जर्मनी और भारत सुरक्षा परिषद में चुने गए
१२ अक्टूबर २०१०पश्चिमी देशों वाले ग्रुप में दूसरी सीट पुर्तगाल को मिली. इससे पहले दूसरे चरण के अस्पष्ट नतीजों के बाद कनाडा ने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली थी. 2011-12 के लिए सुरक्षा परिषद के जिन पांच सदस्यों का चुनाव हुआ है उनमें भारत, जर्मनी और पुर्तगाल के अलावा दक्षिण अफ्रीका और कोलंबिया भी हैं.
भारत को चुनावों में 187 मत मिले जो किसी भी देश को मिले मतों में सबसे ज्यादा है. विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने सदस्य चुने जाने के बाद स्थायी सदस्यता के दावे पर जोर देते हुए कहा कि उनका देश मध्यस्थता और रचनात्मक भागीदारी की आवाज रहेगा.
महासभा की बैठक में जर्मनी के विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले भी उपस्थित थे. परिणामों की घोषणा के बाद उन्होंने जर्मनी के सदस्य चुने जाने को भरोसे का सबूत बताया. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने भी फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह चुनाव जर्मनी के लिए दूसरे देशों के साथ विवादों के समाधान के लिए काम करने का कर्तव्य है.
विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले ने जर्मन मीडिया के साथ बातचीत में सुरक्षा परिषद के सुधार की वकालत की है और कुछ क्षेत्रों के प्रतिनिधित्व में कमी को अनुचित बताया है. उन्होंने कहा, "यह उचित नहीं है कि दो महादेशों अफ्रीका और लैटिन अमेरिका का सुरक्षा परिषद में स्थायी प्रतिनिधित्व नहीं है. एशिया का अपने को कम प्रतिनिधित्व वाला मानना भी उचित ही है."
जर्मन विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सुधारों में हमारी या दूसरों की प्राथमिकता स्थायी सीट नहीं है, हम चाहते हैं कि दुनिया के शक्ति संतुलन का बेहतर प्रतिनिधित्व हो. जर्मनी जापान, भारत और ब्राजील के साथ लंबे समय से सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता का दावेदार है.
ब्रिटेन के यूएन राजदूत लायल ग्रांट ने कहा कि 2011 का सुरक्षा परिषद भावी दुनिया की राजनीति का टेस्ट हो सकता है. उन्होंने कहा कि नई परिषद एक तरह से सुधार के बाद वाली सुरक्षा परिषद का लघु प्रतिबंब होगा, जो ब्रिटेन चाहता है. ब्रिटेन भारत, ब्राजील, जापान और जर्मनी की सदस्यता का समर्थन कर रहा है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: एन रंजन