जर्मनी की नई फर्स्ट लेडी
८ जुलाई २०१०51 साल के क्रिस्टियान वुल्फ जर्मनी के सबसे युवा राष्ट्रपति हैं और उनकी पत्नी 36 वर्षीया बेटीना देश की अब तक की सबसे युवा फ़र्स्ट लेडी. भारत की तरह जर्मनी में भी राष्ट्रपति का पद समारोही पद होता है, उसके पास असली ताक़त नहीं होती. सत्ता यहां चांसलर अंगेला मैर्केल के हाथों में है. तब देश की फ़र्स्ट लेडी की भूमिका क्या है.
बेटीना वुल्फ सिर्फ 36 साल की हैं. वुल्फ दम्पत्ति का एक दो साल का बेटा है. लेकिन उनके साथ बेटीना के पिछले रिश्ते का एक और बेटा भी रहता है. क्रिस्टियान वुल्फ भी बेटीना से शादी करने के पहले शादी शुदा थे और उनकी भी एक और बेटी है.
बेटीना की बांह पर एक टटू है, जिसको लेकर पूरा जर्मनी विभाजित है. युवा कहते हैं कि पहली बार राष्ट्रपति और उनकी पत्नी आधुनिक खयालों वाले हैं और समाज की परिस्थितियों और ट्रैंड्स को दर्शाते हैं. दूसरों का मानना है कि सिर्फ ग्लैमरस और युवा होने से लोगों को मार्गदर्शन नहीं दिया जा सकता है जो देश के लिए ज़रूरी है और जो राष्ट्रपति पद के साथ जुडा हुआ है.
बेटीना वुल्फ ने मीडिया मैनेजमैंट की पढाई की थी और एक प्रेस विभाग की प्रमुख रहीं हैं. अब वह नौकरी छोड़ कर अपने पति की मदद करना चाहतीं हैं. वैसे सभी जर्मन राष्ट्रपतियों की पत्नियां सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय रही हैं. कैंसर जैसी बीमारियों के लिए जागरूकता बढाना, युवाओं में ड्रग्स की लत को कम करने के लिए काम करना, मानवाधिकारों के लिए जागरुकता बढाना इत्यादि. 1979 में राष्ट्रपति बने कार्ल कार्स्टेंस की पत्नी वेरोनिका डॉक्टर थीं. वे यात्राओं के दौरान अपने पति के साथ ज़रूर जाती थीं, लेकिन साथ ही अपने कार्यालय में भी काम करती थी.
जब मेरे पास मरीज़ आते थे, तो वह भूल ही जाते थे, कि मैं सिर्फ उनकी डॉक्टर ही नहीं हूं, बल्कि देश की फ़र्स्ट लेडी भी हूं. सिर्फ जब वे टीवी में रिपोर्ट देखते थे, तो मुझसे सवाल पूछते थे. लेकिन कुछ ही मिनटों के अंदर यह भी भूल जाते थे.
कार्स्टेंस के पहले राष्ट्रपति रहे वाल्टर शेल की पत्नी मिल्ड्ड भी डॉक्टर थीं. उन्होंने दुनियाभर में कैंसर के लिए जागरुकता बढाने और इलाज पर शोध व अध्ययनों के लिए पैसा जुटाने में अपने लिए बडा नाम कमाया.
आज यह आम बात हो गई है कि राजनीतिज्ञों की पत्नियां भी काम करती हैं, यह 60 और 70 के दशक में सामान्य बात नहीं थी. 1959 में राष्ट्रपति बने हाईनरिश लुइबके की पत्नी विल्हेल्मीने लुइबके को फ़र्स्ट लेडी बनने के बाद अपना काम छोड़ना पड़ा, जो उनके लिए बहुत ही दुखदायक बात थी. उनके लिए काम करना महिलाओं की आज़ादी का प्रतीक था. वे याद करतीं हैं, "उस ज़माने में महिलाएं गृहणी होतीं थी, काम नहीं करतीं थीं. मैं टीचर थी. इसलिए मैने पति से कहा कि मै स्कूल में नौकरी नहीं छोडना चाहतीं हूं, चाहे आधा वक्त ही काम करूं. तो मेरे पति ने कहा, मुझे पता है कि क्या होने वाला है. यदि तुम आधा वक्त भी स्कूल में काम करोगी, तो तुम्हारा दिल वहीं होगा और मेरे लिए वक्त नहीं बचेगा."
विल्हेल्मीने ने फिर भाषाओं की पढाई की. अंत में वे पांच भाषाओँ में यानी रूसी, इटाल्वी, अंग्रेज़ी, स्पैनिश और फ्रांसीसी में बहुत ही कुशल बन गईं. साथ ही वे समाज सेवा के कामों में लग गईं.
वैसे सन 2000 में तत्कालीन राष्ट्रपति योहानस राउ की पत्नी क्रिसटीना ने कहा था, "आज भी सबसे ज़्यादा काम मांए ही करतीं हैं. हां, बदलाव ज़रूर आया है. लेकिन जिस वक्त पहला बच्चा होता है उसी वक्त से पति का साथ कम हो जाता है. यह अभी दूर का सपना है कि पुरूष और महिला, दोनों का घर में या बच्चों की देखभाल में एक समान हिस्सा हो."
बेटीना वुल्फ ने कहा कि वह दूसरी राष्ट्रपति पत्नियों को अपना आदर्श बनाना चाहतीं हैं. उदाहरण के लिए एवा कोएलर यानी हाल ही में इस्तीफा देने वाले राष्ट्रपति होर्स्ट कोएलर की पत्नी की खासियत यह थी कि वह लोगों के बीच पुल बना सकती थी. उन्होंने मुश्किल वक्त में हमेशा अपने पति का साथ दिया और शायद यह कोएलर दंपति ही था, जिसमें सबसे ज़्यादा क़रीबी और साथ-साथ रहना देखा जा सकता था.
बेटीना वुल्फ के लिए जर्मनी के 10वें राष्ट्रपति की पत्नी होना आसान काम नहीं है. पति के पद और अपनी भूमिका का पालन करना, साथ ही आधूनिक विचारों को आगे बढाना और अपने लिए इतिहास में जगह बनाना- यह बड़ी चुनौती है.
रिपोर्ट: प्रिया एसेलबॉर्न
संपादन: महेश झा