जम्मू कश्मीर में चलते फिरते स्कूल
११ मई २०११इनका सिद्धांत कुछ वैसा हे जैसा कुएं का खुद चल कर प्यासे के पास आना. ये स्कूल खास तौर से उन समुदाय के लोगों के लिए तैयार किए जा रहे हैं जो अपने जानवरों के लिए चारे की खोज में एक से दूसरी जगह घूमते हैं. गुज्जर और बाकरवाल समुदाय के लोग कश्मीर वादी और जम्मू के बीच घूमते हैं.
ये लोग आम तौर अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेजते. इसकी वजह यह देते हैं कि क्योंकि वे किसी एक जगह पर हमेशा नहीं रुकते इसलिए बच्चों का दाखिला स्कूल में नहीं करा सकते. सरकार ने इसका समाधान यह निकाला कि अब जहां भी ये लोग जाएंगे, मोबाइल स्कूल उनके पीछे पीछे वहीं पहुंच जाएगा, यानी बच्चों का पढ़ाई से दूर रहने का कोई भी बहाना काम नहीं आएगा.
मेडिकल सेंटर भी
जम्मू कश्मीर के मुख्य मंत्री उमर अब्दुल्लाह ने मंगलवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ऐसे ही और स्कूलों के बारे में भी सोच रहे हैं. साथ ही इन स्कूलों के लिए टीचर और अन्य जरूरी चीजों की व्यवस्था पर भी बात चल रही है.
इसके अलावा ओमर अब्दुल्लाह जल्द ही मोबाइल मेडिकल सेंटर लाने के बारे में भी सोच रहे हैं. ये मेडिकल सेंटर स्कूलों की ही तरह इन लोगों के साथ साथ घूमेंगे ताकि जरूरत पड़ने पर डॉक्टर पास ही हो. आम तौर पर अस्पताल दूर होने से ये लोग समय रहते डॉक्टर तक नहीं पहुंच पाते हैं. मुख्य मंत्री ने स्वास्थ्य विभाग को जल्द ही इस दिशा में काम शुरू करने के आदेश दे दिए हैं.
वैसे गुज्जर और बाकरवाल समुदाय के लोगों के लिए मोबाइल स्कूल बनाने का विचार ओमर अब्दुल्लाह के दादा शेख महोम्मद अंदुल्लाह का था. लेकिन आतंकवाद के चलते इसे पूरा नहीं किया जा सका.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया
संपादन: आभा एम