जर्मनी में महिला खतना के मामलों में 44 फीसदी का उछाल
२५ जून २०२०जर्मनी में इस समय कम से कम 68,000 ऐसी महिलाएं हैं जो खतना परंपरा की शिकार हैं. एक ताजा रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि केवल 2017 से अब तक ही महिला खतना के मामलों में करीब 44 फीसदी की बढ़त आई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि इस वक्त भी कम से कम 15,000 लड़कियां इस खतरे की जद में हैं. कानूनन जर्मनी में खतने पर पूरी तरह प्रतिबंध है.
आखिर अचानक इन मामलों में इतना बड़ा उछाल क्यों आया. जर्मनी की पारिवारिक मामलों की मंत्री ने आप्रवासन को इसकी बड़ी वजह बताया है. मंत्री फ्रांसिस्का गिफे ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि ऐसे तमाम देशों से बहुत बड़ी संख्या में लोग आकर जर्मनी में रह रहे हैं जहां महिला खतना की परंपरा आम है. यही कारण है कि जर्मनी में इनकी तादाद में अचानक इतनी बढ़त आई है.
जिन हजारों लड़कियों पर आगे भी यहां खतना कराए जाने का खतरा मंडरा रहा है उनके बारे में बोलते हुए मंत्री गिफे ने बताया कि "महिलाओं का खतना किया जाना मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है. यह एक ऐसा प्राचीन अपराध है जिससे महिलाओं और लड़कियों की शारीरिक संपूर्णता और अपने यौन मामलों में खुद निर्णय लेने का अधिकार उनसे छीन लिया जाता है." गिफे ने बताया कि तमाम अध्ययन और शोध दिखा चुके हैं कि कैसे इसका बुरा असर "जिंदगी भर शारीरिक और मानसिक स्तर पर पीड़ितों के साथ रहता है."
महिलाओं के लिए नए कदम
जर्मन मंत्री गिफे ने कहा कि "लड़कियों और महिलाओं को इससे बचाना और उन्हें मदद मुहैया कराना" उनका मकसद है. इसके लिए उन्होंने स्थानीय समुदायों के स्तर पर इन मामलों को और बढ़ने से रोकने के कदम उठाने की बात कही है. इस समस्या पर काम करने वाले एक अधिकार समूह नाला की अध्यक्ष फादूमो कोर्न का कहना है कि आगे उनका फोकस इस पर है कि "महिलाओं को इतना सशक्त करें कि वे अपने बच्चों को बचा पाएं." उन्होंने मंत्री गिफे को 125,000 हस्ताक्षरों के साथ एक याचिका भी सौंपी जिसमें महिला खतरा रोकने की मांग की गई है.
अगर जर्मनी में किसी के खतना होने का पता चलता है तो परिवार को सजा हो सकती है. कई लोगों को इस नियम का पता नहीं है और कई लोग डरते नहीं हैं. कई सारे ऐसे फेसबुक ग्रुप भी हैं जहां महिलाएं खतने के बारे में बात करती हैं और इस कुप्रथा से अपनी बच्चियों को बचाने की योजना बनाती हैं लेकिन उनके पास जानकारी का अभाव दिखता है.
बीते तीन सालों में इतना बड़ा उछाल उन समुदायों के कारण आया है जो यहां दूसरे देशों से आकर रहने लगे हैं. इसमें एरिट्रिया, सोमालिया, इंडोनेशिया, मिस्र और नाइजीरिया के लोग शामिल हैं. इनमें से कई लोग छुट्टियों में अपने मुल्क वापस जाकर ऐसा करवा लेते हैं या फिर कई लोग खुद ही अपने बच्चों का चुपके से खतना कर देते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि विश्व भर में इस समय कम से कम 20 करोड़ महिलाएं और बच्चियां खतना के शिकार बनाए जा चुके हैं.
आरपी/एनआर (एएफपी, ईपीडी)
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