे का सहयोगी
चांसलर अंगेला मैर्केल कीसीडीयू पार्टी के राजनीतिज्ञ वाल्टर ल्युब्के धुर दक्षिणपंथियों के लिए 2015 में ही नफरत की शख्सियत बन गए जब उन्होंने सीरिया के युद्ध से भागने वाले शरणार्थियों को जर्मनी लाने के फैसले के समर्थन में भाषण दिया. हालांकि इस मुकदमे में सहवादी रहे उनके परिवार का आरोप है कि खुफिया एजेंसियों ने उनकी सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं किया. जून 2019 में उन्हें उनके घर के पोर्च में गोली मार दी गई.
श्टेफान ई का कथित सहयोगी मार्कुस एच भी एक जाना माना नवनाजी है. उसे हत्या में सहयोग के आरोप से तो मुक्त कर दिया गया लेकिन उसे अवैध हथियार रखने का दोषी करार दिया गया है. श्टेफान ई ने दावा किया था कि मार्कुस एच हत्या की जगह मौजूद था और उसने श्टेफान के गोली चलाने से पहले पीड़ित को कुछ निंदापूर्ण शब्द कहे. अभियोजन और ल्युब्के के परिवार ने घटना के इस ब्यौरे को सही माना. हालांकि बचाव पक्ष की दलील परस्पर विरोधी बयानों में उलझ गई. एक मौके पर उसके पिछले वकील ने दावा किया कि मार्कुस एच ने ल्युब्के के साथ झड़प में उन पर गोली चलाई.
शरणार्थी की हत्या की कोशिश
अदालत ने एक और मामले में भी फैसला सुनाया लेकिन श्टेफान ई को इराकी शरणार्थी अहमद आई की हत्या की कोशिश के आरोपों से बरी कर दिया. जनवरी 2016 में किसी अज्ञात हमलावर ने अहमद आई पर चाकू से हमला किया था. यह हमला शरणार्थी कैंप के बाहर हुआ जहां अहमद रहते थे. उसी इलाके में रहने वाले एक नवनाजी पर इस हमले की आशंका थी जिसने इससे पहले अरबी और तुर्क मूल के कुछ लोगों पर हमले किए थे. उससे पूछताछ तो हुई लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं किया गया.
ल्युब्के की हत्या की जांच के दौरान जो बातें सामने आईं उनके आधार पर अभियोजकों ने 2016 के हमले वाले केस से जुड़े आरोप लगाए. इसमें अहम सुराग यह था कि श्टेफान के घर के तहखाने से मिले एक चाकू पर ऐसे डीएनए के सुराग मिले जो उस इलाके से जुड़े थे जहां अहमद आई था. मुकदमे में सहवादी के वकील अलेक्जांडर हॉफमन का कहना था कि अगर श्टेफान के घर की 2016 में तलाशी ली गई होती तो उस पर आरोप साबित हो जाता और उसे ल्युब्के की हत्या करने का मौका नहीं मिलता.
उग्र दक्षिणपंथी हिंसा का डर
वाल्टर ल्युब्के की हत्या ने जर्मनी में स्थानीय राजनीतिज्ञों और अधिकारियों पर उग्र दक्षिणपंथी गुटों के हमलों के बढ़ते खतरे की ओर ध्यान खींचा है. बहुत से लोगों ने वाल्टर व्युब्के पर हमले की तुलना कुछ साल पहले 2015 में कोलोन शहर की मेयर हेनरिएटे रेकर पर दक्षिणपंथी उग्रपंथी द्वारा किए गए चाकू हमले से भी की है.
अपराध पीड़ितों के मामलों के लिए जर्मन सरकार के कमिश्नर एडगर फ्रांके ने गुरुवार को अदालत के पैसले के बाद एक बयान में कहा है, "बार बार मेरे पास शहरों के मेयर आए हैं और अपने परिवार के लिए सुरक्षा की चिंता जताई है." उन्होंने कहा, "लोकतंत्र का दिल शहरों और कस्बों में धड़कता है. इसलिए हमें स्थानीय राजनीतिज्ञों को अब तक से बेहतर सुरक्षा देने की जरूरत है."
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